जलग्रहण विकास के लेखा रिकार्ड का संधारण

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा


किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 04)


सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल-


||जलग्रहण विकास के लेखा रिकार्ड का संधारण||


जलग्रहण विकास में सम्पादित करवाये गये कार्यो एवं उन पर किये गये व्यय के साक्ष्य हेतु अभिलेखों का संधारण करना एक महत्वपूर्ण कार्य है। जलग्रहण के विकास कार्य विभिन्न स्तर पर उनके दायित्वों के अनुरूप करवाये जाते हैं। इन कार्यो का उच्च स्तर की कमेटी द्वारा भौतिक सत्यापन किया जाता है, जिसके आधार पर भुगतान पारित कर कार्यो के लिए भुगतान किया जाता हैं इस प्रकार किये गये व्यय के लेखों का परीक्षण भी किया जाता हैं इसलिए आवश्यक होता है कि जलग्रहण विकास के अभिलेखों का संधारण समस्त स्तरों पर सही प्रकार किया जावे।


जलग्रहण समिति/पंचायत राज संस्थाओं के द्वारा करवाये जा रहें कार्यो हेतु प्राप्त, व्यय राशि, लाभार्थियों के अंशदान. स्वयंसहायता समूहों द्वारा एकत्र राशि, समय-समय पर वितरित सामग्री जैसे पौधे, चारा, प्रदर्शन, हाउस होल्ड उत्पादन सामग्री एवं  कार्यो के उपयोग में आने वाली सामग्री आदि के रकार्ड में समरूपता की दृष्टि से जलग्रहण क्षेत्रों पर संधारित किये जाने वाली पंजिकाओं के प्रपत्र निर्धारित किये गये हैं।


यह आवश्यक है कि सभी जलग्रहण विकास योजनाओं के समान रूप से संधारित की जाने वाली सूचनाएं खुले पृष्ठों पर संधारित न की जाकर छपे हुए अथवा  स्पष्ट पठनीय एवं बाइंड किये गये रजिस्टरों के रूप में की जावें। इनके संधारण की जिम्मेदारी प्रत्येक जलग्रहण क्षेत्र के सचिव की होती है, जिसके लिये वे साइट प्रभारी की मदद प्राप्त कर सकते हैं। पंजिकाओं में समस्त इन्द्रज जलग्रहण समिति के अध्यक्ष द्वारा प्रमाणित किये जातेंहैं। संबन्धित सहायक अभियन्ता, पंचायत समिति उक्त पंजिकाओं को सत्यापित/ प्रमाणित करते हुए संबधित जलग्रहण सचिव को जारी करेगें एवं उनका समस्त रिकार्ड निम्न प्रारूप में अपने स्तर पर संधारित किया जाता है।


बिल पारितकर्ता द्वारा बिलों को पारित करने से पूर्व यह सुनिश्चित करना चाहिए कि सभी सम्बन्धित पंजिकाओं का संधारण किया जा रहा है एवं  इन्हें आज दिनांक तक पूर्ण किया गया है।


 प्रत्येक पंचाययत समिति के सहायक अभियन्ता व अधिशाषी अभियन्ता ( भू संसाधन ), जिला परिषद् को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके क्षेत्र में क्रियान्वित समस्त जलग्रहण क्षेत्रों में उक्त पंजिकाओं का संधारण निरन्तर किया जा रहा है। निरीक्षण अधिकारी जब भी जलग्रहण क्षेत्र भ्रमण पर आते हैं तो उक्त पंजिकाओं का निरीक्षण उनके द्वारा किया जाता है एवं देखी गई पंजिकाओं में  अपनी टिप्पणी अंकित की जाती है।


4.2 जलग्रहण विकास के अभिलेख संधारण


जलग्रहण विकास के अभिलेख संधारण के प्रसंग में निम्न प्रमुख चार स्तरों पर अभिलेख संधारण किया जाता हैं।



