अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: खुद स्थापित होने की कसौटी

अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर विशेष: खुद स्थापित होने की कसौटी



अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर दुनियाभर में विभिन्न आयोजन होते हैं। होने ही चाहिए। आज तक कईयों महिलाओं ने अभूतपूर्व सफलता भी प्राप्त की है। आज महिलाऐं पुरूषो से पीछे नहीं है। वे पुरूषों के साथ कदम से कदम मिला रही है। 


सुखद यह है कि महिला-पुरूषों में बराबरी का दर्जा नजदिक आ चुका है। मगर दुःख इस बात का है कि राजनीतिक स्तर पर वोट मांगने के लिए महिलाओ को खूब इस्तेमाल किया जाता है, किन्तु संसद और विधानसभा में महिलाओं का आरक्षण बिल फाईलो की धूल फांक रहा है। खैर इसके इतर स्वयं महिलाओं ने खुद को साबित करने में कमतर नहीं समझा और अपने-अपने मुकाम हासिल किये। यहां सीमान्त जनपद उत्तरकाशी की कुछ महिलाओं का उदाहरण दिया जा रहा है। हालांकि उनका काम समाज में बहुत ही कम लोग जानते हैं। पर उन्होंने आरक्षण जैसी व्यवस्था का सहारा ना लेकर अपने हुनर का लोहा मनवाया है। ये वे महिलाऐं हैं जिन्होंने राजनीति, समाज विकास, स्वरोजगार व खेल जैसी विद्या में मुक्कमल स्थान प्राप्त किया हैै। 


डा॰ स्वराज विद्वान



डा॰ स्वराज विद्वान मौजूदा समय में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की सदस्या है। जबकि उनके परिवार का पिछला कोई राजनीतिक इतिहास नहीं रहा है। फिर भी वह अपनी प्रतिभा के बलबूते इस पद तक का सफर तय कर गई। ज्ञात हो कि डा॰ स्वराज अपने छात्र जीवन से ही प्रतिभावान रही है। उनके पिताजी शिक्षक है और माता जी एक कुशल गृहणी है। वे पांच भाई-बहने हैं। आम तौर पर सबसे बड़ी होने के नाते उन पर जिम्मेदारियां कम नहीं थी। सो वे सभी जिम्मेदारियों का निर्वहन करती हुई आज वे देशभर में शीर्ष युवा महिलाओं में गिनी जाती है। छात्र जीवन के दौरान वह कुछ समय तक कांग्रेस का दामन थाम रखी थी। वहां उन्हे रास नही आया तो डा॰ स्वराज ने भाजपा की सक्रीय सदस्यता ग्रहण कर ली। इसके अलावा स्वराज ने स्वयंसेवी के रूप में विभिन्न कार्यो को अंजाम दिया। जिसका प्रतिफल यह हुआ कि उन्हे राष्ट्रीय युवा पुरूस्कार, तीलू रौतेली, महिला शक्ति आदि दर्जनो सम्मान पाकर समाज में अपने कामों की पहचान दिलाई। समाजिक कार्यो के साथ-साथ डा॰ स्वराज ने अपने अध्ययन के काम को भी जारी रखा और गढवाल के लोक गीतो का अनुशीलन जैसे विषय पर शोध कार्य पूरा किया। 


विजया जोशी



श्रीमती विजया जोशी को छात्र जीवन से ही सामाजिक कार्य करने की ललक थी। वे अपने गांव और आस-पास के गरीब, असहाय और निर्धन लोगो से लम्बे समय तक मिलती रही, उनका हौसंलाफजाई करती रही। वे घर से निकलती थी और एक ही विचार था कि जो भी महिला बच्चे उसे निराशा की शक्ल में दिखाई देते थे, उनसे बात करना, उनकी पीड़ा को अहसास करके वे उनमें जज्बाती बाते करके उनके भीतर का खोया हुआ विश्वास जगाना श्रीमती जोशी की दिनचर्या बन चुकी थी। फलस्वरूप इसके मौजूदा समय में श्रीमती जोशी उत्तरकाशी के तुनाल्का गांव में विकलांग बच्चों यानि मूकबधीर बच्चों के लिए आवासीय विद्यालय संचालित कर रही है। यह राज्य का एकलौता विद्यालय है जो अशासकीय है। जबकि राज्य में इन विशेष बच्चों के लिए देहरादून में ही मात्र एक राष्ट्रीय दृष्टीबाधीतार्थ संस्थान है। उन्हे राष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर दर्जनो बार सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित किया गया है। कई बार उनके इस नेक काम का क्षेत्र में लोग लोहा मानते है। यही वजह है कि उन्हे यमुना घाटी के सबसे उत्कृष्ट दौलतराम रवांल्टा सम्मान 2019 से नवाजा गया है। 


सीमा चैहान



प्रतिभाओं की कोई सीमाऐं नहीं होती है। प्रतिभाऐं खुद व खुद रास्ता निकाल लेती है। ऐसा रास्ता बनाया सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के नंगाणगांव की सीमा ने। सीमा चैहान गांव की परिवेश में पढी-लिखी। अभी वह स्नातक की पढाई ही कर रही है कि उससे पहले वह राष्ट्रीय फलक पर धाक जमा चुकी है। सीमा ने हाल ही में 400 मी॰ की दौड़ में स्वर्ण पदक भी हथिया लिया।


स्मृति सिलवाल



स्मृति सिलवाल ठेट पहाड़ी गांव से आती है। वहाँ ना तो कोई संगीत एवं नृत्य का स्कूल है और ना ही कभी उनके क्षेत्र में नृत्य, कला, नाटको व अभिनय एवं माॅडल्स बावत प्रशिक्षण हुआ है। आज भी ऐसी स्थिति बनी हुई है। वहां थी तो सिर्फ अक्षर ज्ञान अर्जित करना। फिर भी स्मृति ने फिल्म इंडस्ट्री में कदम रखते ही अभिनय के क्षेत्र मे एक मुकाम कायम किया है। आज स्मृति विभिन्न मल्टीनेशनल कंपनियों के विज्ञापन ही नहीं कर रही है बल्कि दर्जनों नाटकों में उनके अभिनय की चर्चा है। तत्पर्य यह है कि प्रतिभा को कोई भी बैरल रोक नही सकता। यही नही स्मृति की कोई कहीं भी फिल्मो से सम्बंधित पृष्टभूमि नही रही है, ऐसे में स्मृति ने सिनेमा जगत में अभिनय के लिए स्थान बनाया है। सीमांत जनपद उत्तरकाशी के सुदूर गांव पलेठा में जन्मी पली पढ़ी स्मृति आज फिल्म इंडस्ट्री में अभिनय के क्षेत्र में जाना पहचान चेहरा है।