लाॅकडाउन: संयम बरते और जैविक खाना खायें


||लाॅकडाउन: संयम बरते और जैविक खाना खायें||


सम्पूर्ण देश कोरोना वायरस की महामारी के संकट से जूझ रहा है। इस दौरान विभिन्न लोगो की विभिन्न समस्याऐं सामने आ रही है, साथ ही विविध प्रकार के सुझाव भी सुनने को मिल रहे है।


यहां उत्तराखण्ड में नरेश नौटियाल, लत्ता नौटियाल और द्वारिका सेमवाल ऐसे उद्यमी हैं जो राज्य के कईयों नौजवानो को स्वरोजगार से जोड़ चुके है। लाॅकडाउन के समय उनके अनुभव और वे समाज को सन्देश दे रहें है कि यह वक्त संयम का है। साथ ही बता रहे हैं कि इस दौरान सबसे जरूरी होगा कि लोगो को खाद्य सामग्रीयों का उपयोग सन्तुलित रूप से करना होगा।



सामाजिक कार्यकर्ता व उत्तराखण्ड में बीज बम के जनक द्वारिका सेमवाल मानते हैं कि कोराना वायरस को हराना कोई मुश्किल काम नहीं हैं, लोगो को इसके असर को समाप्त करने के लिए समाजिक दूरियां बनानी ही होगी। मानते हैं कि भारतीय समाज को एक बार फिर से अपने ग्रन्थो और ज्योतिष विज्ञान की ओर लौटना होगा। अपने वेद-पुराणो में कईयों बीमारियों का कारगर ईलाज है। बिना दवा की ऐसी व्याधीयां समाप्त हुई है।


दीपक जलाना, कांस की थाली को पीटना या पूजा-पाठ अथवा हवन की सामग्री में भी संक्रमण बीमारी का ईलाज है। वे आगे बताते हैं कि अपने राज्य में ऐसी खाद्य सामग्री है, जिससे स्वास्थ्य को कोई भी वायरस जल्दी से प्रभावित नहीं कर सकता है। वे गढभोज की खूब पैरवी करते हुए कहते हैं कि यहां के रागी का आटा अथवा मण्डवा का आटा, लाल चावल, रामदाना, जीना, कौणी, झंगोरा या पहाड़ी मसाले बीमारी को मात देते है। इसलिए उनका सुझाव है कि खाद्य सामग्री के साथ-साथ लोगो को लाॅकडाउन का पालन करना ही चाहिए।



राज्य में स्टार्टअप का चीर-परिचित चेहरा नरेश नौटियाल का कहना है कि लाॅकडाउन के समय में लोगो को असुविधा तो हो रही होगी। मगर इस महामारी से बचने के उपाय समाजिक दूरियां ही करेगी। वे अपने अनुभव बांटते हुए कहते हैं कि उनका मौजूदा समय में पहाड़ी उत्पादो का बड़ा कारोबार आरम्भ होने वाला था। सो कोरोना वायरस के कारण सबकुछ ठहर गया है। चूंकि लोग स्वस्थ होंगे तो कारोबार फिर से आरम्भ हो सकता है। वे लोगो को सलाह दे रहे हैं कि अच्छा हो कि लोग घर पर ही रहें और ताजा खाना खायें। यही नहीं ऐसी कोशिश निरन्तर बनी रहे कि लोग जैविक खाना ही खायें। उनके पास वर्तमान में पहले की अपेक्षा दुगुने फोन आ रहे हैं कि उन्हे पहाड़ी उत्पाद ही चाहिए। मगर वह लोगो तक नहीं पंहुच पा रहे हैं। वे बताते हैं कि कोरोना वायरस के कारण लोगो को अपने जैविक उत्पादो की फिर से याद आने लग गई है। उनका भी मानना है कि संयम, स्वयं की सुरक्षा और जैविक खाद्य पदार्थो की उपयोगिता लोगो ने उन्हे इस माहौल में अहसास करवा दिया है। वे भविष्य में जैविक खाद्य सामग्रीयों को एक बडे बाजार का रूप देंगे। सबसे पहले वे लोगो से प्रधानमंत्री की अपील के अनुरूप स्वास्थ्य सुरक्षा की सलाह बांट रहे हैं।



परास्नातक पढी-लिखि लता नौटियाल लोगो को ताजा खाना खाने की सलाह दे रही है। पैक्ड खाने से लोगो को दूर रहने को कहती है। लता नौटियाल भी राज्य में महिला उद्यमिता की जानी-पहचानी चेहरा है। वे महिलाओं को स्वावलम्बी बनने के लिए खाली समय के सद्पयोग करने को कहती है। लता ने वर्तमान में सील (सीलबट्टा) से पीसा नमक की राज्य में एक पहचान बनाई है। वे नमक को छः प्रकार से पीसती है। अकेले देहरादून में उनके सील के नमक की इतनी मांग हो गई कि वह पूरा नहीं कर पा रही है। वह अपने मूल गांव देवलसारी के आस-पास लगभग दो दर्जन महिलाओं के साथ स्वरोजगार के कामो को आगे बढा रही है। उनका इस कार्य में सील से पीसा नमक सर्वश्रेष्ठ है। उनका कहना है कि वह मसाला, नमक जैसी चीजो को सील में ही पीसती है, इसे ही उपयोग करती है। आम तौर पर पैक्ड मसाले ही कब्ज या संक्रमण जैसी को बीमारी को न्यौता देते हैं। इसलिए आज भोजन में संन्तुलित भोजन करने की नितान्त आवश्यकता है। इस तरह से कोरोना जैसी महामारी से बचा जा सकता है।