श्रीनगर बांध के पावर चैनल में रिसाव
||श्रीनगर बांध के पावर चैनल में रिसाव||

 


उत्तराखण्ड को अब ऊर्जा प्रदेश भी कहा जाने लगा है। और ना जाने किस नाम से इस पहाड़ी राज्य को भविष्य में यहां के नुमाईन्दे नाम देंगे। खैर! भविष्य का तो मालूम नहीं मगर अलकनन्दा नदी पर बना ऊर्जाघर अब रिसाव करने लग गया है। इस बांध को बने पांच वर्ष भी पूरे नहीं हुए कि पानी के रिसाव की खबरे आने लग गई है। अगर ऐसा ही चलेगा तो राज्य के नुमाईन्दो का यह ऊर्जा प्रदेश का सपना चकनाचूर हो जायेगा। कारण इसके जहां पर भी विद्युत परियोजनाऐं निर्माणाधीन हैं और प्रस्तावित है, वहां वहां पर स्थानीय लोग आन्दोलित है। जो भी हो, निर्माण हो चुके बांधो की गुणवत्ता की खबरे आने लग गई है।

 

ज्ञात हो कि अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड श्रीनगर बांध का पावर चैनल रिसाव करने लग गया है। स्थानीय लोग इस बावत राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण की शरण में गये। प्राधिकरण ने तुरंत इस बांध के रिसाव को समय सीमा में रोकने के आदेश दे डाले। प्राधिकरण ने याचिका पर अलकनंदा हाइड्रो पावर लिमिटेड को आदेश दिया है कि वह श्रीनगर बांध के पावर चैनल में हो रहे रिसाव को अविलम्ब रोकने के पुख्ता इन्तजाम करें। प्राधिकरण के मुख्य न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल, न्यायाधीश एसपी वागडी, विशेषज्ञ सदस्य नवीन नंदा ने अलकनंदा हाइड्रो पावर कारपोरेशन लिमिटेड, ऊर्जा विभाग टिहरी, राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस बावत निगरानी के आदेश भी कर दिये।

 

इधर प्राधीकरण में उत्तम सिंह भण्डारी और अन्य की याचिका में कहा गया है कि उत्तराखंड में अलकनंदा के किनारे बनी श्रीनगर जल विद्युत परियोजना का पावर चैनल जो खुली नहर के रूप में चार किलोमीटर लंबा है। जिससे अलकनंदा का पानी पावर हाउस तक बिजली बनाने के लिए प्रयोग में लिया जाता है। बताया गया कि साल 2015 में भी इसमें बहुत बुरी तरह से रिसाव हुआ था। फलस्वरूप इसके टिहरी गढ़वाल के मंगसू, सुरासू व नोर थापली गांवो की फसलें और आवासीय मकानो को भारी नुकसान पंहुचा है। इस बावत प्राधिकरण ने 23 मई 2019 को अगली सुनवाई से पहले उत्तराखंड सरकार के ऊर्जा विभाग, प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तथा जिलाधिकारी टिहरी गढ़वाल से रिपोर्ट भी मांगी थी। जबकि प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को इस काम के समन्वयन और अनुपालन की जिम्मेदारी भी दी गई थी। अतः इसके अनुपालन में जिलाधिकारी टिहरी ने 11 जून को एक समिति का गठन कर दिया।

 


अब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा दाखिल रिपोर्ट में बताया गया कि 18 जून 2019 को नहर का निरीक्षण किया गया है। समिति ने निरीक्षण में पाया कि ग्राम सुपाना में पानी का रिसाव हो रहा है। ग्राम सुपाना, ग्राम मंगसू, ग्राम नोर के ग्रामीणो ने समिति को बताया कि कई सालों से श्रीनगर बांध के पावर चैनल के रिसाव से उनके गांव में खतरा बढ गया है। रिसाव के कारण ये ग्रामीण दहशत में रहते हैं। इसलिए वे पुनर्वास की मांग कर रहे हैं। इधर वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जूलाजी देहरादून ने भी अपनी रिपोर्ट में रिसाव के खतरे की ओर ईशारा किया है। सुझाव दिया कि पावर चैनल को पुनः सुदृढ़ीकरण करने की नितान्त आवश्यकता है।