||प्रकृति मुस्कुराती है||


अंकुर नौटियाल ने शिक्षा में परास्नातक हैं, साथ ही उन्होंने स्पेशल बी.एड. किया है। स्पेशल बच्चों को पढ़ाती हैं। आकाशवाणी देहरादून से प्रसारित होने वाला कार्यक्रम ‘युववाणी’ की होस्ट हैं।
संगीत, नृत्य, पठन-पाठन में रूचि होने के साथ ही कविता लेखन में इनकी विशेष रूचि है।


एक 


||जून तुम्हारा स्वागत है||


जून, यूँ तुमसे जुड़ा है नाता,
जैसे कोई बचपन का साथी हो।
चिलचिलाती गर्मी का एहसास दिलाकर,
हमको छुट्टियों का एहसास जताकर।
हाँ, फिर से तुम आए हो,
जून तुम्हारा स्वागत है।
पर, कहाँ वो आलम है?
छुट्टियाों का तो एहसास है,
पर उम्मीदों के अनसुलझे जवाब है।
इस बार जो आए हो, 
नई सौगात साथ लाए हो।
मौसम की नई करवट लेकर,
घर पर ही हमें बैठाए हो।


दो


||प्रकृति मुस्कुराती है||



कितना मनोरम लगता है,
जब पक्षियों की चहचहाहट होती है।
मोर नृत्य करते इक तरफ,
पेड़-पौधे लहलहाते हैं।
सदियों से खड़े पहाड़,
उस धुंध की चादर ओढ़े।
कितना मनोरम लगता है, 
जब ऐसा समां दिखता है।
यूं सुंदरता की चादर ओढ़े,
तब पर्यावरण मुस्कुराता है।
खुले आसमां के नीचे बैठ, 
जब भी वक्त बिताती हूँ।
तेरी ठंडी-ठंडी छांव से,
मैं यूं ही मुस्करा जाती हूँ।
मिट्टी की वो भीनी-भीनी खुशबू,
दिल को ऐसे लुभाती है,
सच में कितना मनोरम लगता है,
जब प्रकृति मुस्कुराती है।