||माँ मेरी है जीवन ज्योति||


मां सबसे प्यारी होती है, और वो भी खुशनसीब होते हैं जिन्हें मां का प्यार और आर्शीवाद मिलता है। आज मातृ-दिवस है। लेकिन मैं सोचती हूं कि हर दिन ही मां का होता है। मां को समर्पित मेरी भावनाओें ने कविता का रूप इस प्रकार धारण किया है।


||माँ मेरी है जीवन ज्योति||


मैं तुझमें ऐसे हू माँ, जैसे सीपी में मोती।
तेरा ही प्रतिरूप हूँ मैं, तू है मेरी जीवन ज्योति।।
माँ से है दुनिया की खुशियाँ,
माँ बिन सूनी है ये दुनिया।
माँ का है हर रूप निराला,
प्रेम तेरा अमृत का प्याला।
मेरी निश्चल आँखों में तुम,
जीवन के सपने संजोती।
मैं तुझमें ऐसे हूं माँ, जैसे सीपी में मोती।
तेरा ही प्रतिरूप हूँँ  मैं, तू मेरी है जीवन ज्योति।।
बिन कहे आज भी मेरा दर्द, 
महसूस तुझें है होता ।
तुम ही जागी हो साथ मेरे, 
जब ये सारा जग है सोता।
अपने आंचल की छांव तले, 
मेरी पीड़ा तुम हर लेती।
मैं तुझमें ऐसे हूं माँ, जैसे सीपी में मोती।
तेरा ही प्रतिरूप हूँ मैं, तू मेरी जीवन ज्योति।
माँ अपना सुख-दुःख ना जाने, 
बच्चों के सुख को सुख माने ।
वो किस्मत वाला कहलाया, 
जिसने माँ का आँचल पाया।
सफल न होता जीवन उसका, 
जिसने माँ का दिल दुखाया।
माँ का ऋण हम दे नहीं सकते,
माँ है सबकी जीवन ज्योति।
माँ है सबकी जीवन ज्योति।
नोट- ये कविता काॅपीराइट के अंतर्गत आती है, कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति अनिवार्य है।