कृषि कर्म योगियों का समेलन 

कृषि कर्म योगियों का समेलन 


प्रेम पंचोली 


एच एन बहुगुणा गढ़वाल केंद्रीय विश्व विद्याल के तत्वाधान में विश्व पर्यावरण दिवस की श्रृंखला में देहरादून स्थित चकराता रोड़ पर वन विभाग के सभागार में उत्तराखंड के जैवविविधता संरक्षण पर कार्य कर रहे लगभग 30 कर्मयोगियों को सम्मानित किया गया।



पहाड़ी उत्पादों को बाजार तक पहुंचना व इसे स्वरोजगार का जरिया बनाना तथा इनका समुचित संरक्षण के क्षेत्र में नरेश नौटियाल, पलायन कर चुके लोगो को अपनी माटी से पुनः जोड़ने के लिए कार्य करने वाले रमेश सेमवाल, गांव में ही ग्रामीण पर्यटन को विकसित करने के क्षेत्र में भारत सिंह राणा, बागवानी के विकास के क्षेत्र में कुंदन सिंह पंवार व प्रेमचंद शर्मा, मल्टीनेशनल कंपनी की लाखों की पगार को धता बताकर वापस अपने गांव चम्बा नागणी में मशरूम की खेती कर महिला स्वरोजगार के क्षेत्र में मोनिका पंवार, पहाड़ी उत्पादों के पकवानों को बाजार में पहचान दिलाने वाले द्वारिका सेमवाल, पहाड़ पर प्राकृतिक रूप से पैदा हो रही जड़ी बूटी को दवा के रूप में विकसित करने वाले व इसे स्वरोजगार का जरिया बनाने वाले रूद्रप्रयाग के डॉ० जितेंद्र बुटोला आदि 30 कर्मयोगियों को जैवविविधता संरक्षण हीरो नाम के साथ साथ उन्हें अंगवस्त्र व प्रस्सति पत्र सहित अलंकृत किया गया है।



इस दौरान सभी सम्मानित हस्तियों ने अपने अपने अनुभव सुनाये। उन्होंने कहा कि उनके कार्यो से क्षेत्र में स्वरोजगार तो बढ़ा है, परन्तु सरकार से अपेक्षित सहयोग न मिलने की वजह से उनका यह स्थानीय स्वावलंबन का कार्य तेजी से विकसित नही हो रहा है। कृषि कर्मयोगी भरत सिंह राणा ने कहा कि वे फ़ूड व फ्रूट प्रोसिसिंग के लिए कर्ज लेना चाहते है, पर स्थानीय उत्तरकाशी के सभी बैंकों ने पिछले पांच साल से उन्हें निराश ही किया है फकत चकर कटवाने के। पहाड़ पर अनार की खेती के जनक प्रेमचंद शर्मा ने कहा कि पहाड़ी उत्पादों के लिए उचित बाजार व सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की वजह से पहाड़ी उत्पाद व्यवस्थित स्वरोजगार का साधन नही बन पा रहा है। अन्य वक्ताओ ने कहा सरकार के स्तर पर पिछले 18 सालों से पहाड़ी उत्पादों को स्वरोजगार के साधन बनाने के लिए कोई एकीकृत योजना नही बन पाई है।


उनका सुझाव है कि पहाड़ पर कृषि बागवानी के क्षेत्र में जो छोटे छोटे प्रयास किये जा रहे है उनके विकास में योजनागत तरीके से सरकार अपेक्षित सहयोग करेगी तो आने वाले समय मे पहाड़ से रोजगार के लिये हो रहा पलायन शतप्रतिशत रूक सकता है। इस अवसर पर टी एच् डी सी सेवा के अध्यक्ष व पूर्व मंत्री मोहन सिंह रावत गांववासी, एच एन बी गढ़वाल केंद्रीय विश्व विद्यालय के मानव विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० विद्या सिंह चौहान, रूरल विजनैश हब इन उत्तराखं व पर्वतीय विकास शोध केंद्र एच एन बी गढ़वाल केंद्रीय व विश्व विद्यालय के नोडल अधिकारी डा० अरविंद दरमोड, पूर्व कुलपति जेपी पचौरी, पर्यावरणविद जगत सिंह जंगली, पूर्व आए ए एस डा० कमल टावरी, राज्य मंत्री व पूर्व डी आई जी एस पी चमोली, एच एन बी गढ़वाल केंद्रीय विश्व विद्यालय में भूगोल विभाग के विभागाध्यक्ष प्रो० मोहन सिंह पंवार, टिहरी जिले के डी पी सी मेम्बर अमरेन्द्र बिष्ट, स्वामी भास्करानंद, पूनम दरमोडा, शिक्षिका श्रीमती चौहान आदि व्यक्तित्व उपस्थित थे।