सरकारी गजट उत्तराखण्ड उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रकाशित असाधारण विधायी परिशिष्ट

सरकारी गजट उत्तराखण्ड उत्तराखण्ड सरकार द्वारा प्रकाशित असाधारण विधायी परिशिष्ट भाग-1, खण्ड (क) (उत्तराखण्ड अधिनियम) देहरादून, बृहस्पतिवार, 25 जुलाई, 2019 ई० श्रावण 03, 1941 शक सम्वत् उत्तराखण्ड शासन विधायी एवं संसदीय कार्य विभाग संख्या 192/XXXVI(3)/2019/37(1)/2019 देहरादून, 25 जुलाई, 2019 अधिसूचना विविध विविध "भारत का संविधान के अनुच्छेद 200 के अधीन मा० राज्यपाल ने उत्तराखण्ड विधान सभा द्वारा पारित 'उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) विधेयक, 2019' पर दिनांक 24.07.2019 को अनुमति प्रदान की और वह उत्तराखण्ड का अधिनियम संख्याः 10, वर्ष- 2019 के रूप में सर्व-साधारण के सूचनार्थ इस अधिसूचना द्वारा प्रकाशित किया जाता है


N उत्तराखण्ड असाधारण गजट. 25 जलाई 2019 ई० (श्रावण 03, 194 25 जुलाई, 2019 ई० (श्रावण 03, 1941 शक सम्वत्) | उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम, 2019 (उत्तराखण्ड अधिनियम संख्या 10, वर्ष, 2019) उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 में अग्रेत्तर संशोधन के लिए1 संक्षिप्त नाम और प्रारम्भ अधिनियम क सत्तरखे वर्ष में उत्तराखण्ड राज्य विधान सभा द्वारा निम्नलिखित अधिनियम बनाया जाता है: (1) इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम उत्तराखण्ड पंचायतीराज (संशोधन) अधिनियम, 2019 है। (2) यह तुरन्त प्रवृत्त होगाउत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 (जिसे यहां आगे मूल अधिनियम कहा गया है), की धारा 2 में - (क) खण्ड (27) निम्नवत् प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा, अर्थात - "(27) "राज्य निर्वाचन आयुक्त" से राज्य सरकार का ऐसा अधिकारी अभिप्रेत है, . जिसे राज्यपाल द्वारा इस रूप में पदाभिहित किया गया हो।" धारा 2 का संशोधन . जिसे राज्यपाल द्वारा इस रूप में पदाभिहित किया गया हो।" (ख) खण्ड (48) के पश्चात् निम्नलिखित खण्ड अन्तःस्थापित कर दिये जायेगें, __ अर्थात - (49) "नगर प्रमुख" से नगर पंचायत क्षेत्र में नगर पंचायत का अध्यक्ष, नगर पालिका क्षेत्र में नगर पालिका का अध्यक्ष तथा नगर निगम क्षेत्र की दशा में नगर निगम का मेयर अभिप्रेत है; . (50) "उप नगर प्रमुख" से नगर पंचायत क्षेत्र में नगर पंचायत का उपाध्यक्ष, नगर पालिका क्षेत्र में नगर पालिका का उपाध्यक्ष तथा नगर निगम क्षेत्र की दशा में नगर निगम का डिप्टी मेयर अभिप्रेत है; मूल अधिनियम की धारा 4 की उपधारा 1-(1) के हिन्दी पाठ के तीसरे परन्तुक में “परिहार्य" शब्द के स्थान पर "अपरिहार्य" शब्द रख दिया जाएगामूल अधिनियम की धारा 8 में,धारा 4 का संशोधन धारा 8 का संशोधन (क) उपधारा (1) के खण्ड (त) के पश्चात् खण्ड (थ),(द),(ध),(न) तथा (प) निम्नवत् अन्तःस्थापित कर दिये जायेंगे, अर्थात:(थ) वह किसी मान्यता प्राप्त संस्था/बोर्ड से हाई स्कूल अथवा समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं हो : समकक्ष नहीं हो : ___ परन्तु सामान्य श्रेणी महिला तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रत्याशी के मामले में न्यूनतम मिडिल/आठवीं परीक्षा उत्तीर्ण न हो. उत्तराखण्ड असाधारण गजट, 25 जलाई 2019 ई० (श्रावण 03. 1941 शक सम्वत्) 3 (द) उसकी दो से अधिक जीवित संतान है. (ध) उसका किसी सरकारी/पंचायतीराज विभाग की भूमि पर अनाधिकृत कब्जा है(न) उसने सरकारी धन का गबन किया हो या उसके विरूद्ध सरकारी धन की वसूली चल रही हो या उस पर शासकीय धन का बकाया हो। (प) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8, धारा 8क, धारा 9, धारा 9क एवं धारा 10 के उपबन्धों के अन्तर्गत आता हो(ख) उपधारा (4) का खण्ड (क) निम्नवत प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा, (ख) उपधारा अर्थात(4)(क) यदि किसी सदस्य से सम्बन्धित प्रविष्टि ग्राम पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दी जाय अथवा उसके प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का सम्पूर्ण वार्ड किसी नगर निकाय में सम्मिलित हो गया हो तो ग्राम पंचायत का कोई सदस्य/प्रधान/उप–प्रधान ऐसे पंचायत का सदस्य नहीं रह जायेगा, भले ही सम्बन्धित सदस्य की प्रविष्टि अन्य निर्वाचक नामावली में अंकित हो।


