जलग्रहण विकास स्वयं सहायता  समूह : क्या-क्यों-कैसे करें

(द्वारा -  वर्धमान महावीर खुला विश्वविद्यालय, कोटा
किताब - जलग्रहण विकास-क्रियान्यवन चरण, अध्याय - 11)
सहयोग और स्रोत - इण्डिया वाटर पोटर्ल -


||जलग्रहण विकास स्वयं सहायता  समूह : क्या-क्यों-कैसे करें||


स्वयं सहायता समूह ग्रामीण गरीबों के समरूप है जो अपनी आय में से सबकी सहमति से तय की गई छोटी राशियों की बचत के लिये स्वैच्छिक रूप से बनाये जाते हैं तथा इससे समूह की सामान्य निधि (कार्पस) निर्मित होती हैं, जिससे सदस्यों को उनकी उत्पादक आकस्मिक ऋण दिया जाता हैं।


11.2 स्ंवय सहायता समूह   क्यों बनें?  ( )


11.2.1 निर्धन ग्रामीणों को किन-किन आवश्यकताओं की पूर्ति ऋण की आवश्यकता होती हैं?


(what type of necessity required to get looan by poor villagers)



  • ग्रामीण क्षेत्रों में निकवास करने वाले निर्धन एवं जरूरतमंद लोगों को विभिन्न अवसरों जैसे शादी- विकाह के  समय, बीमारी के  इलाज, मकान बनाने एवं मरम्मत हेतु, अनाज, चारे, बीज,, खाद सहित अन्य कृषि कार्यो, लडकी की विदाई, बच्चों की शिक्षा, परिवार में किसी के जन्म/मृत्यु इत्यादि के समय ऋण लेने की आवश्यकता होती हैं।


11.2.2 निर्धन ग्रामीण अपनी ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति किस प्रकार पूरी करता हैं?


(how a poor villager can fultil necessites relating loan )



  •   परम्परागत रूप से लघु एवं सीमान्त कृषक, भूमिहीन मजदूर, खुदरा व्यापारी, शिल्पकार, दस्तकार एवं अन्य लघु उद्योगों में लगे व्यक्ति अपनी आकस्मिक ऋण सम्बन्धी जरूरतों की पूर्ति हेतु गाँव के साहू कार/महाजन रिश्तेदार आदि पर पूर्णतः निर्भर हैं।

  •  आज विकास के युग के बदलते परिवेश में ऋण प्रदान करने वाले परम्परागत स्त्रोतों जैसे गाँव के साहू कार/ महाजन/रिश्तेदार के साथ-साथ विभिन्न व्यावसायिक वित्तीय स्त्रोंत जैसे ग्रामीएा बैंक, व्यावसायिक बैंक, सहकारी बैंक आदि भी बहुतायत में ऋण उपलब्ध करा रहें हैं।


11.2.3 पारम्परिक एवं वित्तीय ऋण प्रदान करने वाली संस्थाओं के पृथक-'पृथक गुण दोष क्या हैं?


(what are separate advantages and disadavantages of a pprooviding traditiona and financial loan by a instition )


गुण दोष



  1. यह स्थानीय होता है। 1. उच्च ब्याज दर

  2. समय में उपलब्धता 2. अपनी शर्तो पर सहायता।

  3. व्यक्तिगत सम्पर्क और भागीदारी। 3. उचित दस्तावेज और अभिलेखन


                            करना जिसमें बेईमानी की गुजांइश होती हैं।



  1. एक से अधिक बार सहारा मिलना। 4. कोई स्थाई नियम नहीं होते। व्यक्ति परिस्थिति


अनुसार बदलते रहते हैं।



  1. विश्वास एवं धरोहर के आधार पर सेवा।   5. गिरवी रखी धरोहर को समय पूरा। होने के बाद लौटाना।

  2. पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध ऋण। 6. लचीली उधार वापसी।



  • वित्तीय ऋण प्रदान करने वाले संस्थान: ग्रामीण बैंक, व्यावसायिक बैंक, सहकारी बैंक।


गुण



  1. बचत करने की सुविधा।

  2. उचित ब्याज दर।

  3. सभी के लिए योजना के अनुसार स्थाई नियम

  4. अभिलेखन दस्तावेज रखना।


दोष



  1. जटिल, स्थिर और अधिक समय लेने वाली कार्यवाही।

  2. एक व्यक्ति का एक समय में एक से अधिक ऋण देना।

  3. प्रातः 10 बजे से 2 बजे तक ही लेनदेन की सुविधा। इसके बाद लेन-देन बन्द हो जाता है तथा छुटी के दिन लेन-देन बन्द रहता हैं।


 


11.2.4 समूहगत विकास प्रणाली क्यों आवश्यक हैं? ( why necessity of collectively development )



  • जरूरतमंद निर्धन को साहूकार अथवा बैकों से मिलने वाले ऋण के बदले ऋण राशि सेे अधिक की कीमत की धरोहर जैसे जमीन के कागज, गहने इत्यादि गिरवी रखने पड़ते हैं।

  •  समाज के वे निर्धनतम व्यक्ति जिनके पास रखने हेतु तो भूमि हैं ही गहने, उनकी स्थिति आकस्मिक ऋण आवश्यकताओं के समय और भी विकट हो जाती है।

  •  अतः व्यावसायिक वित्तीय संस्थाओं और पंरम्परागत ऋण स्त्रोतों की कमियों को दूर करने के उद्देश्य  से, अपनी छोटी-छोटी समूहगत बचतों के माध्यम से एक ही गांव के उक समान विचारधाराओं, आवश्यकताओं उद्येश्यों के व्यक्ति यदि मिलकर समूह बनाकर विकास के पथ पर अग्रसर होगें तो सभी का विकास निश्चित है।


11.2.5 स्वंय सहायता समूह क्या है ? ( what is self helf group )



  • यह समान आर्थिकक सामाजिक पृष्टभूमि समान उद्देश्य  वाले 10 से 20 ग्रामीण स्त्री पुरूषों के गैर राजनीतिक समूह हैं, जिसके सदस्य स्वयं द्वारा निश्चित बचत राशि को साप्ताहिक, पाक्षिक अथवा मासिक आधार पर समूह के कोष में जमा करते हैं और इस सामूहिक कोष से जरूरत के वक्त सदस्यों के बीच आन्तरिक लेन-देन करते हैं।

  •  स्वंय सहायता समूह की मूल अवधारणा है कि बिना किसी बाहरी सहायता या अनुदान के अपनी ही सामूहिक बचत द्वारा अपनी ही सहायता करना तथा अपने दम पर खड़े होना।

  • जलग्रहण क्षेत्रों में आपसी ऋण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ आय के अन्य स्थाई स्त्रोत विकसित किये जाने के उद्देश्य  से बचत समूह के अलावा निम्नलिखित गतिविधियों के स्वयं सहायता समूह भी गठित किये जा सकते हैं जैसे: रस्सी उद्योग, मूंजा उद्योग, टोकरी उद्योग, दुग्ध उद्योग, गुलाब जल , गुलकन्द, सब्जी उत्पादकता समूह, मशरूम उत्पादन समूह इत्यादि। उपर्युक्त गतिविधियों के अतिरिक्त जलग्रहण क्षेत्र में यदि स्थानीय आवश्यकताओं एवं कच्चे माल तथा विक्रय बाजार की उपलब्धता को देखते हुए अन्य प्रकार की आय मूलक गतिविधियां हो सकती हैं तो उनके भी स्वयं सहायता समूह गठित किये जा सकते हैं।

