नयी कविता के जनक की साहित्यिक यात्रा 

||नयी कविता के जनक की साहित्यिक यात्रा||

 

आज हिन्दी के प्रख्यात कवि, नई कविता के प्रणेता एवं अनूठे गद्यकार पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जी का जन्म दिन है. आज ही के दिन १ जुलाई १९४४ को जगूड़ी जी का जन्म टिहरी गढ़वाल के धगणगांव में हुआ था. १९५९ में परिवार उत्तरकाशी जिले के गेंवला गाँव में बस गया. १३ सितम्बर १९७० को बाढ़ और भूस्खलन में इनके परिवार के 6 लोगों की मौत हो गई थी.घर तथा खेती पूरी तरह नष्ट हो गई. इस विस्थापन के बाद जोशियाड़ा (उत्तरकाशी) में नीड़ का निर्माण, किन्तु वर्ष २०१३ की भागीरथी में आई बाढ़ में पूरा घर बाढ़ में बह गया.

 

जगूड़ी जी का जीवन संघर्षों से भरा हुआ रहा. वे मात्र ११ वर्ष की आयु में घर से भाग गए थे तथा अनेक शहरों व प्रातों में कई प्रकार की जीविकायें करते हुए अनियमित क्रम में हिन्दी साहित्य से एम ए तक की पढ़ाई पूरी की.

 

जगूड़ी जी जब भी उत्तरकाशी आते थे तो मैं उनका सानिध्य पाने हेतु उनके आवास पर चला आता था. आदरणीय जगूड़ी जी अपने जीवन की घटनाएं सुनाते थे तो मैं चकित रह जाता था. सेना में नौकरी से लेकर रात के चौकीदार तक कई प्रकार की नौकरियां करने वाले जगूड़ी जी के निजि जीवन के संघर्ष हैरत में भी डालते हैं और एक गरीब परिवार में जन्में एक किशोर की अजेय जिजीविषा की भी गवाही देते हैं.

 

जगूड़ी जी की कविताएँ आज के जीवन की व्यथा- कथा के अनुभवों को स्पष्ट वाणी देती हैं. उनकी कविताओं में अकथित और अज्ञात के भी अनुभव मिलते हैं. वे हर बार कविता की नई प्रजाति व संस्कारों को जन्म देते हैं.

 


जगूड़ी जी का रचना संसार--

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1- शंखमुखी शिखरों पर

2- नाटक जारी है

3- इस यात्रा में

4- बची हुई पृथ्वी

5- अनुभव के आकाश में चांद

6- महाकाव्य के बिना

7- ईश्वर की अध्यक्षता में

8- खबर का मुंह विज्ञापन से ढ़का है

9- जितने लोग उतनें प्रेम

10- कविता का कर्मफल.





पुरस्कार/ सम्मान

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- साहित्य अकादमी पुरस्कार

- रघुवीर सहाय सम्मान

- व्यास सम्मान

- भारतीय भाषा परिषद शरद सम्मान

- नमित पुरस्कार

- आकाशवाणी पुरस्कार

- उप्र हिन्दी संस्थान सम्मान

और-

हिन्दी साहित्य में विशिष्ट योगदान के लिए- पद्मश्री सम्मान .



हिन्दी कविता के पुरोधा एवं नई कविता के प्रणेता पद्मश्री लीलाधर जगूड़ी जी को उनके ७७ वें जन्मदिन की बहुत -बहुत बधाई एवं अनेकानेक मंगलकामनाएं.



 


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हत्यारा पहने हुए है सबसे महंगे कपड़े

हत्यारे के सारे दांत सोने के हैं पर आंते पैदायशी

हत्यारे के मुंह में जीभ चमड़े की पर चम्मच चांदी का है

हत्यारे का पांव घायल मगर जूता लोहे का

हाथ हड्डी के मगर दस्ताने प्लेटिनम के हैं

हत्यारे के पास करने के लिए हैं कई वारदातेकं

कई दुर्घटनायें

देने को हैं कई जलसे कई समारोह

कई व्यवस्था- विरोध और कई शोक-सभाए

मगर अब तो वह विचार भी देने लगा है

पहले विचार की हत्या के साथ

हत्यारा चाहता है तमाम सुंदर और मजबूत विचार

हत्याओं के बारे में

वह चाहता है जितने भी सुंदर और मजबूत विचार हों

सब उसी के हों

वह फेंके और विचार चल पड़ें

वह मारे और विचार जीवित हों

वह गाड़े और विचार फूट पड़ें

हत्यारा पूरा माहौल बदलना चाहता है

वह आए और शब्द सन्नाटे में बदल जांय

वह बोले और भाषा जम जाए

हत्या हो समारोह हो और विचार हों सिर्फ उसके