  1. जलग्रहण विकास दल द्वारा अभिलेख संधारण

  2. परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा अभिलेख संधारण

  3. जलग्रहण कमेटी/ग्राम पंचायत द्वारा अभिलेख संधारण

  4. स्वयं सहायता समूह द्वारा अभिलेख संधारण ( पृथक इकाई में उल्लेखित किया गया है )


4.2.1 जलग्रहण विकास दल द्वारा अभिलेख संधारण (maintain records by warershed development team)


जलग्रहण विकास परियोजना हेतु एक जलग्रहण विकास दल का गठन किया जाता है। जिसमें चार विशेषज्ञ होते हैं। जिनमें से एक दल का अध्यक्ष होता है। इनका मुख्य कार्य जलग्रहण क्षेत्र में भ्रमण करते हेए जलग्रहण विकास की विशेषज्ञ राय देना, सुधार एवं समाधान के सुझाव देना होता है। इनके द्वारा बैठकों में भाग लेना, परियोजना बनाने एवं क्रियान्वयन में राय देने का दायित्व निभाया जाता है। इसके लिए इस स्तर पर मुख्य रूप से भ्रमण डायरी एवं बैठक कार्यवाही विवरण की पंजिका संधारित की जानी चाहिए।


4.2.2 परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा संधारण( maintain records by project implementing agency )


जलग्रहण विकास में परियोजना क्रियान्वयन अभिकरण ( पी. आई. ए. ) द्वारा परियोजना प्रस्ताव प्रतिवेदन ( सी. पी. आर. ) विस्तृत परियोजना प्रतिवेदन ( डी. पी. आर ) तकनीकी स्वीकृतियाँ, कार्य की दरें, तैयार कर स्वीकृत करवायी जाती हैं। जलग्रहण विकास कार्यो का भैतिक एवं  वित्तीय प्रगाति, उपयोगिता प्रमाण पत्र, पत्राचार आदि का कार्य भी किया जाता है। इसलिए परियोजना प्रतिवेदन क्रियान्वयन अभिकरण द्वारा निम्न अभिलेख संधारित किये जाने चाहिए।



  1. परियोजना प्रतिवेदन पंजिका

  2. भौतिक-वित्तीय प्रगाति पत्रावली

  3. आवक पंजिका

  4. जावक पंजिका

  5. यात्रा बिल एवं मानदेय पत्रावली

  6. रोकड़ पुस्तक

  7. चैक बुक रजिस्टर

  8. चैक प्राप्ति रजिस्टर

  9. बैठक कार्यवाही रजिस्टर

  10. भ्रमण/निरीक्षण डायरी


4.2.2 जलग्रहण/कमेटी ग्राम पंचायत द्वारा अभिलेख संधारण ( maintain record by watershed committee/ gram panchayat )


जलग्रहण कमेटी/ग्राम पंचायत स्तर पर सचिव द्वारा विभिन्न प्रपत्रों में अभिलेख संधारण किया जाता है। जलग्रहण कमेटी सचिव जलग्रहण संस्था एवं जलग्रहण समिति की बैठक बुलाने एवं उनके नियमों को लागू करने का दायित्व वहन करेगा। वह जलग्रहण संस्था एवं समिति का रिकार्ड संधारण करेगा तथा स्ंवय सहायता समूहों के लेख बनाने में सहायता करेगा। सचिव को दी जाने वाली राशि का निर्धारण जलग्रहण समिति द्वारा किया जावेगा परन्तु इस बात का ध्यान रखा जावेगा कि जलग्रहण विकास परियोजना में सचिव एवं स्वयं सेवकों को चार साल तक दी जाने वाली मानदेय राशि परियोजना अन्तर्गत स्वीकृत राशि से अधिक नहीं होगी।


सचिव की सहायता  से जलग्रहण समिति क्षेत्र से दो ऐसे स्वयं सेवको का चयन करेगी जो सचिव की सहायता करेंगे। जलग्रहण कमटी स्तर पर निम्नानुसार पत्रावलियाँ एवं अभिलेखें का संधारण किया जावेगा।


अ. पत्रावलियाँ



  1. परियोजना प्रतिवेदन पत्रावली:

