मुख्यमंत्री की भावनात्मक घोषणा


||मुख्यमंत्री की भावनात्मक घोषणा||


सीमान्त जनपद उतरकाशी के सीमान्त गांव माकुड़ी में जब बादल फटा तो एक बारगी सब कुछ रूक गया था। राहत और अन्य सहयोगार्थ सरकारी, गैर सरकारी मदद लोगो तक पंहुची। मगर जिन लोगो ने इस आपदा में जान गवांई उनके जख्म कभी पूरे होंगे यह संभव नहीं है। यदि संभव है तो आपदा के बाद राहत के लिए किये गये वायदे को समय पर पूरा करना। इस तरह आपदा के चैथे दिन मुख्यमंत्री आराकोट पंहुचे और बहुत ही लुभावना वायदा आपदा पीड़ितो के लिए कर दिया। हालांकि यह वायदा पूरा उत्तराखण्ड पर लागू होगा जो समय की गर्त में है।


ज्ञात हो कि आपदा की घड़ी में सरकार भी आपदा पीड़ितो को हर संभव ममद करना चाहती है। आनन-फानन में राज्य के मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत भी उत्तरकाशी के आराकोट बंगाण पंहुच गये और पीड़ितो के सामने मरहम के रूप में कहा कि वे आपदा प्रबंधन के तहत प्रत्येक जनपद को पहले ही एक करोड आवंटित कर देंगे। इसके अलावा वे मृतक व घायलों को मानक के अनुसार मुआवजा देंगे। 


वे इस दौरान आराकोट में आपदा पीड़ितो को संबोधित कर रहे थे। उन्होने अधिकारियो को निर्देश दिये कि आराकोट क्षेत्र में सेब कास्तकारों के नुकसान का उधान विभाग अविलम्ब जायजा लेगा। कहा कि वे उधानपतियों को अधिकतम मुआवजा दिलवाने का प्रयास करेंगे। इधर उन्होंने बेघर हुए लोगों के लिए अस्थाई घर बनाने की घोषण की है। उन्होंने उत्तरकाशी के डीएम को निर्देश दिये  िकवह आपदा से पेयजल, विधुत, स्कूल भवनों, सरकारी गैरसरकारी संपत्ति के नुकसान का स्वयं क्षेत्र में रहकर शीघ्र जायजा लेने को कहा। साथ ही एक टीम गठित कर जल्द आंकलन रिपोर्ट सरकार को भेजनें के निर्देश दिये।


उन्होंने आपदा ग्रस्त टिकोची, चिंवा, माकुडी, आराकोट, मोलडी, मोंडा, सनेल आदि क्षेत्रों में मलवे में दबे लोगों की खोज को एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमों को संघन खोजी अभियान के निर्देश दिये। सनेल गांव में आई आपदा से 25-30 लापता नेपाली मजदूरों की खोज को विशेष अभियान चलाने के भी निर्देश दिये।


नोट - इस खबर को लिखने के लिए नीरज उत्तराखण्डी की मदद ली गई है।