||लोकतंत्र और बदलाव||



||लोकतंत्र और बदलाव||



तानाशाही का अंत हुआ, फिर भारत में लोकतंत्र आया।
जनता के द्वारा शासन यह, जनता का शासन कहलाया।
जनता के हित की ही खातिर, नव नियमों का विधान किया।
जन अधिकारों को आगे रखा, संविधान इसे नाम दिया।
जन-जन की बात सुनेगा जो, जन-जन के लिए जियेगा जो।
उसको ही चुनेंगे अपना शासक, जनता के साथ चलेगा जो।
वो अपना ही तो भाई होगा, अपनी हर बात सुनायेगे।
जो होगा भारत के हित में, हम काम वही करवायेंगे।
मौलिक अधिकार मिले जनता को, जख्म पुराने भर जायेंगे।
लोकतंत्र से चलता है भारत, दुनिया को दिखलायेंगे।
लिखी जायेगी नई इबारत नया दौर फिर से आयेगा।
बनकर कोई भी तानाशाही, अत्याचार न कर पायेगा।
सत्तर वर्षो में देखो कैसे बदल गयी है परिभाषा। 
लोकतंत्र भी बदल गया है, बदल गयी सब अभिलाषा।
काम के सारे रंग ढंग बदले, जनप्रतिनिधी हो गये नेताजी।
कुछ दलों में हुए विभाजित, कुछ अपने में ही हुए राजी।
क्षेत्रवाद, जातिवाद, सम्प्रदायवाद, हावी होने लगा है।
वंशवाद की लता बढ़ी है, लोकतंत्र अब खोने लगा है।
भूख, गरीबी, लाचारी, ने अपना पैर पसारा है।
अन्नदाता भी भूखा सोये, उसका कौन सहारा है।
संविधान की बातें केवल आम जन पर ही लागू होती।
आंख पे बांधे काली पट्टी, न्याय की देवी मन ही रोती।
कार्यपालिका, व्यवस्थपिका, न्यायपालिका है बदहाल।
जनता तो दबी कुचली है, कैसे पूछे एक सवाल।
स्वहित में रातों रात कानून बदल दिये जाते हैं।
कोई जो आवाज करे, मुंह उसके बन्द किये जाते हैं।
राजनीती और लोकतंत्र का अजब निराला मेल है।
दल बदलना इन नेताओं के, बांए हाथ का खेल है।
अधिकार मिला है जीने का, जीवन अपना हम जी न सकें।
नारी होने का दण्ड मिला, अपराध कहो ये कैसे रूके।
नारी से ही जीवन पाया, नारी अपमानित होती है।
कैसे सुख पाये बेटी तेरी, जब किसी की बेटी रोती है।
ये दर्द बड़ा है सीने में, ये चोट बडी ही लगती है।
ये लोकतंत्र, इसकी बातें, बस बातें ही सब लगती हैं।
हैं ईश्वर की हम संताने, कोई भेद नहीं उसने डाला।
जाति में बाटां मानव ने, भेद-भाव का लगाकर ताला।
इतने स्वारथ में डूबे हैं, किसी की भी परवाह नहीं है।
मार रहा इंसा, इंसा को, होठों पर कोई आह नहीं है।
सत्ता की कुर्सी पाने को, हर संभव प्रपंच रचते हैं।
जो जनता के सेवक थे, जनसेवा से ही अब बचते हैं।
शासन जनता का कैसे मानूं, जहां इतनी मारामारी है।
षडयन्त्रोें का दौर हो गया, अब लोकतंत्र लाचारी है।


 नोट- यह कविता सर्वाधिकार सुरक्षित है, कृपया प्रकाशन से पूर्व लेखिका की संस्तुति अनिवार्य है।