  • सामान्यत: विभिन्न जिलों एवं उनके आस-पास जिन-जिन लघु उद्योगों हेतु स्वंय सहायता समूह विकसित किये जा सकते हैं, इसका विवरण परिश्ष्टि-1 पर उपलब्ध है।


11.2.6 स्वयं सहायता समूह के मूल उद्देश्य  क्या हैं? ( what are the basice of self helf group )



  •  आपातकालीन ऋण उपलब्ध कराना।

  •  परम्परागत ऋण के बोझ से छुटकारा दिलाना।

  •  बाहरी धन का उपयोग अपने धन की तरह करना सीखना।

  •  गरीबों में अल्प बचत कराकर खराब फसल के दौरान आवश्यक धन का प्रबन्धन।

  •  स्थानीय आर्थिक गतिविधियों का विकास।

  • ग्रामीण कुटीर लघु उद्योगों का विकास।


11.2.7 स्वंय सहायता समूह के क्या-क्या लाभ हैं? (What are the advantage of self helf group )



  •  बचत के साथ-साथ समूह का स्वाभिमान आत्मविश्वास बढता है।

  •  जरूरत के आधार पर आसानी से ऋण प्राप्त हो जाता है।

  •  समूह के साथ बैठकर बातचीत करने से नई चेतना जागृत होती है।

  •  साथ बैठने से एक जुटता एकता की भावना विकसित होती है।

  •  समूह छोटी-छोटी बचत पैसों का हिसाब-किताब संभालना सीखता है।


11.3 स्वयं सहायता समूह: कैसे बनें ? (    )


11.3.1 स्वयं सहायता समूह के गठन की क्या प्रक्रिया है? ( whagt is a procedure to construct self helf group )



  •  समूह का गठन किसी प्रभोलन वश नहीं होना चाहिए।

  •  सदस्यों के चयन में बाहरी हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए।

  •  समूह में समरूपता होनी चाहिए। सभी सदस्य समान आर्थिक-सामाजिक स्तर के होने चाहिए।

  •  समूह गठन जल्द बाजी में नहीं करना चाहिये। इसे स्वतः विकसित होने देना चाहिए।

  •  गैर पंजीकृत समूह में कम से कम 10 अधिक से अधिक 20 सदस्य होने चाहिए।


 सदस्यों की संख्या 20 से अधिक होने पर पजींकरण आवश्यक है।



  •  स्वयं सहायता समूह के गठन और प्रारम्भिके अवस्था में प्रचालन हेतु विभाग/स्वैच्छिक संस्था की भूमिका महत्वपूर्ण है।

  •  समूह की सफलता में ऋण का आन्तरिक लेन-देन महत्वपूर्ण होता हैं अतः इसका जल्दी से जल्दी शुरू होना समूह के लिए अच्छा होता है।

  •  बैंक ऋण साख सीमा के रूप में होना चाहिए कि व्यक्तिगत परियोजना पर आधारित होवें।

  •  आन्तरिक ऋण ब्याज दर बाहर से थोपी नहीं जानी चाहिए। बचत की राशि, ऋण पर ब्याज की अदायगी दर, ऋण की प्राथमिक आदि बाते समूह में परस्पर चर्चा कर स्ंवपय के निर्णय से तय की जानी चाहिए।

  • आय वृद्धि कार्यक्रम के चयन में बाहरी दबाव नहीं होना चाहिए यह काम सदस्यों को स्वंय करने देना चाहिए।

  • सभी प्रक्रियाएँ सरलतम होनी चाहिए।

  •  समूह द्वारा समूह की एक आचार सहिंता बना लेनी चाहिए। अपनी नियमावली समूह को स्वयं तय करने देनी चाहिए। सदस्यों के दायित्व एवं अधिकारों का निर्धारण भी संहिता का हिस्सा होगा।

  •  सभी सम्बन्धित पक्षो का क्षमता विकास अनिवार्य हैं।

  •  छोटे पैमाने पर शुरू करने चाहिए। विकसित होने में समय लगना संभावित है।

  •  जब जब आवश्यकता हो तब ग्राम पंचायत की मदद/ सलाह ली जानी चाहिए।


11.3.2 कौन-कौन व्यक्ति के सदस्य बन सकते हैं ? ( who can be a member of self helf group )



  • से 60 वर्ष की आयु के दर्जन करने वाले ग्रामीण समूह के सदस्य हो सकते हैं।

  •  सदस्य उसी गाँव का निवासी होना चाहिए।

  •  एक समय में एक व्यक्ति एक ही समूह का सदस्य हो सकता है।

  • एक परिवार से दो से अधिक व्यक्ति समूह के सदस्य नहीं हो सकते हैं।


11.3.3. किन-किन परिस्थितियों में सदस्यता समाप्त हो सकती हैं ? ( in which situation a membership can be demolished )



  •  जब कोई सदस्य बचत राशि जमा करवाना बन्द कर दें।

  •  लागातार 3-4 बैठकों में बिना सूचित किये/ उपयुक्त कारण के भाग लें।

  •  लागातार ऋण किश्तों को अदा करने में चूके।

  •  समूह की नियम/शर्ते नहीं माने।

  •  गांव का निवासी नहीं रहें।


11.3.4 पूर्व रचना अवस्था ? ( pre-  constructive postion )जिस जलग्रहण क्षेत्र में हम स्वयं सहायता समूह विकसित करना चाहते हैं वहाँ सर्वप्रथम गाँव की विस्तृत जानकारी हेतु सामाजिक आर्थिक सर्वेक्षण किया जाना चाहिए। इसका प्रपत्र परिशिष्ट-2 पर संलग्न है। इसके आधार समूह संरचना की संभावना का पता लगावें। इससे ग्रामवासियों की ऋण सम्बन्धी जरूरतों तथा उन्हें पूरा करने के लिए उपाय किये जा रहे हैं उनका पता लगता है। साथ ही वे किन गतिविधियों में लिप्त हैं एवं खाली समय में क्या करते हैं आदि जानकारी मिलती है। आय वर्ग के आधार पर  ग्रामीणों को वर्गीकृत किया जाता हैं। गरीब ग्रामीणों का चयन, ग्रामीण सहभागिता के आधार पर ही किया जा सकता है। जिसे सम्पत्ति क्रमबद्धता ( वैल्थरेंकिग ) कहते है।


11.3.5 सम्पत्ति क्रमबद्धता ( वैल्थरेंकिग ) क्या है ? ( what is  wealth ranking)


सम्पत्ति क्रमबद्धता किसी गाँव के परिवारों की सम्पत्ति के आधार पर उन्हीं के द्वारा बनाये गये मापदण्डों स्वयं उन्हीं के द्वारा विभिन्न श्रेणियों में विभाजित क्रमबद्ध  करने की एक प्रक्रिया है, जिसमें बिना पक्षपात के सभी परिवारों को तीन श्रेणियों में क्रमबद्ध  किया जाता हैं।


11.3.6  बैल्थरेंकिग कैसे की जा सकती हैं( how  to wealth  ranking )



  •  सर्वप्रथम गाँव में ,जातिवार चूल्हों के आधार पर घर के मुखियाओं की एक लिस्ट तैयार की जानी चाहिए। इसके लिए गाँव के बुजुर्गो, वार्डपंच, संरपच की मदद ली जा सकती हैं। 

  •  लिस्ट के आधार पर प्रत्येक घर के मुखिया के नाम की ( समान रंग आकार की ) पर्चियाँ बनीयी जायें।