  2. पत्रावली में परियोजना प्रस्ताव प्रतिवेदन, विस्तृत परियोजना एवं जिला परिषद/जिला ग्रामीण विकास जिला परिषद से प्राप्त स्वीकृतियाँ संधारित की जाती हैं।

  3. परियोजना प्रस्ताव प्रतिवेदन, परियोजना क्रियान्वयन एजेन्सी द्वारा निर्धारित प्रारूप के अनुसार तैयार किया जाकर जिला ग्रामीण विकास अभिकरण/जिला परिषद् प्रस्तुत किया जाता है।

  4. भौतिक -वित्तीय प्रगाति पत्रावली:


इसमें भौतिक एवं वित्तीय प्रगाति का ब्यौरा, वित्तीय मांगपत्र/उपयोगिता प्रमाण पत्र एवं पी. आई. ए. तथा अभिकरण से परियोजना बाबत पत्राचार संधारित किया जावेगा।



  1. यात्रा भत्ता मानदेय पत्रावली:


इसमें सचिव एवं अन्य के द्वारा वास्ताविक यात्रा भत्ता एवं मानदेय पत्रावली संधारित की जावेगी।


विकसित जलग्रहण का संधारण एवं उपयोगिता


विकसित जलग्रहण का ही नहीं अन्य संसाधनों का संधारण भी उनकी उपयोगिता पर निर्भर करता है। जो जितना अधिक उपयोगी है उसका संधारण भी उतना श्रेष्ठ होता है। वर्तमान में तो विकसित संसाधन का उपयोग करने से जो आय प्राप्त होती है उसी के आशिंक भाग से संसाधन का संधारण किया जाना अधिक प्रभावी प्रमाणित हो रहा है। इससे स्पष्ट है कि जलग्रहण का संधारण उसकी उपयोगिता पर निर्भर करता है। जलग्रहण प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष उपयोगिता को तीन प्रकार की उपयोगिताओं में विभाजित किया जा सकता है-



  1. व्यक्तिगत उपयोगिता

  2. सामूहिक उपयोगिता

  3. सार्वजनिक उपयोगिता


व्यक्तिगत उपयोगिता


जलग्रहण परियोजना में परियोजना बजट, अनुदान या स्वयं के खर्चे से विकसित किये गये संसाधन का व्यक्ति विशेष द्वारा उपयोग करना व्यक्तिगत उपयोग कहा गया है। जलग्रहण क्षेत्र में विकसित किये गये व्यक्तिविशेष के खेत, सिंचाई के साधन, कृषि वानिकी पौधारोपण बगीचा, प्रदर्शन कार्य, उन्नत फसल, उन्नत पशुधन, अतिरिक्त कार्य के स्त्रोत आदि का उपयोग व्यक्ति विशेष द्वारा किया जाता है। इस प्रकार विकसित विशेष के होने के कारण इनका उपयोग एवं संधारण सुनिश्चित होता है।


सामूहिक उपयोगिता


जलग्रहण क्षेत्र में जलग्रहण परियोजना के बजट सामूहिक श्रमदान एवं अनुदान से सामूहिक संसाधन विकसित किये जाते हैं। जैसे- सामूहिक कुंआ, तालाब, तलाई, कुण्ड बाडबन्दी, पौधारोपण, चारागाह विकास, पाइप लाइन,एनीकट, नाला उपचार, अपवर्तन नालियां, उद्वहन प्रणाली आदि। इन कार्यो के उपयोग हेतु अलग-अलग प्रकार के समूह सामूहिक कुंआ, तालाब, तलाई, कुण्ड, बाडबन्दी, नाला उपचार, अपवर्तन नालियां, उद्वहन प्रणाली आदि के विकास संधारण एवं उपयोग हेतु जिम्मेदार होता है। इस प्रकार के समूह आपसी चर्चा एवं व्यावहारिक ज्ञान के आधार पर सामूहिक संसाधनों के उपयोग एवं संधारण की प्रणाली विकसित कर लेते हैं।इसी प्रकार मवेशी पालकों का समूह चारागाह एवं वृक्षारोपण के विकास संधारण एवं उपयोग की प्रभावी प्रणाली विकसित कर लेते हैं। चारागाह क्षेत्र एवं वृक्षारोपण क्षेत्र से प्राप्त होने वाली घास एवं लघुवन उपल का वितरण, इनसे प्राप्त आय के उपयोग आदि के लिए  एक सुरक्षा समिति गठित कर ली जाती है। इस समिति के सदस्य अपनी-अपनी सदस्यता शुल्क समिति में जमा कराते हैं इसके आलाव चारागाह एव वृक्षारोपण से अपने उपयोग हेतु प्राप्त की जाने वाली उपज के लिए टोकन राशि समिति में जमा होती हैं। चारा एवं लघुवन उपज यदि समिति सदस्यों की आवश्यकता की आपूर्ति होने के पश्चात बच गई है तो समिति उसे बेच कर आय प्राप्त करती है।


