प्यार, शान्ती, संगीत के लिए ईश्वर से जुड़ें


||प्यार, शान्ती, संगीत के लिए ईश्वर से जुड़ें||


प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय देहरादून के मुख्य सेवाकेन्द्र सुभाषनगर मे 84वीं त्रिमूर्ती शिव जयन्ती के उपलक्ष्य में सर्व धर्म सम्मेलन का आयोजन किया गया है। इस अवसर पर राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मीना दीदी ने कहा की शिव जयन्ती अथवा शिवरात्रि पर अन्य अध्यात्मिक पर्वो की तुलना मे सबसे श्रेष्ठ है। इस तथ्य का कारण यह है कि यह पर्व मनुष्य की सदगति से जुड़ा हुआ है।


परमात्मा शिव जब कलयुग की अधर्म, अज्ञान और विकार की रात्रि मे अवतरित हो करके व्यक्ति को धर्मयुक्त, ज्ञानवान और र्निविकारी बनाने का अपना दिव्य आलौकिक कार्य करते है तो फलस्वरूप इसके धरती के वासी उनके इस परम उपकार के बदले उनका दिव्य जन्म शिवरात्रि के रूप मे मनाते है। शिव का अर्थ कल्याणकारी होता है तथा रात्रि शब्द व्यक्ति के आन्तिरिक दोषो का प्रतीक है। दोनो शब्दो का जोड़ यह स्पष्ट करता है कि परमपिता परमात्मा शिव मनुष्यो की बुराईयो और दोषो को नष्ट कर उनका कल्याण करते है। 


इस अवसर पर आचार्य डा0 धनजंय ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की सर्व धर्म ही धारणा है जो हम धारण करते है उसे ही धर्म कहा जाता है। इस तरह हमे प्रेरणा मिलती है, खुशी मिलती है, हम कर्मों के माध्यम से जीवन को सुखमय बना सकते है। कहा कि कर्म करो पर कर्म मे कभी लिप्त नही होना। डा0 स्वाती मिश्रा ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा की धर्म अर्थात् जो आप धारण करते है। क्या धारण करते है जो हम सोचते है अर्थात् अपने विचार धारण करते है। विचार दो प्रकार के होते है नकारात्मक और सकारात्मक, सकारात्मक विचारो से ही हमे प्यार मिलता है, खूशी मिलती है। श्रेष्ठ बनने के लिए हमे सिर्फ अपनी सोच को अच्छा करने की आवश्यकता है धर्म भी यही कहता है।


डा0 कुलविंदर सिंह ने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साधना ही संस्कारो में तब्दील हो जाती है। इसलिए सााधक बनना ही होगा। रेवरेण्ड फादर फास्तिन जान पिन्टो ने कहा की संसार मे शान्ती, प्यार एवं संगीतमय माहौल तभी पैदा होगा जब मनुष्य ईश्वर के साथ अपना सम्बन्ध जोड़ें। इस दौरान भ्राता सार्थक भाई, बी0के0 सुशील, विजय रस्तोगी, नरेन्द्र थापा, राजकुमार जोशी, माला गुरूंग, ममता रस्तोगी, सरोजनी नेगी, विनिता वालिया, विजयलक्ष्मी आदि मौजूद रहे।