कोरोना संकट - इससे पहले कि वे आज भूखे सो जाते


|| कोरोना संकट - इससे पहले कि वे आज भूखे सो जाते|| 

 

सुबह हमें सूचना मिली कि नई टिहरी प्रेस क्लब के निकट छह नेपाली पल्लेदार भूखे रहने की स्थिति में आ गए हैं। जिन्होंने सूचना दी, उन्होंने कल उन्हें दो किलो आटा दिया था। कल काम चल गया। लेकिन आज सूचना देने वाले मकानसिंह स्वयं भी एक दुकान में काम करते हैं, वह भी आजकल बंद। ज्यादा मदद नहीं कर पाएंगे। उन्होंने अपने लिए कुछ मांग नहीं की। कहा वे तो लोकल हैं, काम चला लेंगे। लेकिन इन्हें यहां कौन मदद करेगा।

 

मकानसिंह ने बताया कि ये मजदूर तो बाहर भी नहीं आ पा रहे हैं। मकान सिंह को लेकर हम नागरिक मंच की पुलिस पास वाली गाड़ी लेकर पल्लेदारों के डेरे पर पहुंचे। चेहरे बुझे हुए। दो हफ्ते से कोई काम नहीं।

हालांकि तब तक हमारे पास खाद्य सामग्री भी थोड़ी सी ही रह गई थी। लेकिन अब वे दो - तीन दिन काम चला लेंगे। शहर के अन्य मददगार भी आगे इनका ध्यान रखें। चार पल्लेदार उनियाल जी और दो राणा जी के मकान के निचले कमरे में रह रहे हैं। जुगराम, राम कृष्ण, खगेन्द्र, दिलबहादुर, तिल बहादुर और हरी इनके नाम हैं। ये तो हमारे सर्वे में भी छूट गए थे।

 

इनके अलावा कहीं और भी ऐसे जरूरत मंद हो सकते हैं। हो सकता है, आपके आस - पास ही हों। कृपया ध्यान रखिएगा। लॉकडाउन के चलते फिलहाल रोजी रोटी खो चुके ध्याड़ी मजदूरों के लिए महिलाओं ने बना डाला ये अनोखा नाश्ता।



 

"रोटाना"

पंद्रह - बीस दिन तक भी नहीं होता खराब।

मेरे अनुरोध पर मेरे पड़ोस की महिलाओं ने बनाया और पांच पैकेट बन गए। सब्जी रोटी पहुंचाना आसान नहीं। एक मजदूर चाय में दो भी खाएगा तो नाश्ता हो जाएगा। कुछ मजदूरों के साथ बच्चे भी हैं। बच्चों के लिए टेस्टी और पौष्टिक।

और हां, हम पहाड़वासियों की ओर से प्रवासी मजदूर भाईयो को भेंट भी.