अन्य निर्वाचक नामावली में अंकित हो। (ग) उपधारा (4) के खण्ड (ख) के हिन्दी पाठ में "उपधारा (3) के खण्ड (क) अधीन" शब्दों, कोष्ठक व अंक के स्थान पर "खण्ड (क) के अधीन" शब्द, कोष्ठक व अंक रखे जायेंगे। (घ) उपधारा (4) के अंग्रेजी पाठ में खण्ड (1) तथा (2) के स्थान पर क्रमशः खण्ड (a) तथा (b) प्रतिस्थापित कर लिया (ङ) उपधारा (7) के पश्चात उपधारा (8) निम्नवत् अन्तःस्थापित कर दी जायेगी, अर्थात्:"(8) एक साथ दो पद धारण करने पर अग्रेत्तर रोक- (1) कोई व्यक्ति ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या सदस्य का पद धारण करने के लिए अनर्ह होगा, यदि वह(क) संसद का या राज्य विधान मण्डल का सदस्य है, या (ख) किसी क्षेत्र पंचायत का प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य है, या (ग) किसी जिला पंचायत का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (घ) किसी सहकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या .. (ड.) किसी शहरी स्थानीय निकाय का नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख या


उत्तराखण्ड असाधारण गजट, 25 जुलाई, 2019 ई० (श्रावण 03, 1941 शक सम्वत्) 5. धारा 9 का सभासद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (च) किसी छावनी परिषद का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है। (2) कोई व्यक्ति, यदि बाद में उप धारा (1) के खण्ड (क) से (च) में उल्लिखित किसी पद पर निर्वाचित होता है, तो वह ऐसी अनुवर्ती निर्वाचन के दिनांक से यथास्थिति ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या सदस्य के पद पर नहीं रह जायेगा और तदुपरान्त यथास्थिति, ऐसे प्रधान, उप प्रधान या सदस्य के पद में आकस्मिक रिक्ति मानी जायेगी।" मूल अधिनियम 5. धारा 9 का संशोधन या सदस्य के पद में आकस्मिक रिक्ति मानी जायेगी।" मूल अधिनियम की धारा 9 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थातप्रत्येक 9. "(1)'' ग्राम पंचायत के प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक निर्वाचक प्रादेशिक नामावली इस अधिनियम के उपबन्धों और उसके अधीन बनाये गये नियमो निर्वाचन क्षेत्र के अनुसार राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के के लिए अधीन तैयार की जाएगीनिर्वाचक (क) राज्य निर्वाचन आयोग के अधीक्षण, निर्देशन और नियंत्रण के अधीन रहते नामावली हुए जिला निर्वाचन अधिकारी(पंचायत) इस अधिनियम और इसके अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार जनपद में निर्वाचक नामावलियों के तैयार किए जाने पुनरीक्षण और शुद्धि का पर्यवेक्षण और उनसे सम्बन्धित समस्त कृत्यों का सम्पादन करेगा। (ख) निर्वाचन नामावलियों का तैयार किया जाना, पुनरीक्षण और शुद्धि ऐसे व्यक्तियों द्वारा और ऐसी रीति से की जायेगी, जैसे नियत की जाय।(2) उपधारा (1) के खण्ड (ख) में निर्दिष्ट रीति से निर्वाचक नामावली प्रकाशित की जाएगी और प्रकाशित कर दिये जाने पर वह इस अधिनियम और इसके अधीन बनाये गये नियमों के अनुसार किसी परिवर्तन, परिवर्द्धन या परिष्कार के अधीन रहते हुए, उस प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली होगी। क्षेत्र की निर्वाचक नामावली होगी। (3) उपधारा (4).(5),(6) और (7) के उपबन्धों के अधीन रहते हुए, प्रत्येक व्यक्ति जिसने उस वर्ष की, जिसमें निर्वाचक नामावली तैयार या पुनरीक्षित की जाय, पहली जनवरी को 18 (अट्ठारह) वर्ष की आयु पूरी कर ली हो और जो ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में साधारणतया (मामूली तौर से) निवासी हो, उस प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकरण का हकदार होगा; स्पष्टीकरण(i) किसी व्यक्ति के सम्बन्ध में केवल इसी कारण से कि किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में उसका किसी निवास-गृह पर स्वामित्व या कब्जा है यह नहीं समझ लिया जाएगा कि वह उस प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र का निवासी है


निवासी है(ii) अपने साधारणतया (मामूली तौर से) निवास स्थान से अपने आपको अस्थायी रूप से अनुपस्थित रखने वाले व्यक्ति के सम्बन्ध में केवल इसी कारण यह नही समझा जाएगा कि वह वहाँ का साधारणतया (मामूली 'तौर से) निवासी नहीं रहा। (iii) संसद या राज्य के विधान मण्डल के सदस्य, ऐसे सदस्य के रूप में अपने कर्तव्यों के सम्बन्ध में किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से अनुपस्थित रहने के कारण, अपनी पदावधि के दौरान उस क्षेत्र का साधारणतया (मामूली तौर से) निवासी होने से परिविरत नही समझा जाएगा। (iv) यह विनिश्चय करने के लिए कि किन व्यक्तियों को किसी सुसंगत समय पर किसी विशिष्ट क्षेत्र का साधारणतया (मामूली तौर से) निवासी समझा जाये या न समझा जाये, किन्हीं अन्य तथ्यों पर, जिन्हें नियत किया जाये, विचार किया जायेगा(v) यदि किसी मामले में यह प्रश्न उठे कि किसी सुसंगत समय पर कोई व्यक्ति, साधारणतया (मामूली तौर से) कहॉ का निवासी है, तो ऐसे प्रश्न का अवधारण मामले के सभी तथ्यों के निर्देश में किया जाएगा(4) कोई व्यक्ति किसी ग्राम पंचायत की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकरण के लिये अनर्ह होगा, यदि वह(क) भारत का नागरिक नहीं है, या (ख) विकृतचित्त है और उसके ऐसा होने की किसी सक्षम न्यायालय की घोषणा विद्यमान हो, अथवा (ग) निर्वाचन संबंधी भ्रष्ट आचरण और अन्य अपराधों से संबंधित किसी विधि के उपबन्धों के अधीन मत देने के लिये तत्समय अनर्ह है। (5) जो व्यक्ति रजिस्ट्रीकरण के पश्चात् उपधारा (4) के अधीन अनर्ह हो जाए, उसका नाम उस ग्राम पंचायत की निर्वाचक नामावली से तत्काल हटा दिया जाएगा जिसमें वह अंकित है:


