इस गुलेल से भष्टाचरियों की आंख फोड़नी थी


||इस गुलेल से भष्टाचरियों की आंख फोड़नी थी||

इनकी गुलेल जिसको भेद रही है वह उनके रेस्टोरेंट पर धावा मारने वाला बन्दर हो सकता है। मगर इनकी जुबानी कुछ और कहती है। उनकी इस गुलेल के निशाने पर भ्रष्ट नेता भी है। वे कहती है कि उनका बस चले तो वे अपनी गुलेल से भ्रष्टाचारियों की एक आंख निकालना चाहती है। खैर! उनसे बातचीत का दौर आगे चला तो मालूम हुआ कि वह भी एक बार बुरी तरह से भ्रष्टाचारियों के बीच फंस गई थी। हुआ यूं कि उतराखण्ड में इन्द्राअम्मा भोजनालय खोले जा रहे थे। उन्होंने भी आवेदन कर दिया। उन्हे अल्मोड़ा स्थित शेखर होटल के पास इन्द्राअम्मा भोजनालय खोलने की स्वीकृति मिल गई।


इस भोजनालय में 20 रू॰ प्रति थाली ग्रहक से लेनी थी बाकि 10 रू॰ सरकार द्वारा भुगतान होना था। लगभग ढाई साल तक यह कारोबार ठीक-ठाक चला। वे आगे बताती है कि जैसे ही देहरादून सहित दिल्ली तक सरकारे बदली, वैसे उनके इस इन्द्राअम्मा भोजनालय के कारोबार पर ग्रहण लग गया। कौतुहल का विषय यह है कि जब भी वे प्रति माह के अन्त में सरकार को अपने 10 रू॰ के हिसाब के लिए आवेदन करते, तब ही उन्हे सरकारी मुलाजिम हिदायत देते थे कि वे 10 रू॰ का भुगतान तभी करेंगे जब उनके कमिशन का पता चलेगा। इस पर इन्द्राअम्मा भोजनालय चलाने वाली सभी स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाऐं कमिशन का नाम सुनकर भौचक्के रह गई।


वैसे भी इतनी सस्ती दर पर भोजनालय का खाना और उससे ऊपर फिर कमिशन? जबकि वे महिलाये भोजनालय तो चलाती रही पर सरकार द्वारा उनके 10 रू॰ के भुगतान का हिसाब कमिशन के चक्कर में फंसता ही चला गया। क्योंकि वे बता रही थी कि जो 10 रू॰ प्रति थाली सरकार से मिलता था उससे वे राशन इत्यादि खरीदते थे। सरकार द्वारा 10 रू॰ का भुगतान छः तक नहीं हुआ। सो वे छः माह बाद राशन नहीं खरीद पाये। हालांकि जो उन्हें प्रति थाली ग्राहक द्वारा प्राप्त हुआ था, उससे उन्होंने कर्मचारियो की तनख्वा एवं भोजनालय के अन्य खर्च पूरे किये। इस तरह से वे महिलाऐं कमिशन दे नहीं पाई और उनका इन्द्राअम्मा भोजनालय आखिर बन्द ही हो गया। अन्ततः उन्होंने अपना छः माह का लगभग पांच लाख रू॰ का भुगतान सरकार के पास ही छोड़ दिया।


कुलमिलाकर कहा जा सकता है कि सरकारी मुलाजिम भ्रष्टाचार से आंकठ डूबे हुए है। अब तो वे सिर्फ यही कहती है कि सरकारी योजनाओं के चक्कर में अपना भविष्य बर्बाद मत करो। इसलिए उन्होंने अल्मोड़ा से 10 किमी दूर चितई मंदिर परिसर में गुरूकृपा रेस्टोरेंट खोला है। पर उनके मन में एक टीस आज भी बनी हुई है कि कोई नेता ''माई का लाल'' नहीं बन, पाया। जो भष्टाचार को जड़मूल फेंक सके। यह बात उन्होंने इस संवाददाता से चुनाव के दिन यानि 11 अप्रैल 2019 को कही।


स्थान - #चितई गोलू मंदिर अल्मोड़ा#
दिनांक - #11 अप्रैल 2019#
समय - प्रातः 11 बजे