मार्च के अन्त तक रहेगा लाकडाउन

||मार्च के अन्त तक रहेगा लाकडाउन||


आज देशभर में जनता कफ्र्यू था। सो लोग भी इस अभियान का हिस्सा खुलकर बने। मजदूर हो या व्यापारी, कर्मचारी हो या अधिकारी या हो आम नागरिक। लोगो ने कोरोना जैसे घातक वायरस के खात्मा के लिए लाकडाउन का भरपूर समर्थन किया है। निश्चित तौर पर यह जनता कफ्यू के नाम की क्रिया सफल होगी। जैसा की आज दिनभर देखने को मिला है।




इस दौरान लोगो ने पुलिस, स्वास्थ्य कर्मीयों व मीडिया का भरपूर सहयोग दिया। कहीं पर भी कोई अनहोनी की खबर नहीं आई है। लोगो ने सांय के पांच बजे अपने अपने घरो की छत पर चढकर, हाथ में थाली, घण्टी, चम्मच, शंक को उठाकर सम्वेत स्वर में बजाया और पुलिस, स्वास्थ्य कर्मीयों व मीडिया का धन्यवाद ज्ञापित किया। जबकि मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत, राज्यपाल बेबीरानी मौर्य सहित सरकार के अन्य माननीय भी अपने आवास में जनता का धन्यवाद करने इसी शक्ल में आये।



देहरादून के अलावा सम्पूर्ण राज्य में लोग अपने अपने घरो में ही रहे। लोगो ने आवश्यक घरेलू कामों को इत्मिनान से निपटाया। गांव, शहर हो या कस्ब या हों अन्य स्थल, लोगो ने जता दिया कि इस देश की अपनी संस्कृति है, जिसमें करिश्मा है। इधर लोग 21 तारिख की रात्री से ही जनता कफ्र्यू की पोजिशन में आ गये थे। अगली सुबह जहां जहां घरो में अखबार आता था, वहां वहां लोगो के घरो के दरवाजे पर ही देर तक अखबार पड़ा रहा। देर से लोग उठे और घर की चार दिवारी में ही जरूरी काम निपटाने लगे। 22 तारिख को लोग पूरे दिनभर जनता कफ्र्यू में शामिल रहे।


जैसे सांय की पांच बजी वैसे मंदिरो में शंक की ध्वनी बजी क्या, कि लोग अपनी अपनी छतो पर चढकर हाथ में थाली, डण्डा व घण्टी उठाकार बजाने लगे। यह एक प्रकार की स्वस्र्फूत संगीतमयी धुन थी जो सम्पूर्ण वातावरण को गुंजायमान कर रही थी। इस बीच सरकार द्वारा बजाया गया सायरन थाली, घण्टी और शंक की धुनो के साथ कहीं खो गया। लोग फिर से प्रधानमंत्री के सन्देश का इन्तजार कर रहे थे, कि आगामी कदम क्या होंगे। बनस्पत इसके राज्य सरकारो ने इस अभियान की कमान अपने हाथ में ले ली और अगले 31 मार्च तक लाकडाउन की घोषणा कर दी।


उल्लेखनीय हो कि बिना दवा और संयम बरतने से भी लाईलाज बिमारी का खात्मा किया जा सकता है। जो इस देश में ही हो सकता है। बता दें कि यह वही देश है जहां बसुदेवकुटुम्बकम की भावना है। यहां की परम्पराओं में जीवन है। इस देश में अप्राकृतिक कम और प्राकृतिक चीजों का सर्वाधिक इस्तेमाल होता है। वह चाहे दवा की बात क्यों ना हो।


ज्ञात हो कि इस देश के शास्त्रो में ऐसे भयावह बिमारियों का जिक्र भी आता है। मगर तत्काल लोगो ने अपनी ऋषिकुल संस्कृति को नही भूला और खतरनाक से खतरनाक संकटो का सामना किया। आज फिर से 5000 साल बाद वही परिस्थिति बनकर आई है। जबकि कोरोना जैसी बिमारी ईजाद की हुई बताई जा रही है। इसलिए भारत देश के लोग पुरातन संस्कृति को नहीं भूले और प्रयोग के तौर पर जनता कफ्र्यू का ऐलान कर दिया।


देशभर में अलग अलग राज्यों के लोग व सरकारें इस अभियान को और आगे बढा रहे है। जो अब 31 मार्च तक रहेगा। उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंन्त्री ने फिर से ऐसान कर दिया कि लाकडाउन को 31 मार्च तक निरन्तर रखा जाय, ताकि कोरोना वायरसा का यूं ही खात्मा हो जाय।




कोरोना वायरस को देखते हुए सरकार ने राज्य में भले ही 31 मार्च तक लॉक डाउन घोषित कर दिया है, लेकिन विधानसभा के बजट सत्र पर इसका असर नहीं पड़ेगा। अभी तक मिल रहे संकेतों के मुताबिक बजट सत्र का अगले चरण केवल 25 मार्च को ही चलेगा और इसी दिन विभागवार बजट पारित कराने के बाद इसे स्थगित कर दिया जाएगा। हालाकि, इसकी समयावधि को लेकर सभी की निगाहें 24 मार्च को होने वाली कार्यमंत्रणा समिति की बैठक पर टिक गई हैं।