परन्तु यह कि ऐसे व्यक्ति के नाम को जो ऐसी किसी अनर्हता के कारण निर्वाचक नामावली से काट दिया गया हो, उस नामावली में तत्काल फिर से रख दिया जायेगा यदि ऐसी अनर्हता उस अवधि के दौरान, जिसमें ऐसी नामावली प्रवृत्त रहती है, किसी ऐसी विधि के अधीन हटा दी जाती है जो ऐसा हटाना प्राधिकृत करती है। (6) कोई व्यक्ति एक से अधिक प्रादेशिक क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में या एक ही प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में एक से अधिक बार रजिस्ट्रीकरण का हकदार नहीं होगा


(/) काई व्यक्ति किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की नामावली में रजिस्टीकरण का हकदार तब तक नहीं होगा यदि उसका नाम किसी नगर निगम, नगरपालिका, नगर पंचायत या छावनी परिषद से सम्बन्धित निर्वाचक नामावली में दर्ज हो और जब तक कि वह यह प्रदर्शित नहीं करे कि उसका नाम ऐसी निर्वाचक नामावली से हटा दिया गया है(8) जहाँ राज्य निर्वाचन आयोग को दिये गये किसी आवेदन-पत्र पर या स्वप्रेरणा से ऐसी जॉच, जिसे वह उचित समझे, करने के पश्चात् यह समाधान हो जाए कि निर्वाचक नामावली की कोई प्रविष्टि सुधारी या परिवर्द्धित या निष्कासित की जानी चाहिए अथवा किसी ऐसे व्यक्ति का नाम निर्वाचक नामावली में जोड़ा जायेगा जो रजिस्ट्रीकरण का हकदार हो, वहाँ वह इस अधिनियम और तदधीन बनाए गए नियमों और आदेशों के अधीन, किसी का यथास्थिति सुधार, निष्कासन या परिवर्द्धन करेगा: परन्तु यह कि ऐसा कोई सुधार, निष्कासन या परिवर्द्धन ग्राम पंचायत के किसी निर्वाचन के लिए नामांकन देने के अन्तिम दिनांक के पश्चात् और उस निर्वाचन के पूर्ण होने से पूर्व, नही किया जाएगा; परन्तु यह और कि किसी व्यक्ति से सम्बन्धित प्रविष्टि का ऐसा कोई सुधार या निष्कासन जो उसके हित पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाला हो, उसके विरूद्ध प्रस्तावित कार्यवाही के सम्बन्ध में सुनवाई का समुचित अवसर दिए बिना नहीं किया जाएगा(9) राज्य निर्वाचन आयोग, यदि सामान्य या उप निर्वाचन के प्रयोजन के लिए ऐसा करना आवश्यक समझे, किसी ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली का ऐसी रीति से, जिसे वह उचित समझे, विशेष पुनरीक्षण करने का निर्देश दे सकेगा, परन्तु यह की अधिनियम के अन्य उपबन्धों के अध्यधीन रहते हुए, प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली, जैसी कि वह कोई ऐसा निर्देश दिये जाने के समय प्रवृत्त हो, प्रवृत्त बनी रहेगी, जब तक कि उस प्रकार निर्देशित विशेष पुनरीक्षण पूर्ण न हो जाएहो जाए(10) जहाँ तक कि इस अधिनियम या नियमों द्वारा उपबन्ध न किया गया हो, वहां राज्य निर्वाचन आयोग, आदेश द्वारा निर्वाचक नामावली से सम्बन्धित निम्नलिखित विषयों के सम्बन्ध में उपबन्ध कर सकेगा, अर्थात(क) इस अधिनियम के अधीन तैयार की गई निर्वाचक नामावली के प्रवृत्त होने की तारीख और उसके प्रवर्तन की अवधिः (ख) निर्वाचक नामावली में (ख) निर्वाचक नामावली में सम्बद्ध निर्वाचक के आवेदन-पत्र पर किसीपर्तगान प्रविष्टि की शुद्धिः


पर्तगान प्रविष्टि की शुद्धिः (ग) निर्वाचक नामावलियों में लिपिकीय या मुद्रण सम्बन्धी त्रुटियों की शुद्धिः (घ) निर्वाचक नामावली में किसी ऐसे व्यक्ति का नाम सम्मिलित करना(i) जिसका नाम प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र से सम्बन्धित क्षेत्र की विधान सभा निर्वाचक नामावली में सम्मिलित हो किन्तु प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में सम्मिलित न हो, या जिसका नाम किसी अन्य प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में त्रुटि से सम्मिलित किया गया हो, या (ii) जिसका नाम इस प्रकार की विधान सभा निर्वाचक नामावली में सम्मिलित न हो किन्तु जो प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकरण के लिए अन्यथा अर्ह हो:(ड.) निर्वाचक नामावलियों की अभिरक्षा और उनका परिरक्षणः (च) नाम सम्मिलित करने या हटाने के लिए आवेदन-पत्र पर देय फीसः (छ) निर्वाचक नामावलियाँ तैयार और प्रकाशित करने से सम्बन्धित सामान्यतया सभी विषयः (11) उपर्युक्त उपधाराओं में दी गई किसी बात के होते हुए भी राज्य निर्वाचन आयोग, किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली तैयार करने के प्रयोजनों हेतु, तत्समय प्रवृत्त लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 के अधीन विधान सभा निर्वाचन क्षेत्र के लिये तैयार की गई निर्वाचक नामावली को अपना सकेगा, जहाँ तक उसका सम्बन्ध उस प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के क्षेत्र से होः परन्तु यह कि ऐसे प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली में ऐसे निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचन के लिए नाम-निर्देशन के अन्तिम तारीख के पश्चात् और उस निर्वाचन के पूरा होने के पूर्व, किसी संशोधन, परिवर्तन या शुद्धि को सम्मिलित नही किया जायेगा