  •  आवश्यकतानुसार गाँव/ढाणी में स्थित परिवारों वाली पर्ची को छाटं कर उस मौहल्ले में जाकर 4-5 लोगों/महिलाओं के एकत्र करें। ( यदि गाँव बड़ा हैं तो मोहल्लेवार या जातिवार वैल्थरेंकिग करनी चाहिए )

  •  एक पर्ची लेकर उस पर लिखा नाम पढकर सुनायें और उन लोगों से पूछें कि यह गरीब हैं या अमीर, जब वे बता दें तो, उस पर्ची को बीच में एक स्थान पर रख दें।

  •  दूसरी पर्ची पर लिखा नाम पढे़ फिर वही प्रश्न करेें। परन्तु इस बार इससे पहले पढ़े गये नाम का हवाला देकर उससे पूछें कि यह पहले बोले गये नाम के मुकाबले गरीब हैं या अमीर है या उसके जैसा है। यदि उस जैसा है तो पूर्व रर्खी पर्ची के साथ रख दें तथा यदि नहीं है तो एक अन्य श्रेणी बना लें।

  •  इस प्रकार तीन श्रेणियां बना दें।

  •  पर्चियां खत्म होने के बाद तीनों श्रेणियों कि लिस्ट तैयार कर लें। यह प्रक्रिया दो अन्य स्थानों पर दोहरायें और इस प्रकार बनी लिस्टों को मिलाकार देखें।

  •  मिलाने पर जितने नाम तीनों बार तीसरी श्रेणी में आये हैं उनके एक लिस्ट बना लें।

  •  यह लिस्ट निश्चित रूप से गरीब लोगों की होती हैं।

  •  शेष नाम जो एक बार या दो बार आये हैं। उनकी एक अलग लिस्ट बना लें। इसे सामाजिक, आर्थिक सर्वेक्षण से प्राप्त जानकारी से मिलाकर वास्तविक स्थिति का पता चल जाता हहै और इस तरह से असबसे गरीब लोगों की एक अन्तिम लिस्ट तैयार कर ली जावे। इन गरीब परिवारों के सदस्यों को स्वयं सहायता समूह बनाने के लिए आमन्त्रित करें।


11.3.7 समूह रचना कैसे करें ? ( how to construct group )



  • सम्पत्ति क्रमबद्ध ता द्वारा लिस्ट के आधार पर सभी परिवरों के सदस्यों को बुलाकर उनके साभ्थ बैठकें करनी चाहिए, जिसमें स्वयं सहायता समूहों के बारें में विस्तार से बताएं। उनसे बचत के महत्व के बारे में भी बात करें।सभी व्यक्तियों को स्वयं सहायता समूह का सदस्य बनने के लिए सोचने और अपने घरों में सलाह का पर्याप्त समय लेकर अगली बैठक का दिन समय उसी समय निर्धारित करें।

  •  अगले सप्ताह निर्धारित दिन समय पर फिर इन व्यक्तियों से मिलें और समूह बनाने की चर्चा करें। यदि व्यक्ति समूह बनाने में रूचि दिखाते हैं तो उसी दिन बचत जमा करा लें। विभाग का कार्यक्रर्ता उनकी बैठक कार्यवाही लिखेगा, जिसकी एक नकल वह अपने पास रखेगा। कार्यवाही लिखने और उस दिन जमा हुए पैसे को रखने के  लिए सदस्यों से आपस में एक सदस्य चुनकर देने को कहें। इसी दिन समूह की आगामी बैठक का स्थान, दिन समय निश्चित करें। अगले सप्ताह की बैठक में वह सदस्य लिखित कार्यवाही और बचत वापस लायेगा। इस बार किसी अन्य सदस्य को यह सामग्री रखने के लिए दी जाये। एक दो बैठक के बचत कार्ड और कार्यवाही रजिस्टर समूह को दिया जाये।

  • समूह को स्थायी होने तक क्रमवार से सभी सदस्यों के पास शेष धन राशि लेखन सामग्री रखी जानी चाहिए। जब कोई सदस्य समूह में ऋण लेने का आवेदन करता हैं तब उसी समय समूह के आधार फार्म  लैजर दिये जावें।

  •  नाबार्ड बैंक द्वारा सभी लेखन सामग्री की कीमत अपने सदस्यों से वसूल कर अपने समूह में जमा करें ताकि इसके भरने के बाद उस पैसे से दोबारा सामग्री लेखन सामग्री खरीदी जा सके।


11.3.8 समूह की प्रबन्ध समिति कैसे बने ? ( hou to build managingg ccommitee of a group )


 


समूह को मुखिया की भूमिका के बारे मे समझायें। उसी के आधार पर वे आपस में समूह की प्रबन्ध समिति का चुनाव करेगें।



  • समूह की चार सदस्यीय प्रबन्ध समिति होगी जिसमें अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, सचिव कोषाध्यक्ष होगें इसका चुनाव समूह के सदस्य सर्वसम्पत्ति से करेगें।

  •  इस समिति का कार्याकाल एक वर्ष होगा। अगले वर्ष के लिए समूह को पुनः बहुमत के आधार पर चुनाव करना होगा।

  •  एक सदस्य दो वर्ष से अधिक समय तक एक ही पद के लिए चुनाव नहीं चुना जावें।

  •  पदाधिकारी एक ही परिवार के नहीं होने चाहिए।


11.3.9 प्रबन्ध समिमि का कार्य क्या है ?    ( what to do by management commitee )



  • समूह की निर्धारित नीति के अनुसार जमा राशि उपयोग तथा ऋण सम्बन्धी कार्यवाही सम्पादित करवाना।

  • निर्धारित दिवस/अवधि में समूह की बैठक आयोजित करना।


समूह की अपनी नियमावली का होना अत्यन्त आवश्यक है, जिसके आधार पर ही समूह का कार्य व्यवहार संचालित होगा। यह नियमावली समूह के गठन के समय ही समूह द्वारा एक मत से तैयार कर ली जावे। यदयपि इसके लिए कोई बाध्यता नहीं है, फिर भी इसके लिए निम्नलिखित बिन्दुओं का समावेश होना उपयोगी होगा।


11.3.10 समूह संचालन नियमावली के सामान्य बिन्दु क्या है। ( what is general poiat of group )


 



  • समूह का नाम।

  •  सदस्यों की पत्रता।

  •  किसी सदस्य का हटना या नई सदस्यता।

  •  पदाधिकारीयों ( अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, कोषाध्यक्ष सचिव ) का चयन, कार्यकाल एवं कर्तव्य।

  •  बैकं खाते के संचालन का अधिकार। खाता समूह के नाम से हो कि व्यक्ति के नाम से।

  •  बैठक  का अन्तराल साप्ताहिक पाक्षिक या मासिक हो। सामान्यतः साप्ताहिक होना ठीक रहता हैं। साप्ताहिक बैठक हेतु रविवार का दिन निर्धारित किया जा सकता है।

  •  विशेष बैठक किन परिस्थितियों में होगी।

  •  प्रति सदस्य बचत राशि। यह एक समान हो।

  •  ऋण देने के लिए प्राथमिकताओं का क्रमवार निर्धारण। ( सामान्यतः सदस्य की आवश्यकता के महत्व और ऋण वापसी की उसकी सक्षमता के आधार पर ऋण दिया जावे)

  •  ब्याज दर का निर्धारण। सामान्यतः यह 2 से 3 रूपया प्रति सैकड़ा प्रतिमास होती हैं।

  •  बचत राशि अथवा ऋण किश्तों की समय से अदायगी होने पर जुर्माने की व्यवस्था।

  •  बैठकों के संचालन के नियम, जैसे बिल्मब से आने या आने पर दडं की व्यवस्था आदि।

  •  अन्य सामाजिक आर्थिक क्रियाकलापों में समूह की भागीदारी प्राथमिकताओं का निर्धारण।

