विशु त्यौहार भी जौनसार बावर के प्रमुख

||विशु त्यौहार भी जौनसार बावर के प्रमुख||

 

पर्व में से एक है यह पर्व बैसाखी से जुड़ा है, बैसाखी के दिन अर्थात चैत्र मास की समाप्ति और वैशाख के प्रारंभ का दिन ही बैशाखी है ,आज के दिन से ही जौनसार बावर में विशु प्रारंभ होता है मैदानी भागों में यह पर्व गंगा स्नान से जुड़ा है लोग गंगा में स्नान करते हैं जौनसार में भी कुछ लोग यमुना के पवित्र जल में स्नान करते हैं लेकिन यहां इस पर्व का संबंध बसंत ऋतु है ,चारों तरफ हरी-भरी बन की चादर मन में खुशी की लहर धरती अपने हाथों से प्रकृति का रंग, सवारती है ऋतुराज बसंत का आगमन होता है अनेक जाती प्रजाति के फूल खिलने लगते हैं.,

 

गांव गांव में खुशी की लहर पारंपारिक नृत्य समस्त जौनसार बावर में होते हैं जो इस वर्ष क्रोना जैसे महामारी के वजह से विश्व पर्व सभी स्थगित कर दिए हैं विभिन्न जगहों पर लगने वाले मेले में फुलयात से लेकर तांदी धूमसुं जौनसार बावर विशु से 1 माह पहले गोगा पूजन कार्य चलता है जिसमें गांव के छोटे छोटे नन्हे मुन्ने बालक बालिकाएं अपने अपने पंचायती आंगन में एक छोटा सा मंदिर बना कर प्रातः सूर्य की किरणों से पहले उठकर पूजा करके घर में आकर अपने बड़े बुजुर्गों के कान में फूल लगाकर उनका आशीर्वाद लेते हैं अपने पूजा के स्थल और खाने बनाने के चूल्हे दरवाजों की पूजा करके यह बच्चे इस गोगा की पूजा करते हैं 8 दिन पूरे होने के बाद बच्चों की एक विशेष डिमांड की डिश बना कर अठीडी मनाई जाती है उसके बाद 15 दिन पूरे होने पर अरदेवड़ी और फिर अष्टमी में फुलयात बुरांश के फूलों का गुलदस्ता बनाकर मकान के छत पर लगाया जाता है मंदिर में लगाया जाता है उसके बाद ठीक बैसाखी से 1 दिन पहले गोगा को गिराया जाता है.

 

विशु पर्व के दिन फुल यात लाई जाती है और बाजे गाजे के साथ गांव के आंगन में फुल जातियों का प्रवेश घरों में बने हुए पापड़ मंदिर में पूजा अर्चना करके चढ़ाए जाते हैं फूल माला में पथराव किया जाता है एक पुरानी कहानी के आधार पर गोगा नामक पीर जोकि बच्चों का वध किया करता था उसके भय से बचने के लिए इस गोगा पीर को पूजा में लाया गया बताया जाता है की बच्चों ने वादा किया था की एक माह तक आपकी पूजा को हम लगातार प्रातः कालीन करेंगे इसका कोई लिखित दस्तावेज मुझे मिला नहीं लेकिन कहानी से कुछ अनुमान सही भी निकलता है इस वर्ष गोगा पूजा विधि क्रोना नामक वायरस के चलते लगभग 8 दिन में ही स्थगित हो गई थी और हमारे यहां बच्चों ने अपने घर से ही गोगा की तरफ पूजा कर दी मंदिर में इकट्ठे बहुत कम हुए जौनसार बावर के इतिहास में ऐसा पहले बार देखने को मिला कि जब कोई पर्व हुआ हो तो इतना सा सन्नाटा रहा यहां एक अच्छा निर्णय था जब विश्वव्यापी महामारी के चलते सभी त्यौहार स्थगित किए गए