लाॅकडाउन : याद आए रमेश पुरी ' तूफान ' 
||लाॅकडाउन : याद आए रमेश पुरी ' तूफान '||

 

लाॅकडाउन के इस माहौल में शहर के एसे लोग याद आ जाते हैं जो कलम की जादूगरी से लोगों को स्पंदित करते रहे । शायर रमेश पुरी तूफान उन्हीं में से एक थे । वे क्रान्तिकारी एम एन राय की विचार धारा से प्रभावित रहे । तूफान जी का मानना था कि सच कड़वा होता है । उसे कहना चाहिए क्योकि वह कल्याणकारी होता है । घोसी गली के आसपास उनसे मुलाकात हो जाती थी । 1914 में मायापुर हरिद्वार में जन्मे रमेश पुरी' तूफान 'ने तलाशे- राह,रहनुमा ए अदब( उर्दू ) व अगली मंजिल (हिन्दी )का संपादन किया ।तुगयानियां-गजल संग्रह उर्दू में प्रकाशित की । इसके साथ साथ एम एन राय की पुस्तकों का अनुवाद भी किया । उनके मुक्तको का एक संग्रह " कुछ याद रहा कुछ भूल गए " 1984 में प्रकाशित हुआ । उसी संग्रह से -

 

आज इन्सान के गम खार कहाँ मिलते हैं

आदमी के परस्तार कहाँ मिलते हैं

यूँ तो मिलने को हर इक चीज ही मिल जाती है

खल्क में साहिबे किरदार कहाँ मिलते हैं ।

 

मैं शहर के ऐसे रचनाकार को नमन करता हूँ । कुछ मित्रों को और जानकारी हो तो साझा करें ।