| किताबों की बातें! |
किताबों को पढ़ने का हम सभी का अपना-अपना नजरिया होता है। व्यक्तिगत नजरिये के बजाय यदि साझेपन से किसी किताब को समझा जाय तो यह बहुत से नये आयाम को समझने में मदद करता है। इसी को लेकर गोपेश्वर में शिक्षक मंच और अजीम प्रेमजी फाउण्डेशन की साझी पहल के जरिये किताब पर बनी समझ को साझा करने का काम किया जा रहा है। इस प्रक्रिया को नाम दिया गया है ‘किताबों की बातें’ इसकी तीसरी कड़ी में इस बार तीन साथियों ने दिवास्प्न, स्थानीय मान, क्या लड़का है? क्या लड़की है? किताब व पर्चे को साझा किया गया।
शिक्षिका सुनीता कपर्वाल ने लड़का क्या है? लड़की क्या है? किताब के बारे में अपनी समझ साझा करते हुये कहा कि कैसे समाज लड़के-लड़की को लेकर विभेद करता है, जबकि इस तरह के विभेद को तोड़ते हमारे चारों ओर कई अनुभव दिखते हैं। इन्हीं अनुभवों को सिलसिलेवार किताब के जरिये रखकर कुछ सवालों से अपनी बात का समेकन किया कि क्या हम अपने रोजाना छोटी-छोटी बातों में इस बात का ख्याल रख सकते हैं जिससे लड़के-लड़की में फर्क के बजाय उनको समानता के नजरिये से देखा जाय।
शिक्षिका देवेश्वरी बिष्ट ने गीजूभाई की दिवास्वप्न को विस्तार से रखते हुये कहा कि यदि किसी काम को ठान लिया जाय तो वह बेहतर परिणाम दे सकता है बस इसके लिये जरूरी है कि अपने लक्ष्य पर लगातार फोकस रखना। गीजूभाई ने शुरूआती दिनों में एक साल में चैथी कक्षा के बच्चों में किस तरह पढ़ने-लिखने और अन्य शिक्षण सहगामी गतिविधि को बढ़ावा देने की कोशिश जारी रखी। अपने शिक्षण प्रयोग में वे कई बार असफल भी हुए उन्होंने लेकिन फिर बेहतर तैयारी से साल के अंत तक छात्र, शिक्षक, समुदाय और शिक्षाकर्मियों को बेहतर शिक्षण की प्रक्रिया से रूबरू ही नहीं कराया बल्कि इसका बकायदा जश्न भी मनाया।
शिक्षक महेंद्र सिंह राणा ने स्थानीय मान को लेकर अपनी बात रखी। बताया कि शुरूआती दिनों में कैसे गतिविधियों के जरिये इसकी समझ को पुख्ता किया जा सकता है। स्थानीय मान की समझ यदि बच्चों में हो जाती है तो इससे आगामी कक्षाओं में बच्चों को गणित सीखने में काफी सहजता रहती है।
इन तीनों वक्ताओं द्वारा अपनी बात रखने के साथ ही बाकी के साथियों ने खूब सारे अनुभवों व संदर्भों को इससे जोड़ा।
इस प्रक्रिया में खण्डशिक्षा अधिकारी घाट ने तीनों पर्चों पर विस्तार से अपनी राय रखते हुये कहा कि हमें खुशी है कि इस मंच में शिक्षक समाज पढ़ने-लिखने के बहाने मिलकर चर्चा कर रहे हैं। प्रांतीय अध्यक्ष शिक्षक संघ कमल किशोर डिमरी जी ने भी चर्चा को सार्थक बनाते हुए कहा कि हमें बेहतर शिक्षा के लिये लगातार प्रयास करने होंगे जिससे समाज में बेहतर नागरिक तैयार हो सकें।