इलेक्ट्रिोनिक मतदान ही भविष्य की जरूरत - एन॰ रविशंकर


||इलेक्ट्रिोनिक मतदान ही भविष्य की जरूरत


- एन॰ रविशंकर||


आजादी के बाद से ही चुनाव के दौरान मतो का अधिक से अधिक प्रयोग हो इसके लिए कई बार संविधान संशोधन भी हुआ है और नये नये प्रयोग अमल में भी आये है। मगर मतो का प्रतिशत बहुत ही धीमी गति से बढ रहा है जो इस आधुनिक समाज के लिए चुनौती भी बन चुकी है। जिस तरह से तकनीकी ने विकास किया उस गति से बेजा मतदान हो इस पर कमतर ही तकनीकीयों का ध्यान गया है। अब समय इलेक्ट्रिोनिक का है और मतदान भी इसी रूप में होना चाहिए।


इसी मुद्दे को लेकर उत्तराखण्ड सरकार से मुख्य सचिव के पद से सेवानिवृत हुए और मौजूदा समय में डीआईट देहरादून के वायस चांसलर एन॰ रविशंकर ने खुलकर बातचीत की है। वे चुनाव में और सुधार की बात कर रहे है। कहते हैं कि तकनीकी का हम लोग चुनाव के दौरान बहुत ही कम प्रयोग कर रहे है। इसलिए आधुनिक तकनीकी का बेजा इस्तेमाल होना चाहिए। एक सवाल के जबाव में उनका कहना है कि अब समय आ चुका है कि मतो का प्रतिशत बढाने के लिए ''इलेक्ट्रिोनिक मतो'' की व्यवस्था करनी आज की आवश्यकता है। कहते हैं कि हर तिसरा व्यक्ति सोशल मीडिया से जुड़ा है। पेटीएम के जैसे मतो का प्रयोग होना चाहिए ताकि हर नागरिक मताधिकार से वंचित ना रह सके। जो जहां हो वहां से ही मतदान कर सके। इसका मतलब साफ है कि एक तो चुनाव पर होने वाले खर्च से बचा जा सकता है। दूसरा यह कि मतदान में हर नागरिक अपने समय के अनुसार हिस्सा ले पायेगा।



यही नहीं श्री एन॰ रविशंकर आधुनिक विस्तार के साथ साथ चुनाव में आधुनिक तकनीकी के विकास पर जोर देने की पैरवी कर रहे है। उन्होंने बताया कि बैलेट पेपर, बैलेट बाॅक्स और फिर फोटो पहचान पत्र, बूथ लेबल आॅफिसर इत्यादि चुनाव प्रक्रिया के विकास मे अहम कड़िया रही है। जिस कारण चुनाव में काफी पारदर्शीता भी आई है। अब समय ''इलेक्ट्रिोनिक मतदान'' का है। वे कहते हैं कि इस प्रक्रिया में काफी कुछ संभावनाऐ दिखाई देती है। वे एडवांस कम्प्यूटिंग को जानने के लिए पुणे भी गये थे। वहां जाकर उन्होंने समझा कि मतदान को आसानी से भविष्य में ''इलेक्ट्रिोनिक मतदान'' के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।