जनजाति समुदाय के रामकृष्ण  

||जनजाति समुदाय के रामकृष्ण||  


उत्तराखण्ड आन्दोलन ने ऐसे कार्यकर्ता तैयार किये जो सीमान्त में मूकदर्शक बनकर स्वरोजगार के काम करते रहते थे। आन्दोलन के कारण लोग घरो से और अपने कामधाम को छोड़कर सड़क पर आ गये। आन्दोलन की सफलता है कि आज उत्तराखण्ड राज्य असतित्व में है। ऐसे कई बिरले आन्दोलनकारी हैं, जिनकी पहचान सरकार कर रही है। उन्हे राज्य के विकास में अलग-अलग जिम्मेदारी दी जा रही है। उन्ही में से एक है सीमान्त क्षेत्र जोशीमठ के रामकृष्ण सिंह रावत।


श्री रावत राज्य आन्दोलनकारी है। एक अच्छे व्यवसायी भी है। उन्हे लम्बे समय तक प्रशासनिक सेवाओं का अनुभव भी है। किन्तु श्री रावत को समाज सेवा की चिंटी काट देती है, इसलिए वे अपने व्यवसाय पर कम और ग्राम विकास पर ज्यादा ध्यान देते है। वे ग्रामीणो के साथ मीलो पैदल चलकर सामाजिक कार्यो की समीक्षा करते हैं, क्षेत्र में हो रहे विकास कार्यो की निगरानी करते है और ग्रामीणो की समस्या को सरकार तक पंहुचाने का उम्दा काम करते है। कारण इसके सरकार ने उन्हे अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है।


रामकृष्ण सिंह रावत का काम यही नहीं रूकता। वे इससे पूर्व कई जिम्मेदारियां भी निभा चुके हैं। 1983 में एक वर्ष तक सीमान्त सहकारी संघ के अध्यक्ष भी रहे हैं। यह पहाड़ के यातायात सेवा की सबसे पुरानी कम्पनी है। 1984 से 1990 तक उन्होंने लायन्स क्लब जोशीमठ के अध्यक्ष का दायित्व कुशल पूर्वक निभाया। जबकि वे 1997 से 2002 तक नगर पालिका जोशीमठ के अध्यक्ष पद पर आसीन रहे है। उन्हे क्षेत्र में राजनीतिक कार्यकर्ता नही बजाय उन्हे सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में लोग ज्यादा पहचानते हैं। क्योंकि वे 1984 से राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कार्यकर्ता है। वे लगातार संगठनात्मक कार्यक्रमो को तरजीह देते हैं। उन्होंने अब तक उत्तराखण्ड संघर्ष समिति जोशीमठ, व्यापार संघ जोशीमठ, भाजपा के राष्ट्रीय जनजाति मोर्चा, वर्तमान में वे भाजपा के जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहे है, जैसे संगठनो में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। यही वजह है कि उन्हे मौजूदा सरकार ने अनुसूचित जनजाति सलाहकार परिषद के उपाध्यक्ष का जिम्मा सौंपा है।


15 मई 1944 को चमोली जिले के सीमान्त गांव मलारी में जन्मे रामकृष्ण सिंह रावत विकास के कामो के लिए सरकार के पीछे दौड़ लगाते है। उनकी रूची जितनी विकास के कामो को जन जन तक पंहुचाने की है वहीं वे वन एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति मुस्तैद रहते हैं। क्योंकि वे विश्वविख्यात चिपको आन्दोलन के भी हिस्सा रहे हैं।


सलाहकार परिषद के मार्फत
श्री रावत को खुशी है कि सरकार ने उन्हे जो जिम्मेदारी दी है उसे वे बखूबी निभायेंगे। वे जनजाति समुदाय के कल्याण व विकास बावत सरकार का ध्यान बार-बार आर्कषित करेंगे। जनजाति समुदाय के विकास के लिए नियोजन का काम करेंगे, योजनाओं के क्रियान्वयन का काम करेंगे और बजट के सद्पयोग का काम करेंगे। जिसे अब तक की सरकार नहीं कर पाई है।