  •  अभिलेखों खातों का रख-रखाव तथा बैठक की कार्यवाही को रजिस्टर पर अकिंत करना।


11.3.11 स्वयं सहायता समूह के प्रमुख कार्य क्या हैं ( what are main work of sellf helf group )



  •  नियमित बचत अगर ऋण का आन्तरिक लेन-देन।

  •  आर्थिक क्रियाकलापों का संचालन।

  •  बैकों/सरकारी विभागों से  सम्बद्धीकरण।

  •  वित्तीय संस्थाओं अर्थात् बैंक आदि से ऋण प्रबन्धन।

  •  अभिलेखों का रख-रखाव।

  •  विकास के स्तर का मूल्यांकन।


 


11.4 स्वयं सहायता समूह: क्या करें।  (     )


समूहों की कुल बचत जब 200-250 रूपये से अधिक हो जाती है और यदि समूह के सदस्यों द्वारा बैठक में उधार लेने का प्रस्ताव रखा जावे तब समूह अपने सदस्यों की जरूरत के आधार पर प्राथमिकता तय कर बचत में से ऋण देना।


11.4.1 समूह विकास ( development of a group )



  • जब समूह अपने धन का प्रबन्धन ठीक प्रकार से करने लगे और उसके पास आपसी उपयोगी ऋण देने के बाद भी कुछ राशि बचे तब वह स्थानीय बैंक में बचत खाता खुलवाये बैंक से लेन-देन करना प्रारम्भ करें। इस अवस्था में समूह आपस में मिलकर कोई व्यवसाय/लघु उद्योग आदि शुरू करने के बारे में सोंचे।

  • किसी व्यवसायिक कार्य को करने के  लिए अधिक धन की आवश्यकता होती हैं अतः समूह ऋण लेने के लिए बैंक में आवेदन करे। समूह अन्य आवश्यकताओं के लिए सरकारी गैर सरकारी संस्थाओं से सम्बन्ध स्थापित करें। आस-पास के नये समूह को उनके संचालन तथा समूह में आई समस्याओं को सुलझाने में मदद करें। समूहों की गुणवत्ता बढाने बनाये रखने के लिए तीन माह में एक बार समूह का मूल्यांकन परिशिष्ट-3 पर उपलब्ध प्रारूप के अनुसार जाना चाहिए।


 


11.4.2 बचत खाता कब और कहां खुलवायें ।  



  • समूह के गठन के बाद जब समूह की बचत शुरू हो जावे तब अपने सेवा क्षेत्र के वाणिज्यिक बैंक, क्षेत्रीय बैंक अथवा सरकारी बैंक में समूह का बचत खाता खुलवाया जाना चाहिए। समूह के सामूहिक निर्णय से अध्यक्ष एवं सचिव के सयुंक्त हस्ताक्षर से बैंक में खाता खोला जाये। खाते में समस्त लेन देन करते समय अध्यक्ष एंव सचिव से स्वयं के हस्ताक्षर करवाये जायें।



  • समूह का खाता बैंक शाखा में खुलने से बैंक से सम्पर्क बनेगा तथा समूह के छः महीने पश्चात् बैंक से  सम्बद्धीकरण और ऋण की प्राप्ति में भी सुविधा रहेगी।


11.4.3 बचत खाता कैसे खुलवायें। ( how to open saving avvount )


 


 बैंक में खाता खुलवाने के लिए निम्न कागजात साथ में ले जाना जरूरी हैं-



  • समूह की नियमावली।

  •  समूह का प्रस्ताव, जिसमें प्रबन्ध समिति के सदस्यों को बचत खाता खोलने खाता संचालन का अधिकार हो।

  •  प्रबन्ध समिति के पदाधिकारियों के फोटो।

  •  जिस बैंक शाखा में समूह का खाता खुलवाना हैं, उस शाखा में जिस व्यक्ति का बचत खाता हो, समूह के पदाधिकारियों के परिचय, खाता खोलने के फार्म पर उसके हस्ताक्षर लेकर करवा लें।

  •  बैंक में बचत खाता गैर सरकारी संगठन के पदाधिकारी अथवा गाँव के सरंपच आदि से भी परिचय  फार्म पर हस्ताक्षर करवा कर खुलवाया जा सकता है।


11.4.4 बैंकों से सम्बद्धता की पात्रता क्या है। ( what is eligibilty of criteria for bank )



  •  छः माह से अधिक पुराना कोई भी समूह जिसके सदस्यों की संख्या 10 से 20 हो बैंक से सम्बन्ध होने का पात्र है। बशर्ते समूह का बैंक में बचत खाता खोला गया हो।

  •  समूह की नियमित बैंक होती हो।

  •  स्वयं सहायता समूह द्वारा निर्धारित नियम हो और उसकी अनुपालना होती हो।

  •  नियमित रूप से बचत होती हो।

  •  नियमित रूप से सदस्यों को ऋण का आन्तरिक लेन देन होता हो।

  •  सभी अभिलेखों कार्यवाही रजिस्टर बैठक में ही नियमित रूप से भरे जाते हों।


11.4.5 बैंकों से ऋण प्राप्त करने की प्रक्रिया क्या हैं( what are procedure to get loan from bank )


समूह को बैंक ऋण की प्रक्रिया के चरण निम्नलिखित हैं-



  •  बैंक से ऋण प्राप्त करने के लिए समूह द्वारा बैंक को प्रस्ताव भिजवाना। ( ऋण सहायता प्राप्त करने  हेतु स्वंय सहायता समूह द्वारा बैंक शाखाओं को प्रस्तुत किये जाने के लिए प्रस्ताव का प्रारूप परिशिष्ट-4 पर उपलब्ध है। )

  •  बैंक द्वारा साख सीमा की स्वीकृति, जो समूह की तीन वर्षो की अनुमानित बचत की चार गुनी तक हो सकती है।

  •  वितरित किये जाने वाले ऋण का अनुपात बैंक द्वारा तय किया जाता है।

  •  बैंक ऋण का उपयोग सदस्यों को आन्तरिक ऋण लेन देन में होता हैं। साख सीमा राशि पर ब्याज दर 11 प्रतिशत है।

  •  जबकि समूह की बचत राशि बैंक 5/6 प्रतिशत ब्याज देता है स्वयं सहायता समूह को वित्त, प्रदान करते समय बैंक द्वारा उपयोग किये जाने वाले करार की शर्तो का प्रारूप परिशिष्ट-5 पर उपलब्ध हैं।


11.4.6 ऋणों का पुनर्भुगतान किस प्रकार ( how to make re- payment of the laon  )


स्वयं सहायता समूहों में ऋण और इसके पुनर्भुगमान की प्रक्रिया अत्यन्त सरल हो जो मुख्यतः समूह की अपनी नियमावली से संचालित हो। सदस्यों की ऋण की मांग का प्रस्ताव बैठक में रखा जावे जिस पर समूह में चर्चा के बाद सदस्य के पिझले रिकार्ड, ऋण की आवश्यकता तथा पुनर्भुगतान की क्षमता के अनुसार ये ऋण समूह द्वारा निर्धारित ब्याज दर और सीमा की शर्त पर दिये जावे और कर्ज की अदायगी एक मुश्त या किश्तों में की जावे। किन्हीं परिस्थितियों में ऋण की अदायगी होने विलम्ब होने पर समूह के नियमो के अन्तर्गत उस सदस्य के खिलाप कार्यवाही की जाए।


11.4.7 बैंक केा ऋण चुकाना। (refund of loan to bank)