सार्वजनिक उपयोगिता:


जलग्रहण क्षेत्र में सार्वजनिक उपयोग हेतु सार्वजनिक कुंआ, तालाब, पानी की टंकी, पाइप लाइन, चारागाह, बगीचा, सड़क, स्कूल, औषधालय, सभाघर आदि विकसित किये जाते हैं। आम आदमी द्वारा इनका जितना अधिक उपयोग किया जाता है उतना संधारण नहीं किया जाता सार्वजनिक संसाधनों के उपयोग एवं संधारण के लिए जलग्र्रहण योजना के संधारण बजट का प्रावधान रखना चाहिए।


विकसित जलग्रहण का संधारण करना ही महत्वपूर्ण है जितना जलग्रहण का विकास करना। जलग्रहण के विकास में व्यक्तिगत, सामूहिक एवं सार्वजनिक संसाधनों को विकसित किया जाता है। विकसित संसाधन की सुरक्षा एवं संधारण उसकी उपयोगिता महत्ता एवं सम्बन्धता पर निर्भर करती है। विकसित संसाधन जितना अधिक उपयोगी एवं महत्वपूर्ण होता है उसकी सुरक्षा एवं सधारण उनता ही अधिक होता है। इसके अतिरिक्त सम्बन्धता की भूमिका भी महत्वपूर्ण होती हैं। जो संसाधन समस्त जनता से संबध रखते हैं उनसे अच्छा संधारण सामूहिक संसाधनों का होता है। इसी प्रकार सामूहिक संसाधन की तुलना में व्यक्तिगत संसाधन अधिक सुरक्षित रहता है। जलग्रहण के विकसित होने के साथ उसका संधारण एवं उपयोग इस प्रकार किया जावे कि जलग्रहण स्वयं धारी बन जावे।


सांराश


जलग्रहण विकास दल द्वारा भ्रमण डायरी व बैठक कार्यवाही विवरण पंजिका संधारित की जानी चाहिए। पी. आई.ए. द्वारा परियोजना प्रतिवेद पंजिका, भैतिक-वित्तीय प्रगाति पत्रावली, आवक-जावक पंजिका, रोकड़ पुस्तक, चैक बुक रजिस्टर आदि संधारित किये जाने चाहिये। जलग्रहण कमेटी ग्राम पंचायत द्वारा परियोजना प्रतिवेदन पत्रावली, भैतिक-वित्तीय प्रगति तथा यात्रा भत्ता मानदेय पत्रावली संधारित की जानी चाहियें।


4.5 संदर्भ सामग्री



  1. प्रशिक्षण पुस्तिका- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  2. राजस्थान में जलग्रहण विकास गतिविधियाँ एवं उपलब्धियाँ- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  3. कृषि मंत्रालय, भारत सरकासर द्वारा जारी राष्ट्रीय जलग्रहण विकास परियोजना के लिए जलग्रहण विकास पर तकनीकी मैनुअल

  4. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी विकास- दिशा निर्देशका

  5. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी विकास- हरियाली मार्गदर्शिका

  6. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

  7. विभिन्न परिपत्र-राज्य सरकार/जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग

  8. इन्दिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा विकसित संदर्भ सामग्री- जलग्र्रहण प्रकोष्ठ


9. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका