आज अंतिम दिन, चर्चा का हिस्सा बने


|| आज अंतिम दिन  चर्चा का हिस्सा बने||  


(याद रखिये- यह आमंत्रण, खास तौर पर महिला हिंसा रोकथाम, यौन हिंसा रोकथाम, दलित अधिकार के मुद्दे और मानव अधिकार के मुद्दों पर काम कर रही या हिंसा झेल रही ग्रामीण व कस्बाई महिला कार्यकर्ताओं के लिए हैं.)


समाज हमें प्राथमिक नहीं मानता, महिलाओं को हमेशा सेवा देने वालों की तरह से देखता हैं | उसी तरह से हमारी भूमिकाओं को पक्का करता हैं | यह प्रक्रिया इतनी धीमी और निरंतर चलती हैं कि कब हम खुद को दूसरे दर्जे का मानने लगते हैं, हमें पता ही नहीं चलता, इस प्रक्रिया में कई बातें साथ–साथ होती हैं |


एक तरफ हमारा ध्यान खुद पर से दूसरों पर चला जाता हैं | हम दूसरों को केंद्र में रख कर निर्णय लेते हैं, दूसरों के अनुसार व्यवहार करते हैं | दूसरी तरफ हम इन मसलों पर समाज, सत्ता और पितृसत्ता के साथ संघर्ष में जा रहे होते हैं | आवाज़ बुलंद कर रहे होते हैं | नारीवादी नज़रीए से संघर्ष और संगठनात्मक प्रयासों को बल दे रहे होते हैं |


इस दो तरफा स्थिति में हम अपने साथ दंद (द्वंद) में आ जाते हैं, अकेले पड़ते हैं | थकान और अस्वस्थता महसूस करते हैं और कभी–कभी नकारात्मक हो जाते हैं, हमारी उर्जा सब तरफ बंट जाती हैं | हम अपना जुड़ाव अपने से कम कर देते हैं और हम अपनी देखभाल को नजर अंदाज कर देते हैं | हम खुद को प्यार करना, ऊर्जा देना, सहेजना बंद कर देते हैं | अनिश्चित तनाव में होते हुए एक रस जीवन की ओर बढ़ जाते हैं | हमारी रचनात्मकता और जीवन की गुणात्मकता कम होने लगती हैं | ऐसे में हम कभी–कभी यह भी सोचने लगते हैं की इसमें मेरी ही कमी हैं | ऐसा करते हुए कई बार हमारी आतंरिक ताक़त जवाब दे रही होती हैं | अकेलापन, थकान, उदासी और अस्वस्थता महसूस होने लगती हैं | लम्बे संघर्षों की चुनौतियों को पार करते हुये, कई बार एक तरह का बेमानीपन और खिन्नता होती हैं | ऐसे में खुद को भीतर से पुन:उर्जित करने, अपने स्वभाव और अपनी खासियतों के साथ स्वयं को स्वीकारने में ऊर्जा केन्द्रित अभ्यास सहायक होते हैं |


हम सब जानते हैं की बदलाव के लिए खुद के साथ, सहायक ढाचों के साथ, और समुदाय के साथ, काम करना ज़रूरी हैं | ऐसे में हम खुद को कैसे छोड़ सकते हैं ? खास तौर पर उन महिलाओं को जो महिला मसलों पर, अधिकार के मसलों पर, पहचान के मसलो पर, समुदाय के साथ, सरकार या व्यवस्थाओं के साथ काम कर रही हैं | इसीलिए हमने इस कार्यशाला की श्रृंखला को जन्म दिया |


हम सजग रहे हैं की सशक्तीकरण और खुशहाली पर केन्द्रित हमारे प्रयास पहले खुद से शुरू होकर ही समुदाय की महिलाओं, युवाओं और बच्चों पर केन्द्रित किये जा सकते हैं | समय–समय पर संस्थागत कार्यकर्ताओं के लिए स्वयं को पुन:उर्जित करने के इस प्रक्रिया इस कार्यशाला का महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं | विशाखा पिछले दस सालों से महिलाओं कार्यकर्ताओं के लिए इस प्रकार की कार्यशालाएँ करती आ रही हैं |


क्या होगा इस पांच–दिवसीय उत्सव में


इस के लिए हम जिन विधियों का इस्तेमाल करेंगे वह है – प्रकृति, श्वास व ध्यान से जुड़े प्रयोग, विभिन्न थेरेपी (Awareness Through Body, Expressive Art Therapy, Gibberish, Movement Therapy, Reflection Therapy) की मदद से भावनाओं से जुड़े प्रयोग, शरीर के मूवमेंट्स, नृत्य, योगा, योगनिद्रा हास्य, संगीत, मालिश, शेयरिंग, चर्चाएँ और विश्राम |


कार्यशाला में चार स्तरों पर काम किया जाएगा:









जागरूकता: शरीर, विचार और भावनाओं के बारें में जागरूकता बढ़ाना








विसर्जन: नकारात्मक भावनाओं, उर्जाओं, रुकावटों का विसर्जन








अनुभव बांटना और समझ निर्माण: समाज, डर, इज्ज़त, शर्म जैसी अवधारणा और इनके स्वयं पर प्रभावों को समझाना, तनाव और उससे जुड़े ट्रिगर को समझाना








सामूहिक हीलिंग: खुद को प्यार, ध्यान, उर्जा और साथ देते हुए पुन:उर्जित करना

हमें उम्मीद हैं ये अनुभव आपको व्यक्तिगत और सामूहिक ऊर्जा के साथ–साथ आपके भीतर की उत्सवपूर्णता को जगाने में भी सहयोग करेंगे |


फेसिलिटेटर:


लता बजाज: ध्यान, योग व विभिन्न ध्यान विधियों (भावनाओं के साथ काम, आन्तरिक बचपन से जुड़े अनुभव को उभारना और हास्य विधि व ATB) को संचालित करने के लिए प्रमाणित सहजकर्ता हैं | वह पिछले 12 सालो से पूरे भारत में हीलिंग व ध्यान पर विभिन समूहों के साथ कार्यशालाएं व प्रशिक्षण कर रही हैं | इन्होने स्वास्थ्य, शिक्षा, महिला सशक्तीकरण, महिला हिंसा रोकथाम जैसे मुद्दों पर बतौर सामाजिक कार्यकर्ता भी कार्य किया हैं | हीलिंग व ध्यान में अपनी दक्षता व अनुभवों के आधार पर इन्होने विशाखा संस्था को महिला व बच्चो के हीलिंग सेंटर की अवधारणा व उसे लागू करने में सहयोग किया हैं | वर्तमान में वह हीलिंग, ध्यान और खुशहाली के कार्य में उपयोग में लायी जाने वाली विभिन्न विधियों के क्षेत्र में परामर्शक के रूप में कार्यरत हैं |


भरत, विशाखा के सहसंस्थापक हैं | शिक्षा, स्वास्थय, पहचान, हिंसा रोकथाम, ट्रांसफार्मेशन व अधिकार आधारित कार्य में विशेष दक्षता रखते हैं | भरत सामाजिक सन्दर्भ और व्यक्ति कैसे अपनी खुशहाली को प्रभावित करते हैं खुद के और सामजिक सोच के साथ काम करते हुए कैसे भावनात्मक और स्व: देखभाल को पा सकते हैं पर पिछले पांच साल से काम कर रहे हैं | काउंसलिंग को सशक्ता के लिए इस्तेमाल करते हुए भरत ने महिलायें अपने आप को प्राथमिकता देते हुए सहायक व्यवस्थाओं का निर्माण कर पाए इसे बहुत करीब से कियान्वित किया हैं |


यह आमंत्रण किसके लिए है?


यह कार्यशाला खास तौर पर महिला हिंसा रोकथाम, यौन हिंसा रोकथाम, दलित अधिकार के मुद्दे और मानव अधिकार के मुद्दों पर काम कर रही या हिंसा झेल रही ग्रामीण व कस्बाई महिला कार्यकर्ताओं के लिए हैं |


ये तो हम सब ही जानते हैं कि महिला मुद्दों पर काम करने के लिए आगे आई कई महिला कार्यकर्ता खुद अपने जीवन में हिंसा, गैरबराबरी और दबावों का मुकाबला करके आई हैं | इनमे से कई साथी एकल महिलाएं हैं जिनके पास परिवार के बड़े जिम्मे भी हैं | हमारे संस्थागत परिवेश इन सन्दर्भों को तोड़ने और जीवन के आनंद को बनाये रखने की भरसक कोशिश करते हैं, जिनको नए मौकों और तरीकों से और बढाया जा सकता हैं | इसी लिए महिला कार्यकर्ताओं के साथ यह कार्यशाला खास महत्त्व रखती हैं |


चयन प्रक्रिया


जो भी महिलाएं अपने आप को आमंत्रण की सूची में मानती हैं खुद आवेदन कर सकती हैं | साथ ही जो संस्थाएं महिला हिंसा रोकथाम और मानव अधिकार के मसलों पर काम कर रही हैं वे अपने अनुभव और आमंत्रण में आने वाली महिलाओं के आवेदन सीधे हमें भेज सकती हैं | विशाखा और संभावना के साथी इन में से 25 महिलाओं का चयन करेंगे और इस कार्यशाला को प्रायोजित करेंगे | यातातात पर आने वाला खर्च महिला कार्यकर्ता अथवा संस्था को उठाना होगा|


सहभागी सहयोग


आपका इन दिनों के लिए आना, पूरी तरह से अपने आप को यहाँ होने वाले प्रक्रियाओं में शामिल करना ही आपका सहयोग हैं | आपका रहना, खाना और आयोजन सभी प्रायोजित हैं | यात्रा व्यय स्वयं अथवा संस्था को वहन करना होगा |


क्या साथ लाये: ध्यान विधियों के लिए सहज ढीले–ढाले हल्के गर्म कपड़े | किसी के पास योगा मेट हो तो वो भी लायी जा सकती हैं और रात में सुविधा के लिए टोर्च |


सह आयोजन


विशाखा महिला शिक्षा एवं शोध समिति, जयपुर: विशाखा 1991 से महिलाओं, बच्चों, युवाओं और वंचित समुदायों के साथ उनके सशक्तीकरण के लिए काम करते हुए अधिकार आधारित संघर्षों में शरीक रही हैं | महिला हिंसा रोकथाम के लिए सम्रग राहत केंद (महिला सलाह एवं सुरक्षा केंद्र) चलाना, हिंसा से जूझ रही महिलाओं के समूह निर्माण और अधिकार प्राप्त करने के लिए सहायक व्यवस्थाएं निर्मित (कार्यस्थल पर यौन उत्पीडन रोकथाम दिशा निर्देश: विशाखा गाइड लाइन) करने का काम किया हैं | विशाखा ने आनंदी हीलिंग सेंटर (2006 से 2009 तक) के माध्यम से हिंसा से जूझ रही अनेक महिलाओं को – निजी संघर्षों और कानूनी लड़ाई में मदद के साथ साथ – ध्यान और ऊर्जा के अभ्यासों के साथ एक सुरक्षित, सहयोगी, मज़ेदार और सहज मार्गदर्शनयुक्त जगह उपलब्ध कराई हैं |


विशाखा इस समय युवाओं के लिए खुशहाली व सन्दर्भ केंद्र चला रही हैं जहा विभिन्न मसलों पर काउंसलिंग के साथ–साथ विमर्श, सामूहिक एक्शन, छोटे अध्धयन, खेल, संवाद और कौशल निर्माण के काम युवा मिलकर करते हैं | विशाखा सीधे समुदाय के साथ मिलकर स्थानीय जरूरतों और हकों के लिए काम करने वाली संस्था हैं |


सम्भावना इंस्टिट्यूट: संभावना संस्थान सामाजिक ओर राजनीतिक बदलाव की तलाश करने वाले लोगों के सीखने और रहने के लिए एक खुला स्थान हैं | संभावना संस्थान हिमाचल प्रदेश, धौलाधार पर्वत श्रृंखलाओं की गोद में बसे कंडबाड़ी गाँव में सामाजिक और राजनीतिक परिवर्तन से संबंधित लोगों के लिए एक अद्वितीय सीखने और रहने की जगह हैं | कुमुद भूषण एजुकेशन सोसाइटी द्वारा शुरू किए गए इस संस्थान का मुख्य उदेश्य युवाओं में मूल्य आधारित नेतृत्व विकसित करना हैं ताकि चर्चा और खोजपूर्ण चिंतन के द्वारा वे एक नयायप्रिय समाज की अवधारणा को समझ सकें |


स्थान और तारीखे: 1 से 5 नवम्बर, 2019, संभावना संस्थान, ग्राम – कंडबाड़ी, तहसील – पालमपुर, जिला – कांगड़ा, पिन – 176061, हिमाचल प्रदेश