||सुलगने लग गई पृथक जनपद की मांग||
सन् 1967 में जब जौनसार बावर को जन जाति क्षेत्र घोषित किया गया था, तत्काल ही यमुनाघाटी को पृथक जनपद की मांग जोरों पर उछल गई थी और यह मांग लगातार क्षेत्रवासियों ने विभिन्न स्तरो पर उठाई है। इस बात को राज्य सरकार से यमुनाघाटी के लोगो ने कई मर्तबा लिखित एवं मौखिक रूप से कहा है। पिछली निशंक की सरकार ने इस बात पर गौर भी किया था, मगर यमुना घाटी के लोगो की यह प्रमुख मांग ठण्डे बस्ते मे ही जमा हो गई है।
विशेष सूत्रो से मालूम हुआ है कि मौजूदा मुख्यमंत्री राज्य में उठे जिलो की मांगो को आगामी विधानसभा के चुनाव से पहले इसे भुना सकते है। यह मात्र सुन सुनाई खबर है। इसमें सत्यता कितनी है जो समय के गर्त मे है। अलबत्ता उत्तरकाशी की यमुना घाटी पृथक जनपद की मांग लोगो की वर्षो पुरानी है। उधर कांग्रेस व बसपा से जुड़े कार्यकर्ताओं का कहना है कि यह एक राजनितिक स्टंट है। अगर यमुनाघाटी को पृथक जनपद का दर्जा देना होता तो भाजपा ने यह सŸाा संभालते क्यों नही किया है। उधर आम नागरिको में चर्चा का माहौल गरम है। लोगो का कहना है कि सरकार यमुनाघाटी को पृथक जनपद का दर्जा देती है तो वे इसका स्वागत करेंगे।
ज्ञात हो कि स्थानीय लोगो का राजनीतिक पार्टियों से विश्वास उठ चुका है। सन् 1967 के बाद यमुनाघाटी के लोगो का राजनेताओं ने पृथक जनपद के बहाने लाॅलीपाॅप दिखाने के सिवाय और कुछ नहीं किया है। इस दौरान यमुनाघाटी विकास संघर्ष मोर्चा, समता आन्दोलन, यमुनाघाटी प्रधान संगठन, विभिन्न राजनैतिक पार्टियों के निचले स्तर के कार्यकर्ता ने तो बकायदा क्षेत्र मे बिगुल फंूक दिया है कि यमुनाघाटी को पृथक जनपद नहीं बनाया गया तो वे इस बाबत क्षेत्र की जनता को आन्दोलित करेंगे। लोगो का कहना है कि भाजपा की कार्यशैली आगामी विधानसभा चुनाव में सवाल खड़ा कर सकती है। लोगो से किये वायदे अब तक भी पूरे नहीं हुए हैं। अब कोरी घोषणाओ से लोगो को मुगालता में रखा जा रहा है।