एक किलो प्लास्टिक पर 800मिली लीटर पैट्रोल

https://youtu.be/p5-6l_tEkf0


||एक किलो प्लास्टिक पर 800मिली लीटर पैट्रोल||


बिते 09 सितम्बर को मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने राज्य की अस्थाई राजधानी में हिमालय दिवस के लगभग एक दर्जन कार्यक्रमो में शिरकरत की होगी। हिन्दुस्तान अखबार द्वारा आयोजित ''हिमालय बचाओ, पौलिथिन हटाओं'' कार्यक्रम में जब वे उपस्थित हुए तो 13 जनपदो से पंहुचे स्कूली बच्चो के सामने वे बहुत ही भावनात्मक भाषण दे गये।



मुख्यमंत्री के भाषण का लबोलुबाम यह था कि प्लास्टिक को समाप्त करने करने के लिए हमारे ही जेहन में इच्छा शक्तीयां होनी चाहिए। उन्होंने बच्चों को महाभारत का एक प्रसंग सुनाया कि ध्रुयोधन धर्म और अधर्म को समझता था और कहता भी था, मगर वह अधर्म के ही साथ रहता था। इसलिए उनका पतन हुआ। अच्छा हो कि हमें प्रकृति को संवारने में अच्छा क्या हो सकता है उसे हमें करना ही चाहिए ना कि ध्रुयोधन की तरह समझते हुए भी उल्टे काम किये। मुख्यमंत्री ने अपने मुख्यमंत्री अनने के पश्चात और पहले के अनुभव इस आयोजन में बांटे।


कृपया लिंक खोलें और पूरा भाषण सुने -


https://www.youtube.com/watch?v=WbCxZvBuWwk&t=578s


इसके पश्चात मुख्यमंत्री ने प्रतियोगिता में अब्बल रहे बच्चों को पुरूस्कार वितरित किये। यह प्रतियोगिता भी राज्यभर में हिन्दुस्तान अखबार ने स्कूली बच्चों के साथ एक सितम्बर से आठ सितम्बर तक ''हिमालय बचाओ, पौलिथिन हटाओं'' की थीम पर करवाई थी। पुरूस्कार में बच्चों को प्रशस्ति प्रमाण पत्र और नगर राशी दी गई है। इस अवसर पर खचाखच भरे नगरनिगम सभागार देहरादून में देहरादून नगर निगम के मेयर सुनिल उनियाल गामा, बद्रीनाथ केदारनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष मोहन प्रसाद थपलियाल भी मौजूद रहे हैं।


इससे पूर्व सभी बच्चों ने अपने अपने भाषण में एक बात संयुक्त रूप से कही कि प्लास्टिक का हमारे जीवन में कितनी आवश्यकता है? जितना हो सके प्लास्टिक को हम उपयोग में ना लायें। आयोजनो अभियानो से प्रचार-प्रसार हो जायेगा, परन्तु क्रियान्वयन की प्रक्रिया होती नहीं है। लिहाजा प्रत्येक नागरिक स्वयं जिस दिन ठान लें कि वह प्लास्टिक का उपयोग अब नहीं करेगा उस दिन प्लास्टिक का कचरा स्वतः ही धरा से गायब हो जायेगा। बच्चों के भाषण में यह बात भी सामने आई कि प्लास्टिक से भारतीय पैट्रोलियम संस्थान देहरादून में एक किलो प्लास्टिक से 800 मिली लीटर पैट्रोल बन रहा है। प्लाास्टिक को संस्थान को भी दे सकते हैं।