यदि हम बच्चे होते


यदि हम बच्चे होते


कितना अच्छा होता यदि हम बच्चे ही रहते।
सबसे ही करते प्रेम सदा ।
द्वेष निन्दा ,भय,लोभ से परे।
अपनी ही धुन में, मग्न 
जहाँ मे सदा खुशियाँ बिखेरते।
भेद रहित इच्छाओं से,
रहता मन प्रफुल्लित ,आनन्दित,
सद्भावना से ओत-प्रोत।
सारे दर्द ,गिले शिकवे
क्षणिक व कच्चे होते।
कितना अच्छा होता यदि हम बच्चे ही रहते।