संशोधन, परिवर्तन या शुद्धि को सम्मिलित नही किया जायेगा(12) किसी सिविल न्यायालय को निम्नलिखित की अधिकारिता नहीं होगी(क) इस प्रश्न को ग्रहण करना या उस पर निर्णय देना कि कोई व्यक्ति किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में रजिस्ट्रीकरण के लिए हकदार है या नहीः या (ख) निर्वाचक नामावली के तैयार करने और प्रकाशन के सम्बन्ध में राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा या उसके प्राधिकारी के अधीन की गई किसकार्रवाही या इस निमित्त नियुक्त किये गये किसी प्राधिकारी या अधिकारी द्वारा किये गये किसी विनिश्चय की वैधता पर आपत्ति करना।


करना। (13) मत देने इत्यादि का अधिकार-इस अधिनियम द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबन्धित के सिवाय, प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी ग्राम पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो, उस ग्राम पंचायत में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नाम-निर्देशन या नियुक्ति किए जाने के लिए पात्र होगा; परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूरी न कर ली हो किसी ग्राम पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा। मूल अधिनियम की धारा 10 के पश्चात् निम्नलिखित धारा 10-क, 10 –ख एवं 10-ग अंतःस्थापित कर दी जाएगी, अर्थातप्रधान के पद 10-क. "(1) राज्य सरकार, आदेश द्वारा प्रधान के पदों को अनुसूचित आरक्षण जातियों, अनुसूचित जनजातियों व पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित कर सकेगीअनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षित प्रधान के पदों की संख्या का अनुपात प्रधानों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा, जो राज्य की अनुसूचित जातियों की या राज्य की अनुसूचित जनजातियों की या राज्य के पिछड़े वर्गों की जनसंख्या का अनुपात राज्य की कुल जनसंख्या में है : . परन्तु यह कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण प्रधान के पदों की कुल संख्या के 14 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। (2) उपधारा (1) के अधीन आरक्षित प्रधानों के पदों की कुल संख्या के आधे से अन्यून पद यथास्थिति, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे


वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे(3) उपधारा (2) के अध्यधीन प्रधान के पदों की कुल संख्या के आधे से अन्यून पद महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे(4) इस धारा के अधीन आरक्षित प्रधानों के पद भिन्न-भिन्न ग्राम पंचायतों में चक्रानुक्रम द्वारा ऐसे क्रम में, जैसा नियत हो, आवंटित किये जायेंगे(5) इस धारा के अधीन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रधान के पद पर आरक्षण “भारत का संविधान' के अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।'


निर्वाचन प्रधान का __10-ख. "(1) ग्राम पंचायत का प्रधान, किसी पंचायत क्षेत्र के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिये निर्वाचक नियमावली में रजिस्ट्रीकृत व्यक्तियों द्वारा, अपने में से, निर्वाचित किया जायेगा। (2) यदि किसी ग्राम पंचायत के सामान्य निर्वाचन में, प्रधान का निर्वाचन नहीं किया जाता है और ग्राम पंचायत के कुल सदस्यों की संख्या के दो तिहाई से कम सदस्य निर्वाचित किये जाते हैं तो राज्य सरकार या इसके द्वारा तदर्थ प्राधिकृत कोई अधिकारी, आदेश द्वारा, या तो(i) प्रशासनिक समिति जिसमें ग्राम पंचायत के सदस्यों के रूप में निर्वाचित किये जाने के लिये, ऐसी संख्या में जैसी वह उचित समझे, अर्ह व्यक्ति होंगे, या (ii) प्रशासक नियुक्त कर सकता है(3) प्रशासनिक समिति के सदस्य या प्रशासक छ: मास से अनधिक ऐसी अवधि के लिये जैसी कि वह राज्य सरकार, उपधारा (2) में निर्दिष्ट आदेश में विनिर्दिष्ट करे, पद धारण करेगा(4) उपधारा (2) के अधीन प्रशासनिक समिति या प्रशासक की नियुक्ति पर, ऐसी नियुक्ति के पूर्व ग्राम पंचायत के प्रधान या सदस्य के रूप में चुने गये व्यक्ति, यदि कोई हो, ऐसे प्रधान या यथास्थिति सदस्य नहीं रह जायेंगे और ग्राम पंचायत, इसके प्रधान और समितियों की समस्त शक्तियां, कृत्य और कर्तव्य ऐसी प्रशासनिक समिति या प्रशासक में निहित होंगे और .. उनके द्वारा प्रयोग, सम्पादन और निर्वहन किये जायेगा। .. उनके द्वारा प्रयोग, सम्पादन और निर्वहन किये (5) इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये प्रशासनिक समिति या प्रशासक सम्यक रूप में संघटित ग्राम पंचायत समझी जायेगी : परन्तु यह कि उपधारा (2) के अधीन प्रशासनिक समिति या प्रशासक की नियक्ति के पश्चात यदि किसी समय राज्य सरकार का वह समाधान हो जाय कि ग्राम पंचायत के सम्यक रूप से संघटित किये जाने में कोई कठिनाई नहीं है, राज्य सरकार, इस बात के होते हुए भी कि, जिस अवधि के लिए प्रशासनिक समिति या प्रशासक नियुक्त किया गया था समाप्त नहीं हुई है, राज्य निर्वाचन आयोग को ग्राम पंचायत संघटित करने के लिये निर्वाचन कराने का निर्देश दे सकती है। (6) इस अधिनियम में अन्यथा उपबंधित के सिवाय, प्रधान की पदावधि की ग्राम पंचायत के कार्यकाल के साथ समाप्त होगी। उप प्रधान का 10-ग. "(1) उप प्रधान, ग्राम पंचायत के सदस्यों द्वारा अपने सदस्यों में से निर्वाचन और ऐसी रीति में निर्वाचित किया जाएगा जो नियत की जाय : उसका परन्तु यह कि यदि ग्राम पंचायत तदर्थ नियमों द्वारा या उसके अधीन कार्यकाल नियत समय के भीतर उप प्रधान को इस प्रकार निर्वाचित करने में चूक करे तो नियत अधिकारी ग्राम पंचायत के किसी सदस्य को उप प्रधान के रूप में नामनिर्दिष्ट कर सकेगा और इस प्रकार नामनिर्दिष्ट व्यक्ति सम्यक रूप से निर्वाचित हुआ समझा जाएगा(2) उप प्रधान का कार्यकाल, यथास्थिति, उसके निर्वाचन यानामनिर्देशन के दिनांक से प्रारम्भ होगा, और जब तक कि उसे इस अधिनियम के उपबन्धों के अधीन अन्यथा समाप्त न कर दिया जाए, ग्राम पंचायत के कार्यकाल के साथ समाप्त होगा(3) उप प्रधान को हटाने के सम्बन्ध में धारा 18 के उपबन्ध, यथावश्यक परिवर्तनों सहित, उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे प्रधान को हटाने के सम्बध में लागू होते है।


