उत्तराखण्ड बदहाली के तारणतार

||उत्तराखण्ड बदहाली के तारणतार||

 





 


नित्यानंद स्वामी

भगत सिंह कोशियारी

नारायण दत्त तिवारी

भुवन चंद खंडूड़ी

रमेश पोखरियाल निशंक

विजय बहुगुणा

हरीश रावत

त्रिवेंद्र सिंह रावत




 

नया राज्य बनने के बाद गिद्ध की तरह उत्तराखंड को नोच कर लहूलुहान करने वाले सबसे बड़े गुनाहगार ऊपर वर्णित सभी नेता हैं।



 

विकास_पुरूष काम आया, न जनरल काम आया

हाई_कोर्ट के जज ने इंसाफ किया




 

राज्य को कभी ऊर्जा प्रदेश, कभी पर्यटन प्रदेश तो कभी जड़ी बूटी का खजाना बताने वाले धूर्त नेता, मुख्यमंत्री बारी बारी से उत्तराखंड के संसाधनों को अपने दिल्ली के आकाओं और ब्यक्तिगत स्वार्थों के लिए लूटते रहे, बेचते रहे।



 

नया तो क्या दिलाते पर जो मिलना चाहिए था वही नही ले पाए। उत्तराखंड की परिसंपत्तियां और उत्तराखंड को विशेष_राज्य_का_दर्जा



 

उत्तराखंड की परिसंपत्तियां: सविंधान के आर्टिकल 3 के अनुसार राज्य विभाजन के बाद नए राज्य की सभी सम्पतियों पर नए राज्य का कब्जा होगा। अरबों रुपये के खजाने पर उत्तर प्रदेश, केंद्र का कब्जा है। राज्य में स्थित टिहरी डैम, नानक सागर डैम, बैगुल जलाशय, धौरा जलाशय, बनबसा डैम, भीमगौड़ा, कालागढ़ में रामगंगा डैम पर यूपी का कब्जा है।



उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम अभी भी उत्तराखंड के बड़े निर्माण कार्य कर रहा है, उत्तराखंड की अपनी निर्माण एजेंसी तक ढंग से नही बना पाए।



 

नित्यानंद_स्वामी : नित्यानंद स्वामी जी को भी उम्मीद नहीं थी कि वे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री बनेंगे। जितना भी उन्हें मौक़ा मिला पहाड़ियों ने उन्हें स्वीकार नही किया। न ही वे परिसंपत्तियों और राज्य को विशेष दर्जा दिलाने के लिए प्रयासरत रहे।



 

भगत_सिंह_कोशियारी: आरएसएस के दम पर स्व0 नित्यानंद स्वामी को हटाकर मुख्यमंत्री बनने के बाद आपसे किसी बड़े काम की उम्मीद थी पर आपके नाम शायद ही कोई उपलब्धि रही हो, राज्य की परिसंपत्तियां तो क्या दिलाते। विशेष राज्य के दर्जे के लिए कोई पहल नही की।



 

स्वर्गीय नारायण_दत्त_तिवारी जी उत्तर प्रदेश के भी मुख्यमंत्री रहे, कांग्रेस के केंद्रीय मंत्रिमंडल में रहे। आप को विकास पुरूष भी कहा जाता है लेकिन आपने न तो परिसंपत्तियां लाकर दी न आपने राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिलवाया। अपने लखनऊ और नोएडा के कॉरपोरेट की टैक्स माफी के लिए जरूर SIDCUL की स्थापना की, कॉरपोरेट दोस्तों को फायदे के बहाने कुछ उद्योग लगे जिस एकमात्र काम के लिए आपका धन्यवाद। लेकिन वो काफी न था। आप चाहते तो DDA, HUDA, PUDA की तर्ज पर प्राधिकरण बनाते। MDDA अपने मूल काम से हटकर उसमे पदासीन सचिवों के लिए पैसा बनाने की मशीन बना।



