covid-19 इक महामारी 


| | covid-19 इक महामारी | | ( part - 1 )


सम्पूर्ण विश्व जूझ रहा है आज इक महामारी से।
मानव जाति भयभीत हुयी, इस भयावाह बीमारी से।
विषाणु जनित हेै रोग बुरा, शीघ्र ना लक्षण दिखते इसके,
पूर्ण देह को वश में कर लेता, अंतराल में चौदह दिन के।
होने लगते शिथिल अंग अंग, और दवाई बेअसर
तब होता अहसास हमें , बीमारी की लग गयी नजर।
थमने लगी है, सांसें जग में,  चहुं ओर कोहराम मचा।
विषाणु जनित रोग कोरोना से, कोई भी जीवित ना बचा।
प्रश्न ये आशंकित करता सबको, कैसे विषाणु  अस्तित्व में आया।
क्या जैविक अस्त्र बनाकर इसको, मानव पर संकट बरपाया।
ये घटना खुद में इतिहास बनेगी, इंसानी करतूत कहेगी।
कितना खुदगर्ज हो चला है मानव, मानव से हो चला है दानव।
अपनी आदतों में बदलाव किया, पारिस्थितिकी से खिलवाड़ किया।
जिह्वा के रसास्वादन को, निरीह पशुओं का संहार किया।
यूँ  तो कितने ही रोगों से पीडित, पहले भी इंसान रहा।
किन्तु एक साथ सब लोगों ने, इतना कष्ट पहले ना सहा।


 



नोट-यह कविता काॅपीराॅइट के अंतर्गत आती है, कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति अनिवार्य है।