धारा 13 का संशोधन 7. धारा 23 का संशोधन 8. यथावश्यक परिवर्तनों सहित, उसी प्रकार लागू होंगे जिस प्रकार वे प्रधान को हटाने के सम्बध में लागू होते है। मूल अधिनियम की धारा 13 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थात"13. किसी ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान तथा सदस्य के पद के लिए निर्वाचन मतपत्र अथवा ई.वी.एम. द्वारा गुप्त मतदान प्रणाली से होगाः परन्तु यह कि पंचायतों को इस धारा में उल्लिखित पद धारियों का निर्विरोध निर्वाचन करने से निवारित नहीं किया जाएगा" मूल अधिनियम की धारा 23 के खण्ड (सत्ताईस) को निम्नवत् प्रतिस्थापित कर • दिया जायेगा, अर्थात् :"(सत्ताईस) समाज कल्याण जिसके अन्तर्गत विकलांगों और मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों का कल्याण भी है; (क) वृद्धावस्था और विधवा पेंशन योजनाओं में सहायता करना ; (ख) विकलांगों और मानसिक रूप से मन्द व्यक्तियों के कल्याण को सम्मिलित करते हुए समाज कल्याण कार्यक्रमों में भाग लेना।" मूल अधिनियम की धारा 32 के पश्चात निम्नलिखित धारा अंतःस्थापित कर दी जाएगी, अर्थातउप प्रधान के 32क. (1) उप प्रधान, प्रधान की अनुपस्थिति में प्रधान के समस्त कार्यों, कर्तव्यों एवं दायित्वों का निवर्हन करेगा(2) उप प्रधान, ग्राम पंचायत की स्थायी समितियों में, जिस समिति का पदेन सभापति होगा, उनकी अध्यक्षता करेगा तथा सम्बन्धित समिति के कार्यों का अनुश्रवण करते हुये विवरण ग्राम पंचायत को प्रस्तुत करेगा(3) उप प्रधान अधिनियम की धारा 31 के अधीन प्रतिनिहित अधिकार एवं कर्तव्यों का निवर्हन करेगा(4) उप प्रधान, प्रधान को ग्राम पंचायत के कार्यों एवं दायित्वों के निवर्हन में सहयोग करेगा।


के कार्यों एवं दायित्वों के निवर्हन में सहयोग करेगा।" मूल अधिनियम की धारा 53 में,धारा 53 का संशोधन 10. (क) उपधारा (1) के खण्ड (त) के पश्चात् खण्ड (थ)(द),(ध),(न) तथा (प) निम्नवत् अन्तःस्थापित कर दिये जायेंगे, अर्थात:(थ) वह किसी मान्यता प्राप्त संस्था/बोर्ड से हाई स्कूल अथवा समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होः परन्तु यह कि सामान्य श्रेणी महिला तथा अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रत्याशी के मामले में न्यूनतम मिडिल/ आठवीं कक्षा उत्तीर्ण न होः (द) उसकी दो से अधिक जीवित संतान है(ध) उसका किसी सरकारी/पंचायतीराज विभाग की भूमि पर अनाधिकृत कब्जा है। (न) उसने सरकारी धन का गबन किया गया हो या सरकारी धन की वसूली चल रही हो या शासकीय धन का बकाया हो। (प) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8, धारा 8क, धारा 9, धारा 9क एवं धारा 10 के उपबन्धों के अन्तर्गत आता होख) उपधारा (4) का खण्ड (एक) निम्नवत प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा, अर्थात"(4)(एक) क्षेत्र पंचायत का कोई सदस्य उस पंचायत का सदस्य नहीं रह जायेगा, यदि उस सदस्य से सम्बन्धित प्रविष्टि क्षेत्र पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दी जाय अथवा उसका सम्पूर्ण प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र किसी नगर निकाय में सम्मिलित हो गया हो, भले ही सम्बन्धित सदस्य की प्रविष्टि अन्य निर्वाचक नामावली में अंकित हो।" (ग) उपधारा (6) के पश्चात उपधारा (7) निम्नवत अंतःस्थापित कर दी जाएगी, __अर्थात"(7) · एक साथ दो पद धारण करने पर अग्रेत्तर रोक- (1) कोई व्यक्ति क्षेत्र पंचायत के प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य का पद धारण करने के लिए अनर्ह होगा, यदि वह(क) संसद का या राज्य विधान मण्डल का सदस्य है, या (ख) किसी ग्राम पंचायत का प्रधान, उप प्रधान या सदस्य, है, या (ग) किसी जिला पंचायत का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (घ) किसी सहकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (ट) किसी शहरी स्थानीय निकाय का नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख या सभासद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (च) किसी छावनी परिषद का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है। (2) कोई व्यक्ति, यदि बाद में उप धारा (1) के खण्ड (क) से (च) में उल्लिखित किसी पद पर निर्वाचित होता है, तो वह ऐसी अनुवर्ती निर्वाचन के दिनांक से यथास्थिति क्षेत्र पंचायत के प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य के पद पर नहीं रह जायेगा और तदुपरान्त यथास्थिति, ऐसे प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य के पद पर आकस्मिक रिक्ति मानी जायेगी।"