 

भुवन_चंद_खंडूड़ी: आपकी महत्वकांक्षा भी केवल मुख्यमंत्री बनने की रही 2 बार आपको अवसर मिला पर हासिल कुछ न हुआ। बाहरी लोगों को जमीन 250 वर्ग मीटर तक खरीदने की पाबंदी अपने जरूर लगाई परंतु राज्य को विशेष दर्जा दिलाया न परिसंपत्तियां न कोई नया रेवेन्यू मॉडल विकसित किया। आपके समय मे सुप्रीम कोर्ट में परिसंपत्तियों को लेकर केस चला लेकिन उसपर आप अपना पक्ष ही नही रख पाए और सिंचाई विभाग को आगे कर दिया।



 

रमेश_पोखरियाल_निशंक: मुझे अच्छी तरह से याद है आपको मैंने खांकरा, बछणस्यूं पट्टी (मेरा गृह क्षेत्र) में झोला टांके अकेले खड़े और बस या किसी की गाड़ी में बैठने के इंतजार में। फिर आप कर्णप्रयाग से विधायक बने। सबसे कम उम्र में आपको सफलता मिली लेकिन उतनी ही जल्दी आप को हटाया गया। राज्य की परिसंपत्तियां तो नही आई न संपति बढ़ी।



 

विजय_बहुगुणा: पूर्व जज होने के बावजूद आपने परिसंपत्तियों का केस सुप्रीम कोर्ट में pursue नही किया। जज होने के नाते आपसे कई उम्मीदें थी गैरसैण में विधानसभा भवन का शिलान्यास जरूर किया।



 

हरीश_रावत: लंबी जद्दोजहद के बाद आपको सत्ता मिली पर आप expose हो गए, आप संगठन के एक्सपर्ट हो सकते हैं पर कुशल प्रशासक नही हुए, सरकार आपसे भी नही चली। न नया रेवेन्यू मॉडल बना पाए न परिस्थितियों की कभी बात की। हां स्थानीय उत्पादों की मार्केटिंग जरूर की। लेकिन एक मुख्यमंत्री से इतने की ही उम्मीद नहीं होती।



 

त्रिवेंद्र_सिंह_रावत: अगर ऊपर का कोई भी मुख्यमंत्री सफलता पूर्वक काम करता तो आपने राजनैतिक मुख्यमंत्री के रूप में पैदा ही नही होना था। ऊपर के नेताओं की गलती और मोदी आरएसएस के बलबूते मुख्यमंत्री बने साढ़े 3 साल हो गए लेकिन अब तक की कार्यशैली से लग नही रहा कुछ कर पाएंगे।

जबकि सबसे ज्यादा अनुकूल स्थिति इसी समय है उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, केंद्र में तीनों जगह भाजपा सरकार है। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री भी पहाड़ी हैं, अजीत डोभाल, विपिन रावत सहित दर्जनों भारी भरकम हस्तियां शासन प्रशासन में हैं।



 

इन सब ने केवल एक ही काम किया खुद और अपने चमचों के जरिये उत्तराखंड को लूटकर रख लिया। आज के समय मे खनन माफिया, शराब माफिया, मीडिया माफिया, ट्रांसफर माफिया इन्ही के चेले चपाटे हैं।



जनता, भाजपा_समर्थक, कार्यकर्ता मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री पर दबाव बनाए और उत्तराखंड की परिसंपत्तियां पूर्ण रूप से उत्तराखंड को मिले।



 

RSS को इसलिए कहा कि आपको अपने हिसाब से विधायक, मंत्री, मुख्यमंत्री बनाने हैं बनाओ पर काबलियत भी तो देखो। कोई काम नहीं कर रहा उसे बाहर कर दूसरे को बना दो।




अभी नहीं तो कब मिलेगी परिसंपत्तियां (आर्टिकल_3)???

कब मिलेगा विशेष राज्य का दर्जा आर्टिकल_371)???