  •  बैकं द्वारा समूह से विचार विर्मश पश्चात् ऋण चुकाने के लिए निश्चित अवधि तय कर ली जावे बैंक द्वारा समूह को दिये गये ऋण सामान्यतः परिस्थितियों एवं सदस्यों की गतिविधियों के आधार पर मासिक किश्तों में चुकाये जाते हैं।


11.4.8 समूह द्वारा किन-किन रिकार्ड एवं खातों का संधारण किया जाता हैं। परिशिष्ट-6 देखें what type of record and account will be maintanined by group )





















पास बुक



सदस्यता रजिस्टर



उपस्थिति रजिस्टर



बचत रजिस्टर



बैठक रजिस्टर



कैष बुक



ऋण रजिस्टर



वाउचर



ऋण आवेदन पत्र



 


11.4.9 स्वयं सहायता समूह का पंजीकरण एवं अकेंक्षण (registration and auditing of self helf group )


स्वयं सहायता समूह को मान्यता सम्बन्धित यूजर्स/वाटरशेड कमेटी द्वारा दी जावेगी। इसके उपरान्त ही समूह को वित्तीय सहायता सीड मनी के रूप में उपलब्ध करायी जायेगी। मान्यता प्राप्त समूह के लेखों का अकेंक्षण करवाने का दायित्व वाटरशैड कमेटी का होगा। सदस्यों की संख्या 20 से अधिक होने पर समूह का पंजीकरण सोसायटी एक्ट के तहत किया जायेगा एवं उनका अकेंक्षण सोसायटी एक्ट के नियमानुसार होगा।


11.4.10 परियोजनान्तर्गत समूह को किस प्रकार सीड मनी स्वीकृत की जावेगी। (how to sanction seed money to group in project )



  •  परियोजना अन्तर्गत पंजीकृत/ मान्यताप्राप्त समूह को ही सीड मनी उपलब्ध करायी जायेगी जो कि योजना के दिशा-निर्देशानुसार प्रति समूह तक हो सकती है।

  •  प्रत्येक समूह अपनी आवश्यकतानुसार सहायता प्राप्त करने के लिए प्रार्थना पत्र यूजर्स/वाटरशैड कमेटी का प्रेषित करेगा एवं समूह के ही दो सदस्य ऋण वापसी की जमानत देंगे।

  •  यूजर्स/वाटरशैड कमेटी अपनी बैठक में विभागीय प्रतिनिधि की उपस्थिति में प्रार्थनला पत्रों पर विचार करेंगी।

  •  स्वयं सहायता समूह को सहायता दिये जाने से पूर्व संरपच एवं पचंायत सदस्य से गारन्टी ली जावे।

  •  प्रत्येक समूह जितनी राशि सहायता के रूप में लेने का इच्छुक होगा उसे उपर्युक्त राशि का 10 प्रतिशत समूह के बैंक खाते में जमा होने का प्रमाण-पत्र प्रार्थना-पत्र केसाथ लगाना होगा।

  •  प्रत्येक समूह को सहायता राशि देने का यूजर्स/वाटरशैड कमेटी की बैठक में विभागीय एवं ग्राम पंचायत के सदस्य की मौजूदगी में निर्णय लिया जायेगा। यूजर्स/वाटरशेड कमेटी, अध्यक्ष सहायता राशि समूह के बैंक खाते में चैक द्वारा जमा करायेगा।

  •  प्रत्येक समूह को स्वीकृत की गई सहायता राशि आठ/छः किस्तों में यूजर्स/वाटरशैड कमेटी द्वारा वापस ली जायेगी। ये किस्तें क्रमशः 3. 6. 9. 12. 15. 18. 21. 24. माह की होगी जो समूह तय माह में पहली किस्त जमा नहीं करवाता है, तो उसका जलग्रहण समिति द्वारा नोटिस दिया जायेगा। इसके उपरान्त भी अगर समूह राशि वापस नहीं कराता है तो सहायता राशि से प्राप्त किये गये एसेट्स, यूजर्स/वाटरयशैड किस्त की अदायगी के समय लागू होगा। यदि सम्पत्तियाँ अर्जित नहीं की गयीं हो तों सदस्यों की जमा राशि तथा जमानत देने वाले सदस्यों से वसूल की जावेगी।

  •  प्रत्येक समूह प्राप्त सहायता राशि का पूर्ण हिसाब रखेगा जिसे यूजर्स कमेटी या विभागीय अधिकारी कभी देख सकेगा।

  •  सहायता राशि की वसूली की जिम्मेदारी यूजर्स/वाटरशैड कमेटी के अध्यक्ष पर होंगी। वसूली के उपरान्त यही राशि यूजर्स/वाटरशेड कमेटी के पोस्ट प्रोजेक्ट फण्ड में जमा करवा दी जायेगी। समूह भंग होन की स्थिति में भी कमेटी सहायता राशि वसूल कर रिवाल्विंग फण्ड/ पोस्ट प्रोजेक्ट फण्ड में जमा करवायेगी।

  •  समूह द्वारा 6 माह तक नियमित लेन देन करने की स्थिति में बैंक से जोडा़ जा सकता है। ऐसे समूह, जिनकों सहायता राशि निर्धारित से अधिक उपलब्ध करवायी जानी हैं, बैंक से जोडें जायें। बैंक द्वारा समूह के सभी सदस्य व्यक्तिगत एवं सयुंक्त रूप से जिम्मेदार होगें।


11.4.11 समूह द्वारा बचत करने की क्या प्रक्रिया हैं। ( what is a procedure for saving by group )



  •  समूह का प्रत्येक सदस्य नियमित रूप से निश्चित राशि, समयवधि पर समूह के पास जमा करवाएं।

  •  सदस्य द्वारीा निश्चित समय पर बचत की राशि जमा नहीं करवाने पर समूह दंड के रूप में निश्चित राशि ब्याज के रूप में देनी चाहिए।

  •  सदस्यों से प्राप्त बचत की राशि उनकी पास बुक में दर्ज कर ली जाए। जमा की गई राशि समूह की बैठक के दूसरे दिन बैंक में समूह के नाम से जमा करा दी जाये।

  • सदस्यता की अवधि में सदस्य को उनके द्वारा जमा की गयी बचत को निकालने का अधिकार नहीं होगा।

  •  सदस्य द्वारा सदस्यता छोड़ने पर उसकी बचत राशि एवं उस पर लगने वाला ब्याज लौटा दिया जाये। यदि सदस्य ने पूर्व में कोई ऋण लिया हो तो उस ऋण के ब्याज सहित वापस जमा कर लिया जाए।


11.4.12 सदस्यों को ऋण देने की क्या प्रक्रिया है। ( what are procedure to deliver loan to members )



  •  स्वयं सहायता समूह कोष से सदस्यों को खेती, आय उत्पादन के साधन एव उनकी  अन्य आवश्यकताओं यथा बीमारी, शिक्षा आदि के लिए ऋण दिया जा सकता है।

  •  सदस्यों द्वारा ऋण प्राप्त किये जाने के लिए अन्य दो सदस्यों की सहमति की आवश्यकता होगी।

  •  सदस्यों को ििदये जाने वाले ऋण की राशि एवं उस पर लगने वाले ब्याज की दर समूह के सदस्ययों द्वारा परस्पर विचार-विमर्श कर तय की जाये।

  •  सदस्यों से ऋण पर लिया जाने वाला ब्याज उस पर ब्याज दर से कम नहीं होना चाहिए जो  बैंक द्वारा समूह को दिये गये ऋण पर वसूला जा रहा है।