धारा 54 का 11. मूल अधिनियम की धारा 54 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थातसंशोधन प्रत्येक प्रादेशिक "54. (1) प्रत्येक क्षेत्र पंचायत के प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए एक निर्वाचन क्षेत्र के निर्वाचक नामावली होगी। क्षेत्र पंचायत के (2) क्षेत्र पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक लिए निवाचक नामावली उत्तराखण्ड पंचायतीराज अधिनियम, 2016 की धारा 9 के अधीन नामावली तैयार की गयी ग्राम पंचायत या ग्राम पंचायतों के उतने प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों से मिलकर बनेगी जितने क्षेत्र पंचायत के उस प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में समाविष्ट है और किसी क्षेत्र पंचायत के ऐसे किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली को पृथकतः तैयार या पुनरीक्षित करना आवश्यक न होगाः परन्तु यह कि क्षेत्र पंचायत के किसी निर्वाचन के लिए नामांकन करने के अंतिम दिनांक के पश्चात और उस निर्वाचन के पूर्ण होने के पूर्व निर्वाचक नामावली में किया गया कोई सुधार, निष्कासन या परिवर्द्धन उस निर्वाचन के प्रयोजनों के लिए ध्यान में नहीं रखा जायेगा(3) अधिनियम की विभिन्न धाराओं द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबन्धित के सिवाय प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी क्षेत्र पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो उस क्षेत्र पंचायत में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नाम निर्देशन या नियुक्त किए जाने के लिए पात्र होगाः परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण न कर ली हो किसी क्षेत्र पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा


लिए अर्ह नहीं होगाधारा 55-क का 12. क्षेत्र पंचायत के मूल अधिनियम की धारा 55 के पश्चात निम्नलिखित धारा अंतःस्थापित कर दी अंतःस्थापन. प्रमुख के पद जाएगी, अर्थातपर आरक्षण 55-क. (1) क्षेत्र पंचायतों के प्रमुख के पद अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों के लिए आरक्षित किये जा सकेंगे: __ परन्तु यह कि प्रमुख के आरक्षित पदों की संख्या का अनुपात ऐसे पदों की कुल संख्या से यथाशक्य वही होगा जो राज्य की अनुसूचित जातियों की या राज्य की अनुसूचित जनजातियों की या राज्य के पिछड़े वर्गों की जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या से है और ऐसे आरक्षित पद भिन्न-भिन्न क्षेत्र पंचायतों को चक्रानुक्रम से ऐसे, क्रम में जैसा नियत किया जाये, आवंटित किये जा सकेंगे: में प्रमुख के का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या से है और ऐसे आरक्षित पद भिन्न-भिन्न क्षेत्र पंचायतों को चक्रानुक्रम से ऐसे, क्रम में जैसा नियत किया जाये, आवंटित किये जा सकेंगे: ___परन्तु यह और कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण राज्य में प्रमुख के पदों की कुल संख्या के 14 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा(2) उप धारा (1) के अधीन आरक्षित पदों की संख्या के आधे से अन्यून पद यथास्थिति, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित होंगे। (3) उपधारा (2) के अध्यधीन प्रमुख के पदों की कुल संख्या के आधे से अन्यून पद, महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे पदों को चक्रानुक्रम से राज्य में भिन्न-भिन्न क्षेत्र पंचायतों के लिए ऐसे क्रम में जैसा नियत किया जाये, आवंटित किये जा सकेंगे(4) इस धारा के अधीन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों के लिए प्रमुख के पद पर आरक्षण "भारत का संविधान' के अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।"


विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।" 13. मूल अधिनियम की धारा 58 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थात्58. "क्षेत्र पंचायत के किसी सदस्य के पद के लिए निर्वाचन मतपत्र अथवा ई.वी.एम. द्वारा गुप्त मतदान प्रणाली से होगाः ___ परन्तु यह कि पंचायतें इस धारा में उल्लिखित पदधारियों का निर्विरोध निर्वाचन करने से निवारित नही किया जायेगा।" 14. मूल अधिनियम की धारा 62 के हिन्दी पाठ में 'प्रधान' शब्द के स्थान पर 'प्रमुख' शब्द रख दिया जायेगा। धारा 58 का संशोधन धारा 62 का संशोधन धारा 66 का संशोधन 15. 16. धारा 90 का संशोधन मूल अधिनियम की धारा 66 की उपधारा (5) में 'निर्वाचित सदस्यों' शब्दों के स्थान पर 'सदस्यों' शब्द रख दिया जायेगामूल अधिनियम की धारा 90 में,(क) उपधारा (1) के खण्ड (त) के पश्चात् उपधारा (थ),(द).(ध),(न)तथा (प) ___ निम्नवत् अन्तःस्थापित कर दिये जायेंगे, अर्थात्:(थ) वह किसी मान्यता प्राप्त संस्था/बोर्ड से हाई स्कूल अथवा समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण नहीं होः परन्तु यह कि सामान्य श्रेणी की महिला/अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रत्याशी के मामले में न्यूनतम मिडिल/आठवीं उत्तीर्ण न होः


(द) उसकी दो से अधिक जीवित संतान है। (घ) उसका किसी सरकारी/पंचायतीराज विभाग की भूमि पर अनाधिकृत कब्जा है। (न) उसने सरकारी धन का गबन किया हो या उसके विरूद्ध सरकारी धन की वसूली चल रही हो या उस पर शासकीय धन का बकाया हो। (प) लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 8, धारा 8क, धारा 9, धारा 9क एवं धारा 10 के उपबन्धों के अन्तर्गत आता हो(ख) उपधारा (4) का खण्ड (क) निम्नवत प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा, अर्थात


