सांस्कृतिक पर्यटन को बनायेंगे रोजगार का साधन
13 - 8 - 2019
यदि सबकुछ ठीकठाक रहा तो आने वाले समय में उत्तराखण्ड राज्यके मठ मंदिर से लेकर अन्य विरासत की धरोहरेंपर्यटन के मानचित्र पर अपनी धमक देंगे। यही नहीं वे स्थल भविष्य में पर्यटको के लिए बेहद आवश्यक हो जायेगे। यह इसलिए कह सकते है कि पिछले दिनों राज्य की कैबिनेट ने इस योजना पर मुहर लगा दी है।
ज्ञात हो कि भारत सरकार की योजना 'हमारी धरोहर-हमारी पहचान' की तर्ज पर संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड शासन की प्रस्तावित योजना 'विरासत का अंगीकार' पर कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति दे दी है। बता दें कि राज्य के सांस्कृतिक महत्व के विभिन्न स्मारकों तथा विरासत स्थलों के उचित रख-रखाव तथा उनके आस-पास पर्यटन सुविधाओं तथा अवसंरचनाओं के विकास के उद्देश्य से इस योजना को शीघ्र लागू किया जायेगा। इस हेतु कैबिनेट द्वारा संस्कृति विभाग, उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद एवं सम्बन्धित संस्था की सहभागिता से विरासत स्थलों को गोद लेने के लिए 'विरासत का अंगीकार' परियोजना के समझौता ज्ञापन के प्रारूप पर सहमति प्रदान की गयी है।
इस दौरान राज्य के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि राज्य सरकार की इस योजना के माध्यम से जर्जर एवं खस्ता हालत में पड़े प्राचीन स्मारकों, खण्डहरों, पुरातात्विक स्थलों, मन्दिरों आदि के खोये हुए सौन्दर्य तथा गौरव को निजी संस्थाओं के सहयोग से पुनः प्राप्त किया जा सकेगा। इन वीरान पड़े महत्वपूर्ण स्थलों पर पर्यटन सुविधाओं के विकसित होने से राज्य में जहां एक ओर पर्यटकों की संख्या में इजाफा होगा वहीं दूसरी ओर स्थानीय लोगों के रोजगार में वृद्धि होगी। उन्होंने कहा कि राज्य के सांस्कृतिक पर्यटन को विकसित करने की दिशा में यह एक मील का पत्थर साबित होगी।
सचिव, पर्यटन एवं संस्कृति दिलीप जावलकर ने बताया कि राज्य सरकार की इस योजना का उद्देश्य राज्य की विभिन्न सांस्कृतिक धरोहरों के आस-पास पर्यटन सुविधाओं को विकसित करते हुए उन का उचित रख-रखाव सुनिश्चित करना है। इसके लिए स्मारक / विरासत स्थल को इच्छुक निजी संस्था अथवा फर्म को दिया जायेगा। जिसके सहयोग से सम्बन्धित स्मारक/स्थलों के पर्यटन को विकसित किये जाने हेतु विभिन्न सुविधाओं जैसे पीने का पानी, स्मारकों की स्वच्छता एवं मरम्मत, साईनेज, वाईफाई, यात्री स्नानाघर, बिजली, कैफेटेरिया, सी0सी0टी0वी0, डिजीटल इंटरैक्टिव कियोस्क एवं साउण्ड शो आदि को विकसित कर इसका उचित रख-रखाव किया जायेगा।