  •  प्रारम्भ में सदस्य को उनकी समूह में जमा राशि को दो तीन गुणा ऋण ही दिया जाये।

  •  बचत की निर्धारित राशि नियमित समय में नियमित रूप से जमा करवाने वाले सदस्य को ही ऋण दिया जाये।

  •  सदस्य द्वारा लिया गया ऋण निर्धारित बाजार दर सहित प्रतिमाह/तिमाही/छमाही समूह के निर्णयानुसार लौटाना चाहिए।

  •  सदस्य द्वारा ऋण की समय पर अदायगी नहीं करने पर समूह में लिए गये निर्णयानुसार दंड के रूप में ब्याज प्रतिदिन/प्रतिमाह के आधार पर देना चाहिए।

  •  ऋण की स्वीकृति समूह की बैठक में सदस्यों की उपस्थिति में ही तय की जानी चाहिए तथा भुगतान भी उसी समय नगद अथवा चैक से सदस्यों की उपस्थिति में ही किया जाना चाहिए।

  •  समूह को राष्ट्रीय बैंक/क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक से ऋण लेने हेतु प्रस्ताव समूह बैंठक में पारित कर बैंक को आवेदन करना चाहिए।

  •  ऋण सम्बन्धी कागजातों पर समूह अध्यक्ष एवं सचिव देानों के सयुंक्त रूप से हस्ताक्षर होने चाहिए।

  •  बैंक से लिए गये ऋण को लौटाने के लिए समूह के सभी सदस्य व्यक्तिगत एवं सयुंक्त रूप से जिम्मेदार होगें।

  •  ऋण देने वाली बैंक को समूह के बही खाते आदि जांच करने का अधिकार होता है।


11.4.13 बैठक के लिए महत्वपूर्ण बातें क्या हैं। (what are the important poiant for a meeting )



  •  बैठक निश्चित दिवस तथा समय पर आयोजित करवानी चाहिए। बैठक में समय पर पहुंचना चाहिए।

  •  बैठक जमीन पर गोला बनाकर करनी चाहिए। इससे सभी सदस्य एक दूसरे को देख सकते हैं और उनकी बातें सुनने के साथ-साथ उनके हाव-भाव भी देख सकते हैं। और सदस्य आपस में बैठक से बाहर की बातें बहुत कम कर सकेगें। बैठक में सामाजिक मुद्ये, मौसमी बीमारियों, स्वास्थ्य आदि पर चर्चा करनी चाहिए। बातचीत करते समय व्यक्तिगत एवं सामूहिक समस्याएं जानने की कोशिश  करनी चाहिए।

  •  बैठक में बचत, उधार, ब्याज खर्च आदि के बारे में पूरी जानकारी दी जानी चाहिए।

  •  बैठक में समूह सदस्यों को अपनी बात अधिक से अधिक कहने  का मौका देना चाहिए तथा निर्णय भी उन्ही से करवाना चाहिए। समस्त निर्णयों में सदस्य की सहमति होनी चाहिए एवं समस्या का समाधान या अन्तिम निर्णय सदस्यों द्वारा ही होना चाहिए।

  •  कार्यकतर्ता समय-समय पर सदस्यों को मार्गदर्शन करते रहें।

  •  पैसे के लेनदेन से सम्बन्धित समस्त कार्य सदस्यों के द्वारा ही करवाये जाने चाहिए।

  •  प्रत्येक समूह अपनी आवश्यकतानुसार सामूहिक निर्णय से समूह के विघान नियमावली आदि में फेरबदल कर सकता हैं।


11.5 स्वपरक प्रश्न  (     )



  1. स्वयं सहायता समूह का मूल उद्देश्य क्या है ?

  2. स्वयं सहायता समूह का पंजीकरण कैसे होता है ?


11.6 सारांश  (   )


स्वयं सहायता समूह ग्रामीण गरीबों का समरूप समूह हहै जो उनकी सहमति से छोटी-छोटी बचत के लिए स्वैच्छिक रूप से गनाये जाते है एवं आवश्यकता पड़ने पर उन्हें उत्पादक आकस्मिक ऋण दिया जाता है। यह क्यो बने कैसे बने क्या करे सब समूह में निहित है।


परिशिष्ठ-1


विभिन्न जिलों एवं उनके आस-पास विकसित किये जा सकने वाले लघु उद्योगों से सम्बन्धित स्वयं सहायता समूह का विवरण


राजस्थान के परिपेक्ष्य में व्यावसायों का चुनाव स्थानीय जिले में प्रचलित व्यवसायों में से किया जा सकता है। जिला विकास अभिकरण से सम्पर्क साध कर इन व्यवसायों से सबंधित प्रशिक्षण, अवधि एवं प्रशिक्षण संस्थान के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की जा सकती है।


रस्सी, निर्माण, मुड्डा निर्माण, गुलाब जल, गुलकंद, मशरूम, आंवला, मधु मक्खी पालन, संागानेरी प्रिन्ट, बगरू ब्लाॅक प्रिन्टिग, हैण्डमेड पेपर निर्माण, ब्ल्यू पोटरी, लकडी़ के खिलौनों का निर्माण, मछली पालन, गनमेटल से सजावटी सामान का निर्माण, फड चित्रकारी, पत्तल-दोने, कोटा डोरियां, साडियों का निर्माण, ठण्डे बादले का निर्माण, ऊन कताई, कढाई-बुनाई, चमडें़ के उत्पाद, लकडी़ पर खुदाई, बाइमेर प्रिन्टिग एवं अन्य कृषि उत्पादों का प्रसंस्करण, आचार मुरब्बे, दूध उत्पादन जैसे अनेक व्यवसाय हर एक ग्राम में लोकप्रिय हैं। इस प्रकार उपयुक्त व्यवसाय का चुनाव कर स्वयं सहायता समूहों का निर्माण किया जा सकता है।


परिशिष्ट-2


सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण प्रपत्र



  1. व्यक्ति का नाम

  2. जाति

  3. विवाहित/अविवाहित

  4. शिक्षा ( कक्षा/साक्षर/निरक्षर )

  5. मकान किस प्रकार का है


() कच्चा/अच्छा पक्का/पक्का


() कमरे/स्नानघर/शैचालाय/रसोई/आंगन



  1. कृषि की श्रेणी/बड़ा/लघु/सींमात/भूमिहीन

  2. पारिवारक विवरण ( परिशिष्ट-2 )

  3. परिवार के सदस्यों के काम का ब्यौरा ( परिशिष्ट-2 )

  4. परिवार के सदस्यों का पलायन


पलायन का स्थान        पलायन किन दिनों में    कितने समय के लिए    पलायन करने वाला सदस्य



  1. पशुधन का विवरण


बैल     गाय     बछडा़     भैसं    पाडा़    पाडी़    बकरी    भेड़    ऊटं    अन्य



  1. कुल दुग्ध उत्पादन


. दुग्ध का उपयोग निस्तारण


. क्या पशु आहार का उपयोग करते हैं



  1. ईधन की स्थिति ( वर्षवार )


ईधन का प्रकार  स्त्रोत   ईंधन की परिवार में आवश्यकता  ईंधन का उपलब्धता    कमी अतिरिक्त  


                   ( क्विंटल में)                ( क्विंटल में )         ( क्विंटल में)  ( क्विंटल में)



  1. चारे की स्थिति ( वर्षवार )


 चारा स्त्रोत चारे की आवश्यकता    चारे की कमी         कमी          अतिरिक्त 


 ( क्विंटल में )                    ( क्विंटल में )         ( क्विंटल में )    (  क्विंटल में )



  1. स्वास्थ्य



  •  क्या पिछले वर्ष परिवार में कोई बीमार था।?


