भगत दा "दूल्हा" बनना चाहते थे लेकिन ऐसे फंसा पेंच 

||भगत दा "दूल्हा" बनना चाहते थे लेकिन ऐसे फंसा पेंच||


महाराष्ट्र के नए राज्यपाल मनोनीत होने के बाद उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी के चारों ओर लोगों का जमावड़ा बड़ी तेजी से लगने लगा है ।काँग्रेस के हरीश रावत के अलावा भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के ऐसे नेता है जिन्होंने नेता तैयार किए है । कोश्यारी ने कार्यकर्ताओं के बीच मजबूत पकड़ के कारण अपनी जिद से हाईकमान को कई बार फैसले पलटने को मजबूर करवाया । कोश्यारी उत्तराखंड में मुख्यमंत्री बदलवाने की बुनियाद में चूना पत्थर सीमेंट ईट और तराई करने वाले नेताओं की पहली पंक्ति के नेताओं में है।



1996 में पहली बार उत्तर प्रदेश के लिए एमएलसी चुने जाने के बाद भगत सिंह कोश्यारी लोकसभा चुनाव 2019 से लेकर मात्र 3 महीने बेरोजगार रहे ।उत्तराखंड बनने के बाद कैबिनेट मंत्री फिर मुख्यमंत्री बनने वाले भगत सिंह कोश्यारी की पहली इच्छा दोबारा से उत्तराखंड का मुख्यमंत्री बनना रहा है। देहरादून का कैंट रोड स्थित उनका निवास उत्तराखंड की राजनीति के बड़े बड़े बदलाव का गवाह रहा है। कोश्यारी ने आज तक जिसको चाहा विधायकी का टिकट दिलवाया जिसे चाहा मंत्री बनवाया और जिससे ठनक गई उसे ठिकाने भी लगा दिया ।महाराष्ट्र का राज्यपाल मनोनीत होने के बाद उत्तराखंड के लिए उद्योगपतियों को लाने का उनका बयान दर्शाता है कि उत्तराखंड के प्रति उनकी वह टीस आज भी वंही की वंही है। नित्यानंद स्वामी को विदाई देकर मुख्यमंत्री बने भगत सिंह कोश्यारी मात्र 4 महीने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री रहे तब से लेकर उन्होंने बहुत बार प्रयास किए किंतु मुख्यमंत्री निवास में वापसी नहीं हो पाई। यह भगत सिंह कोश्यारी की ही ताकत थी कि पहले उन्होंने भुवन चंद खंडूरी को मुख्यमंत्री पद से बाहर किया बाद में रमेश पोखरियाल निशंक को मुख्यमंत्री पद से बाहर कर दोबारा जनरल खंडूड़ी को ही उसी कुर्सी पर बैठा दिया ।कार्यकर्ताओं के बीच सबसे सहज सरल भगत सिंह कोश्यारी उत्तराखंड के एकमात्र ऐसे नेता हुए हैं जिन्होंने भुवन चंद खंडूरी को मुख्यमंत्री की कुर्सी से बाहर करने के लिए राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया था। संगठन में मजबूत पकड़ रखने वाले कोशियारी के पास पूरे उत्तराखंड भाजपा में सर्वाधिक कार्यकर्ता और विधायकों की फौज रही है ।


उत्तराखंड बनने के बाद भगत सिंह कोश्यारी की ही ताकत थी कि उन्होंने विभिन्न दलों से नेताओं को इकट्ठा कर उन्हें विधायक बनाया और 2007 में उत्तराखंड की भाजपा सरकार बनवाई ।आज भी अधिकांश विधायक उन्हीं के बनवाए हुए नेता है भगत सिंह कोश्यारी के बारे में कहा जाता है कि वह सुबह जब घर से निकलते हैं तो उनकी जेब में बहुत सारा कैश होता है शाम को घर आते आते जेब खाली रहती है, किसी की भी शादी ब्याह जीने मरने में शामिल होने के साथ-साथ उनकी आर्थिक स्थिति के अनुसार मदद करने वाले कोश्यारी अलग तरह के नेता है। भगत सिंह कोश्यारी को आम जनता ने ऐसे ही नेता के रूप में देखा है जिनके छोटे-छोटे बयानों ने सरकारों और दलों में बड़े असर दिखाए हैं किंतु जब से भर जनता पार्टी ने 75 पार वाला कानून बनाया कई बार भगत सिंह कोश्यारी को आपा खोते देखा गया लोकसभा चुनाव 2019 के दौरान कोश्यारी के मुख से हरीश रावत के लिए कई बार ऐसे शब्द निकले उत्तराखंड में जिस दिन दलबदल हुआ उस दिन भी भगत सिंह कोश्यारी कांग्रेस पर बहुत बुरी तरह भड़के उन्हें यकीन था कि विजय बहुगुणा एंड कंपनी द्वारा करवाए गए दल बदल के बाद वह दोबारा मुख्यमंत्री बन जाएंगे किंतु ऐसा हो ना सका ।भारत सरकार ने कई बार कोश्यारी को भारत नेपाल के बिगड़ते संबंधों को दुरुस्त करने के लिए भेजा और उन्होंने उसका बेहतर तरीके से परिणाम भी दिया संयुक्त राष्ट्र सभा में भाषण देने वाले कोश्यारी भाजपा के एकमात्र ऐसे नेता है जिनको उत्तराखंड का भाजपा का कार्यकर्ता आमने-सामने जानता है जिनके सामने विभाग होकर राय रख सकता है।


राजनीतिक और सामाजिक रूप से भगत सिंह कोश्यारी के जीवन के अधिकांश पन्ने सार्वजनिक हैं और अमूमन हर कोई उन्हें बहुत नजदीक से जानने का इसीलिए दावा करता है। देहरादून स्थित उनके आवास पर 1 बार तब मुलाकात जब उन्हें खुश करने के लिए किसी व्यक्ति ने हम पर एक मुकदमा कर दिया था हमने भगत दा से अनुरोध किया कि उस व्यक्ति को समझा दिया जाए कि वह ऐसा ना करें इससे हमारी ऊर्जा क्षय होती है और धनहानि भी होती है समय बर्बाद होता है जिससे हम ठोस पत्रकारिता नहीं कर पाते। पहले तो भगत सिंह कोश्यारी टालते रहे किंतु बार-बार जिद करने के बाद उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति मेरी बात नहीं मानेगा ।ऐसा कई बार होता है कि मेरे मन की नहीं होती और मैं अपनी भी नहीं मनवा पाता। मामले को थोड़ा सा गंभीरता से बाहर लाने के लिए मैंने उनसे मजाक में पूछा कि भगत दा आप ने शादी क्यों नहीं की हाजिरजवाब भगत दा ने हंसते हंसते बताया कि मैं तो शादी करना चाहता था लेकिन करने नहीं दी गई। शुरुआत में तो मैंने शादी के लिए मना किया किंतु कुछ समय बाद बढती उम्र देख मुझे महसूस हुआ कि शायद मुझे शादी करनी चाहिए मैंने अपने मित्रों के बीच बात रखी किंतु उन्होंने मजाक में उड़ा दी। बाद में मैंने और अधिक नज़दीकियों बंधु बांधवों से बात रखी किंतु उन्होंने भी कह दिया कि तुम तो भगत आदमी हो और तुम पहले ही शादी के लिए मना कर चुके हो तुमसे तो हमने वर्षों तक लगातार शादी करने का अनुरोध किया है यदि तुम्हें करनी होती तो तब कर चुके होते उन लोगों ने भी मेरी बात को इसी तरह मजाक में उड़ा दिया।


अपनी बात रखने और मनवाने का उनका यह तरीका सुनकर मजा आ गया उस दिन इस तरह की गपशप में चाय पानी भी हुआ तब से लेकर भगत सिंह कोश्यारी की राजनीतिक यात्रा का दौर बदस्तूर जारी है देखना है कि महाराष्ट्र के राजभवन से भगत सिंह कोशियारी अगले वर्ष चुनाव मैदान में उतरने वाले देवेंद्र फडणवीस को क्या राजनीतिक सीख देते हैं। भगत सिंह कोशियारी से पहले नारायण दत्त तिवारी, जनरल एमएमलखेड़ा ,बीडी पांडे देवेन्द्र जोशी जैसे लोग भी राजभवन की शोभा बढ़ा चुके हैं। भगत सिंह कोश्यारी के राज्यपाल बनने के बाद उत्तराखंड की बड़ी संख्या में नेताओं के अच्छे दिन आने की उम्मीद भी जाग गई है देखना है कि भगत सिंह कोश्यारी अब महाराष्ट्र के राजभवन से किस प्रकार अपनी और अपनों की राजनीति को साधने का काम करते हैं जाहिर है राजनीति के माहिर खिलाड़ी भगत सिंह कोश्यारी राजभवन में बैठकर रबर स्टांप नहीं बनेंगे उत्तराखंड में भाजपा अध्यक्ष से लेकर संगठन महामंत्री की रेस में लगे लोग एक बार फिर भगत आगे पीछे पीछे चलने लगे हैं.


( लेखक वरिष्ठ पत्रकार है. यह आलेख लेखक की फेसबुक वाल से साभार )