"""""""""""ताकि तेरा होना""""""


||ताकि तेरा होना||



तेरे आँखों में
सागर रहता है
तेरे दिल में
गंगाजल बहता है
तेरे रगों-रगों में
मलयानिल मन्द-मन्द मुस्काता है
इसलिए तेरे रूप को
अपलक निहारता रहूँ
तेरे सौंदर्य में
डूबता उतराता रहूँ
हो सकता है ,इसी से
मुझमें मानवीयता की
चरम परिणित समा जाये
कुछ कर गुजरने की रणनीति
मेरे व्यक्तित्व में
जड़मूल से अंकुरित होकर
महाविशालकाय वृक्ष बन
अनंत राहियों को
सुख शांति का
सुखद एहसास कराये
ताकि तेरा होना
मेरे लिए
आकाश सदृश्य बनकर
अपने वजूद को
सर्वत्र स्थापित करवाता रहे
स्वाभिमान की गूँज बन
सूरज सदृश्य जलने लगे
ताकि यह परिवेश
सारा प्रकृति
रात्रि के घनघोर कालिमा में भी
अपने गंतव्य पर
हँसते हुए
गतिमान होता रहे।।



 लेखक राजकीय आदर्श इण्टर काॅलेज मोरी, उत्तरकाशी में प्रवक्ता हिन्दी के रूप में कार्यरत हैं। एक काव्यसंग्रह, ’मैं भी साकार कर सकूँ’ प्रकाशित।