अगर हां तो कौन सी बीमारी थी ?



  • कृपया बीमार व्यक्ति का इलाज कैसे कराया ?

  • (कृपया सही का निशान लगाएं )

  • घंरेलू उपचार

  •  पूजा/प्रार्थना

  •  स्थानीय चिकित्सक ( डाक्टर )

  •  सरकारी अस्पताल

  •  सबसे समीप का स्वास्थ्य केन्द्र या अस्पताल कितनी दूर है ? किं.मी.

  •  पिछले 12 महीनों में आप स्वास्थ्य केन्द्र/अस्पताल कितनी बार गये ? संख्या

  •  क्या परिवार के बच्चों को पोलियों अन्य टीके लगवाये हैं ? हां/नहीं

  •  अगर नहीं तो क्या कारण हैं ?

  •  प्राइवेट डाक्टर से इलाज में कितना पैसा खर्च हुआ ? प्रति जांच/कितनी फीस ली

  •  क्या परिवार में किसी अन्य ने परिवार नियोजन अपनाया हैंहां/नहीं

  • अगर नहीं अपनाया हैं, तो उसके कारण लिखें. 

    ऋण सहायता प्राप्त करने हेतु सहायता समूहों द्वारा बैंक शाखाओं को प्रस्तुत किये जाने के लिए आवेदन-पत्र का नमूना


    स्वयं सहायता समूह का नाम:


    पताः पंजीकृत: हाँ/नहीं


    गठना/स्थापना की तारीखपंजीकृत :    हाँ/नहीं


    यदि पंजीकृत है तो पंजीयन संख्या और तारीख:


    (पंजीयन प्रमाण पत्र की सत्य प्रतिलिपि भी सलंग्न करें)


    समूहों के सदस्यों की संख्या


    समूह को सहायता देने वाले एस. एस. पी. आई/एन. जी. ./वी.. का नाम ( यदि कोई हो )


    सेवा में


    शाखा प्रबंधक


    .............................. बैंक..............................शाखा


    प्रिय महोदय,


    ऋण हेतु आवेदन


    हम, उपर्युक्त स्वयं सहायता समूह के विधिवत प्राधिकृत प्रतिनिधि,, अपने सदस्यों को ऋण प्रदान करने हेतु कुल रूपये..........................


    (रूपये .........................................)


    मात्र के ऋण हेतु आवेदन कर रहें हैं। हमारे समूह का वित्तीय विवरण दिंनाक............................. की यथास्थिति के अनुसार सलंग्न शीट में दिया गया है।



    1. हम बैकं द्वारा यथा निर्धारित चुकौती अनुसूची के अनुसार ऋण राशि की चुकौती करने के लिये सहमत हैं।

    2. समूह के सभी सदस्यों द्वारा सम्पादित परस्पर करारनामे की प्रतिलिपि संलग्न हैं, जिसमें अन्य बातों के साथ-साथ स्वयं सहायता समूह की ओर से हमें उधार लेने का भी अधिकार प्राप्त है।

    3. हम एतद् द्वारा घोषित करते हैं कि ऊपर दिये सभी विवरण हमारी सर्वोतम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सत्य हैं।

    4. हम एतद् द्वारा बैंक को यह प्राधिकृत करते हैं कि वे जैसा उचित समझें अपने बैंक में हमारे ऋण खाते से संबधित कोई विवरण या सूचना, नाबार्ड सहित किसी वित्तीय संस्था या किसी अन्य एजेन्सी को प्रकट कर सकते हैं। यदि इसके साथ दी गई समूह से संबधित कोई भी सूचना गलत पाई जाती है और/अथवा तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर प्रस्तुत किया जाता है, तो बैंक को यह अधिकार होगा कि वह बैंक से ऋण सुविधाएं प्राप्त करने में स्वयं सहायता समूह को अयोग्य करार दे सकता है और/अथवा इस आवेदन के तहत स्वीकृत सम्पूर्ण राशि या उसके किसी भाग को वापस मांग सकता हैं।


    भवदीय


    1.................


    2........................


    (प्राधिकृत प्रतिनिधि )


    स्वयं सहायता  समूह


    वित्तीय विवरण ( दिंनाक....................... की यथास्थिति के अनुसार )


    क्र. सं. विवरण                            राशि ( रूपये में )



    1. सदस्यों से बचत

    2. एस. एच. पी. आई. ( . जी. . बी. . ) से प्राप्त सीड मनी ( यदि कोई हो )

    3. बकाया उधार श्( कृपया स्त्रोत स्पष्ट करें )

    4. सदस्यों के समक्ष बकाया ऋण

    5. सदस्यों से चूक की राशि ( यदि कोई हो )

    6. वसूली का प्रतिशत

    7. रोकड़/बैंक जमा


    परिशिष्ट-5


    स्वयं सहायता समूह को वित्त प्रदान करते समय बैंकों द्वारा उपयोग किये जाने वालेकरार की शर्तो का फार्मेट


    मैसर्स................................. ( स्व. . . का नाम ) लोगों/व्यक्तियों का एक गैर- पजींकृत समूहजिसका कार्याकाल.................................. में है जिसका प्रतिनिधित्व इसके प्राधिकृत प्रतिनिधि श्री/श्रीमती............................... ( नाम )..............................................(पदनाम ) और श्री/श्रीमती ....................................... (नाम).................................(पदनाम) ने किया, जो स्वयं . . के सदस्यों द्वारा पूर्णरूपेण प्राधिकृत हैं, (इस प्रकार के प्राधिकरण-पत्र ) की प्रतिलिपि इसके साथ संलग्न हैं और यह इस करार का एक भाग हैं) जिसे इसमें आगे ''ऋणकर्ता '' कहा गया है। उसके विषय या विषयवस्तु में जब ततक कोई प्रतिकूल अभिव्यंजना हो, का अर्थ और उसमें तत्समय गैर पंजीकृत समूह के सदस्य, उनके संबधित उत्तराधिकारी, कानूनी वारिस प्रशासक और समनुदेशिति शामिल हैं, एक पक्ष और...........................................अधिनियम के अन्तर्गत स्थापित....................................( बैंक का नाम ), एक कार्पेरिट रिकाय जिसका प्रधान कार्यालय  ................................... और साथ ही- साथ जिसकी एक शाखा........................... में हैं, जिसे इसमें आगे '' बैंक '' कहा गया हैं। उसमें विषय या विषय-वस्तु में जब तक कोई प्रतिकूल अभिव्ंयजना हो, का अर्थ और उसमें उत्तराधिकारी और समनुदेशिति हैं। दूसरे पक्ष के द्वारा और के बीच.......................... ............... ................ में 200............. के ....................... .................. ................. दिन यह करार किया गया। यथा ऋणकर्ता लोगों की एक गैर पंजीकृत संस्था हैं, जो अपने सदस्यों के सामाजिक-आर्थिक स्थितियों को विकसित करने और सुधारने की दृष्टि से स्वयं सहायता समूह के रूप में एक-दूसरे को परस्पर सहायता देने के लिये सहमत हुए हैं। यथा स्वयं सहायता समूह के रूप में बनाने पर ऋणकर्ताओं ने दिंनाक .................... .................... ..................... के सकंल्प ( प्रतिलिपि संलग्न ) के अनुसरणअ में ऋण लेने के लिये विधिवत प्राधिकृत उक्त श्री/श्रीमती............................ ( नाम ).......................... ............................. ................. ( पदनाम ) और श्री/श्रीमती ..................... ................ .............. ( नाम ) ................. ..........................पदनाम द्वारा कियये गये आवेदन के अनुसार रू. ................................( रूपये ) ............................ मात्र ) तक की सीमा तक ऋण सुविधा प्रदान करें, जिसमें वे अपने सदस्यों को द्यऋण प्रदान करने के लिये सहमत हो गया हैं। और यथा, बैंक ऋणकर्ता को कुछ शर्तो पर द्यऋणस पर द्यऋण प्रदान करने /ऋण सुविधा प्रदान करने के लिये सहमत हो गया है।


