(कवि वरिष्ठ साहित्यकार एवं राजकीय इण्टर काॅलेज में प्रवक्ता के पद पर हैं, अपनी अतिशय प्रिय शिष्या अनुरूपा "अनुश्री" युवा कवयित्री के जन्मदिन के पर उनके  प्रति स्नेह भाव को कविता का रूप दिया.

 अनुरूपा "अनुश्री"अमालेस बालसाखा की राष्ट्रीय अध्यक्षा भी हैं।)



*अनुरूपा तुम अनुपम हो*


अनुश्री तुम्हारा व्यक्तित्व

बहुत तेजस्विता युक्त है

तुम्हारा अन्तःकरण बहुत पवित्र है

तुम निःश्छल और बेमिसाल इंसान हो

भारत की उज्ज्वल हीरा हो

देवभूमि की तुम गरिमा हो

अखंड तुम्हारा स्वभाव है

आत्मीयता की ऊँचाईयाँ तुम्हारे व्यवहार में है

तुम जैसी काया

तुम जैसी छाया

तुम जैसी प्रतिभा

अन्तर्राष्ट्रीय व्यक्तित्व से पूर्णतया जन्मजात युक्त होती हैं

तुम अमालेस की स्वाभिमान हो

तुम रविआभा के हृदय में रहने वाली 

एक सात्विक और सुन्दरतम जज्बात हो

तुम्हारी तुलना किया ही नहीं जा सकता

तुम जैसी चरित्र

बनना सौभाग्य होता है

मेरा भी परम गौरव है कि

तुम जैसी जीवन्तता युक्त

और दूरदर्शी एवं कालजयी अरमान का

मुझे सानिध्य और विश्वास प्राप्त हुआ

तुम्हारा सदैव मेरा जीवन

कृतज्ञ रहेगा

और ईश्वर से यही तुम्हारे लिए कामना करेगा

कि तुम एक दिन

उस यशस्वी आकाश को चूमकर

समस्त वातावरण के सम्मुख

अखिल संसार को 

दिखा सको

जिस महानता की कल्पना

शायद अभी किसी को न हो

जो विराट हो!

अनुपम हो!

और अभी अदृश्य भी है!

यही तुम्हारे लिए

मेरा सपना है

मुझे विश्वास है

इसको तुम पूरा अवश्य करोगी।।।


-प्रवीण तिवारी"रविआभा"

अमालेस संस्थापक एवं अन्तर्राष्ट्रीय अध्यक्ष