||तुम्हारे जन्मदिन पर||


||तुम्हारे जन्मदिन पर||



चरणस्पर्श करता हूँ, हे! महान आत्मा
आप जो भी हैं, अनुपम व्यक्तित्व की मिशाल हैं।
श्रद्धा और विश्वास की आधार भी, 
एक आदर्श चरित्र और पवित्र गृहस्वामिनी के जज्बात भी हैं।
एक सच्ची पत्नी,
एक सच्चे अरमानों की सात्विक उजास भी हैं
आपका जीवन अखंड हो,
जीवनसाथी,हो यशस्वी और समृद्धशाली। ग्
ईश्वर की  कृपादृष्टिरहे सदैव,
निरोगी और दीर्घायु का उपहार मिले।
असीम प्यार और परम व्यवहार का, अमृत होता रहे समाहित ।
विश्वास की दिव्य त्रिवेणी, दोनों में होती रहे प्रवाहित ।
तुम्हारा सुहाग तुम्हारे मस्तक पर सदा,
सिन्दुर की पराक्रमी लकीर के प्रतीकरूप में।
तेरे सौंदर्य में, वह छवियाँ भरता रहे।
जिसको निहार कर हम जैसे ,
तुमसे जुडे।
साधारण पथिक,
तुम्हारा यशस्वी संसार देखकर
अह्लादित होते रहें।
तुम नारियों में सौम्य आचरण, 
सात्विक प्रवृत्ति तथा उत्कृष्ट चरित्र की हो एक मिशाल। 
अपने मातापिता की हो आदर्श सन्तान
हम जैसे सहपाठी तो याद करते है,
 तुम्हें अपनी प्रेरणा मानकर।
ताकि कर सकें, गौरवशाली और छत्रपति राहों पर,
चलने की क्षमता और विवेक अर्जित। 
तुमसे कभी मैं बात नहीं कर पाया,
न ही अपनी भावनाओं को तुम तक पहुंचा पाया।
तुम मुझे नहीं जानती जरा सा भी।
पर हृदय से रहा पवित्र रिश्ता,
कृष्ण और द्रोपदी सा।
परम स्नेह की संजीवनी जिससे छलकती थी,
नहीं था कोई स्वार्थ जिसमें।
ना ही कोई छल, और ना ही रंचमात्र भी डर ।
बस वही भावना, वही अपनत्व,
बस वही श्रद्धा विश्वास।
तुम्हारे प्रति मेरे अन्तःकरण और मन में,
अनायास ही उमडता रहता है।
मैं कृष्ण भी नहीं हूँ कि,
दिव्यताओं को तुम्हें एहसास करा पाता।
तुम्हारे पवित्र और मंगलकारी जीवन्त सानिध्य का,
सौभाग्य और संस्कार अर्जित कर पाता।
जब.जब याद आती है मुझे तुम,
 और तुम्हारे शालीन व्यक्तित्व की लाजवाब छवियाँ।
 मैं करता हूँ, बारम्बार कोटि-कोटि प्रणाम तुम्हें।
और माँगता हूँ ईश्वर से, तुम्हारे लिए
असीम शुभकामनाएं।
सदैव सुखी रहे तुम्हारा वैवाहिक जीवन,
शान्ति और आनंद से पूर्ण।
शरदपूर्णिमा की शीतलता,
तुम्हारे आचरण और सौंदर्य की खुशबू बनकर, 
यशकीर्ति को तुम्हारी, कालजयी बनाते जाय।
यह भावनात्मक पुष्प रूपी, काव्यात्मक स्वर,
तुम्हें उपहार देना चाहता हूँ  शुभकामना के स्वरूप में
तुम्हारे जन्मदिन पर।   
तुम्हे उपहार देने के लिये, आखिर है ही क्या।
मुझ जैसे विद्रोही आत्मा के पास, सिवाय इसके।।



लेखक प्रवीण तिवारी 'रवि आभा' शिक्षक हैं, साथ ही लेखन में भी अभिरुचि रखते हैं |