"(4)(क) जिला पंचायत का कोई सदस्य उस पंचायत का सदस्य नहीं रह जायेगा, यदि उस सदस्य से सम्बन्धित प्रविष्टि जिला पंचायत के प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली से निकाल दी जाय अथवा सम्पूर्ण प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र नगर निकाय में सम्मिलित हो गया हो, भले ही सम्बन्धित सदस्य की प्रविष्टि अन्य निर्वाचक नामावली में अंकित हो।" (ग) उपधारा 4 के अंग्रेजी पाठ में खण्ड (1) तथा (2) के स्थान पर क्रमशः खण्ड (a) तथा (b) प्रतिस्थापित कर दिया जायेगा(घ) उपधारा 4 के अंग्रेजी पाठ के खण्ड (b) में "(1)" के स्थान पर (a) रखा जायेगा(ङ) उपधारा (6) के पश्चात उपधारा (7) निम्नवत अंतःस्थापित कर दी जाएगी, अर्थात"(7) एक साथ दो पद धारण करने पर अग्रेत्तर रोक- (1) कोई व्यक्ति जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य का पद धारण करने के लिए अनर्ह होगा, यदि वह(क) संसद का या राज्य विधान मण्डल का सदस्य है, या (ख) किसी ग्राम पंचायत का प्रधान, उप प्रधान या सदस्य है, या (ग) किसी क्षेत्र पंचायत का प्रमुख, ज्येष्ठ उप प्रमुख, कनिष्ठ उप प्रमुख या सदस्य है, या (घ) किसी सहकारी समिति का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (ड.) किसी शहरी स्थानीय निकाय का नगर प्रमुख, उप नगर प्रमुख या सभासद, अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है, या (च) किसी छावनी परिषद का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या सदस्य है(2) कोई व्यक्ति, यदि बाद में उप धारा (1) के खण्ड (क) से (च) में उल्लिखित किसी पद पर निर्वाचित होता है, तो वह ऐसी अनुवर्ती निर्वाचन के दिनांक से यथास्थिति जिला पंचायत के अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या सदस्य के पद पर नहीं रह जायेगा और तदुपरान्त यथास्थिति, अध्यक्ष या उपाध्यक्ष या सदस्य के पद पर आकस्मिक रिक्ति मानी जायेगी।"


धारा 91 का संशोधन या सदस्य के पद पर आकस्मिक रिक्ति मानी जायेगी।" 17. प्रत्येक मूल अधिनियम की धारा 91 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थातप्रादेशिक ___ "91. (1) प्रत्येक जिला पंचायत के प्रत्येक प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचन क्षेत्र एक निर्वाचक नामावली होगी। के जि पंचायत जल (2) जिला पंचायत के किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक के लिए निर्वाचक नामावली, क्षेत्र पंचायत या क्षेत्रों पंचायतों के उतने प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्रों की निर्वाचक नामावलियों से मिलकर बनेगी जितने जिला पंचायत के उस नामावली प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र में समाविष्ट है और किसी जिला पंचायत के ऐसे किसी प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र के लिए निर्वाचक नामावली पृथकतः तैयार या पुनरीक्षित करना आवश्यक न होगाः परन्तु यह कि जिला पंचायत के किसी निर्वाचन के लिए नामांकन करने के अंतिम दिनांक के पश्चात और उस निर्वाचन के पूर्ण होने के पूर्व निर्वाचक नामावली में किया गया कोई सुधार, निष्कासन या परिवर्द्धन उस निर्वाचन के प्रयोजनों के लिए ध्यान में नहीं रखा जायेगा। (3) अधिनियम की विभिन्न धाराओं द्वारा या उसके अधीन अन्यथा उपबन्धित के सिवाय प्रत्येक व्यक्ति, जिसका नाम किसी (जिला पंचायत के किसी) प्रादेशिक निर्वाचन क्षेत्र की निर्वाचक नामावली में तत्समय सम्मिलित हो, (उस जिला पंचायत) में किसी निर्वाचन में मत देने का हकदार होगा और उसमें किसी पद पर निर्वाचन, नामनिर्देशन या नियुक्त किए जाने के लिए पात्र होगाः परन्तु यह कि कोई व्यक्ति जिसने इक्कीस वर्ष की आयु पूर्ण न कर ली हो किसी जिला पंचायत के सदस्य या पदाधिकारी के रूप में निर्वाचित होने के लिए अर्ह नहीं होगा।


18. धारा 92-क का अंतःस्थापन मूल अधिनियम की धारा 92 के पश्चात निम्नलिखित धारा अंतःस्थापित कर दी जाएगी, अर्थात्जिला पंचायत 92-क "(1) राज्य में जिला पंचायतों के अध्यक्ष के पद अनुसूचित जातियों, के अध्यक्ष के अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों के व्यक्तियों के लिए आरक्षित किये जा पद पर आरक्षण सकेंगेः परन्तु यह कि अध्यक्ष के आरक्षित पदों की संख्या का अनुपात ऐसे पदों की कुल संख्या से, यथाशक्य, वही होगा जो राज्य में अनुसूचित जातियों की या राज्य की अनुसूचित जनजातियों की या राज्य के पिछड़े वर्गों की जनसंख्या का अनुपात उस राज्य की कुल जनसंख्या में है और ऐसे आरक्षित पद भिन्न-भिन्न जिला पंचायतों को चक्रानुक्रम से ऐसे क्रम में जैसा नियत किया जाये, आवंटित किये जा सकेंगे:


परन्तु यह और कि पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण राज्य में अध्यक्षों के पदों की कुल संख्या के 14 प्रतिशत से अधिक नहीं होगा। (2) उप धारा (1) के अधीन आरक्षित पदों की संख्या के आधे से अन्यून पद यथास्थिति, अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और पिछड़े वर्गों की महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे(3) उपधारा (2) के अध्यधीन अध्यक्ष के पदों की कुल संख्या के आधे से अन्यून पद, महिलाओं के लिए आरक्षित रहेंगे और ऐसे पदों को चक्रानुक्रम से राज्य में भिन्न-भिन्न जिला पंचायतों के लिए ऐसे क्रम में जैसा नियत किया जाये, आवंटित किये जा सकेंगे। (4) इस धारा के अधीन अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जन जातियों के लिए अध्यक्ष के पद का आरक्षण "भारत का संविधान के अनुच्छेद 334 में विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।"


