चीन के सामान का वहिष्कार, पांच घण्टे में 50 हजार लोग हुए साथ

||चीन के सामान का वहिष्कार, पांच घण्टे में 50 हजार लोग हुए साथ||




आम जनता और सरकार के बीच के फासले को हमने पांच घण्टे में करीब से देखा है। मामला देहरादून के गांधी पार्क के बाहर पांच घण्टे के सांकेतिक प्रदर्शन का है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता और हिमालय पर्यावरण जड़ीबूटी एग्रो संस्थान के संस्थापक द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने चीन के उत्पादो के इस्तेमाल और खरीदने के विरोध बावत यहां पाच घण्टे का सांकेतिक प्रदर्शन किया है। सिर पर मुकुट, हाथ में दफ्ती और उस पर अंकित चीनी उत्पादो का बायकाट करो, अपने देश से ऐसे सामग्री को बाहर करो आदि नारे। इससे पहले वह चीन सीमा पर शहीद हुए सैनिको को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए लोगो को ऐसा संन्देश दे रहे है।


बता दें कि इस पांच घण्टे के सांकेतिक प्रदर्शन में लोग कैसे साथ हुए, वह मेरे लिए आश्चर्य था। गांधी पार्क का भीड़भाड़ वाला क्षेत्र, जबकि मौजूदा समय में कोरोना संकट के कारण लोग बाहर कम ही निकल रहे है। फिर भी जो नजारा पांच घण्टे के आन्दोलन में सामने आया वह काबिलेतारिफ था। यहां एक मिनट में 60 गाड़ियां (दो और चार पहिया) गुजर रही थी। इस तरह से पांच घण्टे में कुल 18 हजार गाड़िया गुजरी है। ऐसा कोई भी गाड़ी वाला नहीं था, जिसने थोड़ा रूककर समर्थन नहीं दिया होगा। ये सभी गाड़ियां व्यक्तिगत ही थी। जिसमें दो या उससे अधिक लोग बैठे थे। अगर आंकड़ो पर जायें तो पांच घण्टे में लगभग 50 हजार लोगो ने द्वारिका प्रसाद सेमवाल का समर्थन इस बात से किया कि वे भी चीनी सामान का पुरजोर विरोध करते है। सभी आते-जाते लोगो ने चीनी सामान का विरोध और शहीदो को सिर झुकाकर श्रद्धांजलि अर्पित की है। इस आंकड़े में पैदल आने-जाने वाले नागरिको को नहीं जोड़ा गया है। वे तो इस प्रदर्शन में सम्मिलित हुए ही हैं।


खैर! यह तो रही आंकड़े बाजी। इससे इतर लोगो ने जो भावनात्मक सहयोग इस पांच घण्टे के आन्दोलन को दिया, उसका लब्बोलुआम यही था कि अपने देश में एक बड़ा बाजार है, कुशल कारीगर है, कुशल मजदूर है, कुशल तकनीकीशियन है, कुशल व्यवसायी है, और बहुत कुछ जिसमें कुशलता की मिशाल हम भारतीयों की पूरी दुनियां में है। मगर भारत की सरकारें चीनी उत्पादो को यहां इनपोर्ट करने में आमाद है। यही नहीं बड़े-बड़े कार्यो को भी संपादित कराने में अपनी सरकारें चीनी सरकार पर विश्वास करती है। इसका हश्र यह हो रहा है कि चीनी सामान के आने से अपने देश की अर्थव्यवस्था पर संकट आने लग गया है। लोग स्वावलम्बन की जगह परावलम्बन की तरफ बढ रहे है। देश की भीतरी ताकते कमजोर हो रही है। जानकार नागरिक पलायन कर रहे है। और-और तो चीन सीमाओ पर घुसपैठ कर रहा है। पड़ोसी देशो को भारत के विरोध में उकसाने की पूरी कोशिश कर रहा है। बहुत कुछ इस पांच घण्टे में लोगो के चेहरे कह गये।


उल्लेखनीय यह है कि एक दिन के पांच घण्टे तक सांकेतिक प्रदर्शन कर रहे द्वारिका प्रसाद सेमवाल खुद में स्वदेशी खाता है, स्वदेशी पहनता है और स्वदेशी बीज, पौध, पेड़ आदि खाद्य पदार्थो का उत्पादन भी करता है। इस प्रदर्शन में जुड़ रहे लोग श्री सेमवाल को कह रहे थे कि यही स्वदेशी की असली निशानी है। सामान्य चप्पल और खादी पहने श्री सेमवाल के प्रदर्शन को देखते हुए कुछ लोग अपने घर गये और घर में पड़े चीनी सामान इलैक्ट्रिक्स, खिलौने, साज-सजा सामग्री आदि उठाकार लाये और प्रदर्शन स्थल पर सभी के सामने नष्ट कर दिया। इस तरह लोगो की नाराजगी स्पष्ट दिखाई दे रही थी। 


यह प्रदर्शन कुछ समय के लिए पैदल यात्रा में बदल गया। जो घण्टाघर होते हुए पल्टन बाजार, मच्छी बाजार, कोतवाली, धामावाला, हनुमान चैक व साहरनपुर चैक तक रही। श्री सेमवाल दुकानो में जाकर व्यापारियों और राह पर गुजरने वाले राहगीरो से यही कह रहे थे कि स्वदेशी अपनाओं, यही शहीदो के प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। इसका भी एक ही जबाव मिला कि सरकार चीनी सामान के इनपोर्ट पर एकदम प्रतिबन्ध लगवा दे। और जो चीनी सामान अपने देश में आ चुका है, उस पर कोई प्रतिबन्ध ना हो। क्योंकि जो सामान आ चुका है, उसकी लागत व्यवसायी लोगो की तरफ से जा चुकी है। मगर भविष्य में कोई सामान चीन का अपने देश में ना आये, इस पर एकदम प्रतिबन्ध लगना ही चाहिए। तर्क दिया है कि अपने देश में बनाने वाले, बनवाने वाले और बाजार उपलब्धता की कोई कमी-कसूर ही नहीं है। इसलिए सरकार को इस बात पर त्वरित कार्रवाई करनी होगी। अन्यथा देश की ताकत बाहर जाने लग गई है। वह चाहे शारीरिक हो या मानसिक हो अथावा संसाधन आदि की हो।