अब बाघ नहीं पुलिस का ख़ौफ है।

||अब बाघ नहीं पुलिस का ख़ौफ  है||



उत्तराखण्ड ऐसा विचित्र राज्य हैं जहां पर लोगो को दो तरह का ‘डर’ सताता है। एक प्राकृतिक और दूसरा काल्पनिक। प्राकृतिक डर से बचने के लिए लोगो के पास साधन है। पर काल्पनिक डर से बचने के कोई साधन नही हैं। बचाव के बाद लोग खुद ही इस जंजाल में फंस जाते है। जैसे आजकल यमुना घाटी में हो रहा है। यहां काल्पनिक डर का अर्थ पुलिस से और प्राकृतिक डर का तात्पर्य बाघ से है।


ज्ञात हो कि मौजूदा समय में यमुना घाटी में नगदी फसलो का तैयार होना और उन्हे मण्डी और स्थानीय स्तर पर बेचने का दृश्य आप यदा-कदा देख सकते है। यानि विकासनगर से यमनोत्री तक अधिकांश जगहों पर सड़क के किनारे स्थानीय काश्तकार अपनी नगदी फसलो को बेचते है। मामला नौगांव विकासखण्ड के तुनाल्का गांव का है, जो बड़कोट पुलिस थाना के अन्र्तगत आता है। तुनाल्का गांव ऐसे पंहुच के स्थान पर है जो राष्ट्रीय राजमार्ग से जुड़ा है। गांव के अधिकांश लोग खेती किसानी से जुड़े है। इसलिए वे अपनी नगदी फसलो को यथा स्थान यानि सड़क के किनारे बेचने की कोशिश करते है। 


तुनाल्का गांव या यमुनाघाटी के किसी भी गांव में बाघ का डर नही है। मगर तुनाल्का गांव में जो लोग आजकल सड़क किनारे सब्जी व अन्य नगदी फसलो को बेच रहे है उन्हे बड़कोट पुलिस का ख़ौफ  सता रहा है। लोग उसी समय नगदी फसलो की रेहड़ी सजा देते है। उसी समय बड़कोट पुलिस सतबीर नामक दारोगा के नेतृत्व में तुनाल्का पंहुचकर रेहड़ी को बिना वजह हटाने का फरमान सुना देती है। यह दारोगा इतना खौफ़नाक माहौल बनाता है कि कई बार ग्रामीण काश्तकार अपनी रेहड़ी से भाग जाते है। या इस दारोगा को किसी तरह से खुश करने के यत्न करते है। पर वे यत्न तब धाराशाही हुए जब इस दारोगा ने बिना वजह अमिन लाल की रेहड़ी को लात-घूसो और डण्डे के बल पर क्षतिग्रस्त कर दिया। अमिन लाल फफक-फफक रोते हुए कहता है कि वे सब्जी का मोलभाव ना तो कम कर रहे थे और ना ही कोई अन्य यत्न कर पाये। इसलिए सतबीर दारोगा को गुस्सा  आया और उनकी रेहड़ी तोड़ दी।


इस बात को लेकर ग्राम प्रधान विकास मैठाणी का कहना है कि वे स्वयं बड़कोट जाकर पुलिस से बात करेंगे। उनका कहना है कि नगदी फसलो को बेचने के लिए बड़कोट पुलिस की इजाजत लेनी पड़ेगी। यह उन्होने पहली बार सुना है। यदि ऐसा है तो वह बेहद दुखद है। पुलिस थानाध्यक्ष बड़कोट दिगपाल कोहली का कहना है कि वे इस मामले को नहीं छोड़ेंगे। गुनाहगार को सजा दिला के रहेंगे। नौगांव मुख्यालय में अधिकांश लोगो का कहना है कि बड़कोट में तैनात सतबीर नाम का पुलिसकर्मी कई बार लोगो को धमकी देता है कि उससे मत उलझना। वह बहुत ताकतवर है और कानून जाता है। वह लोगो को धमकाता है कि कानून के जाल में ऐसे फंसायेंगे कि लोग वापस नहीं लौट पायेंगे, बगैरह। यह बात तब सामने आई जब यह दारोगा बेवजह स्थानीय नौजवानो की मोटर साईकिल को चालान करता है। लोग मामले को न उलझने की वजह से सतबीर दारोगा की गाली गलौच को स्वीकार करते हुए बेवजह का जुर्माना भर देते है। ताकि बड़कोट पुलिस और कानून की लाज बची रहे।  


ऐसे हालातो में ग्रामीण हर वक्त ख़ौफ में रहते है। ग्रामीणो का कहना है कि सतबीर दारोगा ही है जो यहां लोगो को कानून का पाठ पढाते है और डराते है। ग्रामीण यह जानना चाह रहे हैं कि क्या कानून में काश्तकारो को नगदी फसल बेचने के लिए पुलिस थानो से इजाजत लेनी पड़ती होगी? जिसकी उनको जानकारी नहीं है। नौगांव विकासखण्ड के अलग-अलग जगहो के लोग जब इस बात से वाकिफ हुए तो वे हतप्रद रह गये। कहते हैं कि पुलिस को यह जिम्मेदारी कब से आई कि नगदी फसलो को बेचने के लिए पुलिस की ही इजाजत लेनी होगी? अगर ऐसा है तो वे इस बात को लेकर सड़क पर उतर आयेंगे। लोगो का यह भी कहना है कि प्रधाममंत्री श्री मोदी वोकल-वोकल की बात कर रहे है। इधर बड़कोट पुलिस अपने डण्डे के बल पर लोकल-वोकल की धज्जियां उड़ा रही है।