विनिर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर प्रभावी नहीं रहेगा।" मूल अधिनियम की धारा 95 निम्नवत प्रतिस्थापित कर दी जाएगी, अर्थात"95. जिला पंचायत के किसी सदस्य के पद के लिए निर्वाचन मतपत्र अथवा ई.वी.एम. द्वारा गुप्त मतदान प्रणाली से होगाः परन्तु यह कि पंचायत को इस धारा में उल्लिखित पद धारियों का निर्विरोध निर्वाचन करने से निवारित नही किया जायेगा।" मूल अधिनियम की धारा 130 की उपधारा (5) के हिन्दी पाठ में "विघटित" शब्द के स्थान पर "संगठित" शब्द रख दिया जायेगाधारा 95 का संशोधन 19. धारा 130 का संशोधन 20... धारा 131 का संशोधन 21. मूल अधिनियम की धारा 131 में(क) उपधारा (4) (ख) (1) में "जिला मजिस्ट्रेट राज्य निर्वाचन आयोग" शब्दों के स्थान पर "जिला मजिस्ट्रेट या राज्य निर्वाचन आयोग" शब्द रख दिए जायेंगे। (ख) उपधारा (4) (ख) (1) के खण्ड (दो) में "को मत पेटियों" शब्दों के - स्थान पर "मतदान स्थल को निर्वाचन सामग्री" शब्द रखे जायेंगे। (ग) उपधारा 4 (ट) (1) में "धारा 125," शब्द व अंक के पश्चात "125 क," शब्द व अंक रख दिये जायेंगे।


धारा 138 का संशोधन 22. मूल अधिनियम की धारा 138 में:- ' (क) उपधारा (1) में "सदस्य" शब्द के स्थान पर "पदाधिकारी" शब्द रख दिया जायेगा(ख) उपधारा (1) के खण्ड (ग) के पश्चात नये उपखण्ड (घ) एवं (ड.) निम्नवत् अन्तःस्थापित कर दिये जायेंगे, अर्थात्"(घ) ग्राम पंचायत के प्रधान, उप प्रधान या उसके किसी सदस्य या संयुक्त समिति या भूमि प्रबन्धक समिति के किसी सदस्य को अथवा क्षेत्र पंचायत के प्रमुख, उप प्रमुख या किसी सदस्य अथवा जिला पंचायत के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष या उसके किसी सदस्य को उसके पद से निम्नलिखित दशाओं में भी हटाया जा सकेगा(i) यदि वह बिना पर्याप्त कारण के लगातार तीन से अधिक सभाओं अथवा बैठकों में अनुपस्थित रहे या कार्य करने से इंकार करे, या (ii) यदि उसने किसी ऐसे मिथ्या घोषणा-पत्र, जिसे उसके द्वारा वह अभिव्यक्त करते हुये कि वह यथास्थिति, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति या पिछड़े वर्गों का सदस्य है, हस्ताक्षरित किया गया हो, के आधार पर यथास्थिति धारा 10-क की उपधारा (1) अथवा धारा 11 की उपधारा (1) अथवा धारा 55-क की उपधारा (1) अथवा धारा 56 अथवा धारा 92-क की उपधारा (1) अथवा धारा 93 के अधीन आरक्षण का लाभ प्राप्त किया हो, या (iii) यदि उसमें धारा 8 की उपधारा (1) के खण्ड (क) से (प) तक, धारा 53 की उपधारा (1) के खण्ड (क) से (प) तक तथा धारा 90 की उपधारा (1) के खण्ड (क) से (प) तक में उल्लिखित अनर्हताओं में से कोई अनर्हता हो। (ड.) इस धारा के अधीन राज्य सरकार द्वारा दिये गये आदेश पर किसी भी न्यायालय में आपत्ति नहीं की जायेगी।" (ग) उपधारा (2) में "धारा 29" शब्द व अंकों के स्थान पर "धारा 138" शब्द व अंक रख दिये जायेंगे।


आज्ञा से. प्रेम सिंह खिमाल, सचिव।


उद्देश्य और कारणों का कथन उत्तराखण्ड राज्य सरकार द्वारा "उत्तराखण्ड पंचायती राज अधिनियम, 2016" (आधिनियम संख्या 11 वर्ष 2016) अधिनियमित किया गया है। इसी परिप्रेक्ष्य में मूल अधिनियम में ग्राम पंचायत के प्रधान, क्षेत्र पंचायत के प्रमुख एवं जिला पंचायत के अध्यक्ष के पद पर आरक्षण की व्यवस्था किये जाने, किसी पदधारी द्वारा एक साथ दो पद धारण करने को वर्जित किये जाने एवं निर्वाचन प्रकिया को स्पष्ट किये जाने तथा निर्वाचन हेतु शैक्षिक अर्हता निर्धारित किए जाने व परिवार नियोजन को बढ़ावा देने के उदेश्य से 2 से अधिक जीवित संतान वाले उम्मीदवार को पंचायत निर्वाचन से अनर्ह किए जाने के साथ-साथ मूल अधिनियम की कतिपय त्रुटियों को भी दूर करने के लिए संशोधन किया जाना अपरिहार्य है। 2- अतः मूल अधिनियम की धाराओं 2, 4, 8, 9, 10-क, 10-ख, 10-ग, 13, 23, 32-क, 53, 54, 55-क, 58, 62, 66, 90, 91, 92-क, 95, 130, 131 और 138 को संशोधित/प्रतिस्थापित करते हुए ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत और जिला पंचायत की व्यवस्थाओं को और अधिक सुदृढ़ करने हेतु मूल अधिनियम में संशोधन किया जाना प्रस्तावित है3- प्रस्तावित विधेयक उपरोक्त उद्देश्य की पूर्ति करता है


(अरविंद पाण्डे) मंत्री