    और यथा, बैंक और ऋणकर्ता समस्त शर्तो को लिपिबद्व करने के इच्छुक हैं।


    अतः अब यह करार निम्नलिखित साक्ष्य प्रस्तुत करता है:



    1. बैंक रू. ............................... ( रूपये ......................... मात्र ) तक मियादी ऋण नकद ऋण ( बे-जमानती ) सीमा के रूप में ऋण प्रदान करने और ऋण्कर्ता ऋण लेने के लिये सहमत हैं और बैंक अपने बही-खाते में ऋणकर्ता के नाम से दिंनाक ................................... को ( खाते के प्रकार का उल्लेख करें) खाता सं. .................. खोला है।

    2. यदि नकद ऋण सुविधा का उपयोग किया जाता है, तो ऋणकर्ता संतोषप्रद ढग से और सीमा से अधिक नकद ऋण खाते का परिचालन करेगा और ऋणकर्ता ब्याज सहित खाते में बकाया देयता और समय-समय पर नामे किये गये अन्य प्रभारों की चुकौती मांग किये जाने पर बिना किसी आपत्ति के करेगा।

    3. यदि किये गये मांग ऋण है, मांग पर ऋण वापस मांगने के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना ऋणकर्ता संस्वीकृति की शर्तो में निर्धारित अवधि के भीतर ब्याज सहित ऋण और प्रकारों की चुकौती करने का वचन देता हैं। ( जो लागू हो उसे काट दें )

    4. यदि ऋणकर्ता द्वारा उपयोग की गई ऋण सुविधा मियादी ऋण है, तो उसकी चुकौती इसमें नीचे दी गई चुकौती अनुसूची में उल्लिखित ढंग से की जायेगी ( उल्लेख करें ) इसके अतिरिक्त ऋणकर्ता इस प्रकार के ऋण के लिये भारतीय रिजर्व बैंक/राष्ट्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित दरों पर ब्याज कार भुगतान करेगा।

    5. इसके दोनों पक्षों और उनके बीच यह स्पष्ट समझौता हुआ है कि यदि ऋणकर्ता ऋण सुविधा की राशि का उपयोग उस प्रयोजन के लिये करने में असफल रहता है, जिस प्रयोजन के लिये बैंक ऋणकर्ता को यह सुविधा उपलब्ध कराया है, तो ऋणकर्ता अन्य कानूनी कार्यवाही करने के बैंक के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना मांग पर ब्याज के साथ किसी प्रकार की आपत्ति के तत्काल चुकौती करेगा।

    6. ऋणकर्ता ऋण खाते में दैनिक शेष पर परिकालित किये जाने वाले और उसमें तिमाही आधार पर नामे किये जाने वाले ऋणों पर या बैंक जिस तरह निर्णय करें, ब्याज का भुगतान करेगा।

    7. ऋणकर्ता अपने सयदस्यों और उनके परिवारों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति सुधारने के लिये अपने सदस्यों को ऋण प्रदान करने के प्रयोजन के लिये ऋण सुविधा की राशि का उपयोग करेगा।

    8. ऋणकर्ता उपयोग किये गये ऋण की राशि की चुकौती साथ ही इस प्रकार के ऋणों के लिये भारतीय रिजर्व बैंक/राष्ट्रीय बैंक द्वारा समय-समय पर निर्धारित की जाने वाली दरों पर ब्याज का भुगतान करेगा।

    9. ऋण्कर्ता, बैंक के नियमों के अनुसार ऋणकर्ता द्वारा बैक को देय ब्याज और अन्य प्रकारों के साथ मांग पर ऋण की राशि की चुकौती करने के लिये बाध्य होगा।


    चुकौती अनुसूची


    (कृपया उल्लेख करें)


    इसके दोनों पक्षों ने साक्ष्य स्वरूप शुरू में इसके ऊपर लिखित दिंनाक ................ माह.................. वर्ष...........................


    को हस्ताक्षर किये।


    स्वयं . . के वास्ते                            बैंक के वास्ते



    1. प्राधिकृत प्रतिनिधि

    2. प्राधिकृत प्रतिनिधि                         प्रबन्धक


    परिशिष्ट-6


    स्वयं सहायता समूह द्वारा संधारित किये जाने वाले रजिस्टर/लेखों के प्रपत्र


  • ऋण आवेदन-पत्र ( अन्तः समूह )


    समूह का नाम .................................................................


    श्री/श्रीमती ................................. पिता/पति श्री ........................................ कृषि/निजी कार्य हेतु समूह में से कुल रूपये ................!! .............................. अक्षरों में रूपये ................................................. का ऋण लेना चाहता/चाहती हूँ। इस रकम पर प्रति सैकडा़ की दर से ब्याज रूपये ........................................ प्रतिमाह/सीजन ब्याज सहित उक्त रकम में सम्पूर्ण रूप से .................................. माह पर समूह को वापस कर दूंगा/दूंगी।


                                                              निशानी/हस्ताक्षर आवेदक


    जमानतदार


    मैं श्री/श्रीमती .......................................... श्री/श्रीमती ....................................... के ऋण की रशि रूपये ब्याज उनके द्वारा समूह को वापस नहीं करने पर स्वयं के पास से उक्त ........................................... सारी रकम ब्याज सहित फसल आने पर दूंगा/दूंगी।


    साक्षी समूह कार्यकर्ता                                   हस्ताक्षर/निशानी


    समूह बैठक निर्णय


    आज दिनांक ........................................... को समूह बैठक में श्री/श्रीमती ..................................... को नकद/फसल ऋण स्वीकृत/अस्वीकृत किया गया कुल रूपये ........................................... अक्षरों में ............................ मात्र।


                                                             समूह अध्यक्ष/समूह सचिव


    11.7 संदर्भ सामग्री ( )



    1. जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग के वार्षिक प्रतिवेदन

    2. शिक्षण पुस्तिका- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

    3. जलग्रहण मार्गदर्शिका-सरंक्ष्ण एवं उत्पादन विधियों हेतु दिशा-निर्देश- जलग्रहणविकास एंव भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

    4. जलग्रहण विकास हेतु तकनीकी मैनुअल- जलग्रहण विकास एवं भू संरक्षण विभाग द्वारा जारी

    5. राजस्थान में जलग्रहण विकास गतिविधियाँ एव उपलब्धियाँ- जलग्रहण विकास एवं भू सरंक्षण विभाग द्वारा जारी

    6. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास - दिशा-निर्देशिका

    7. ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा जारी जलग्रहण विकास - हरितयाली मार्गदर्शिका

    8. जलग्रहण विकास एवं भू-संरक्षण विभाग द्वारा जारी

    9. जलग्रहण विकास एवं भू-सरंक्षण विभाग द्वारा जारी स्वयं सहायता समूह मार्गदर्शिका

    10. इन्दिरा गांधी पंचायती राज एवं ग्रामीण विकास संस्थान द्वारा विकसित संदर्भ सामग्री-जलग्रहण प्रकोष्ठ


    11. कृषि मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी वरसा जन सहभागिता मार्गदर्शिका