असी गंगा

||असी गंगा||


उत्तरकाशी जनपद में समुद्रतल से 3024 मी० की ऊँचाई पर सघन वृक्षों की छाया में डोडीताल स्थित हैडोडीताल को ढुंढ़िताल एवं कुंडीताल नामों से भी जाना जाता है। ढुंढ़िताल का अर्थ है गणेश का ताल।


ऐसा माना जाता है कि सबसे पहले यहां गणेश जी पहुंचे थेडोडीताल के किनारे भगवान गणेश का मन्दिर है, यहां पर उनकी प्राचीन प्रस्तर-मूर्ति है। संस्कृत में गणेश को ढुंढ़ि भी कहा जाता है।


डोडीताल एक विशाल जलाशय है। इसके आसपास के प्राकृतिक सौन्दर्य ने इस ताल के सौन्दर्य में चार चांद लगा दिये हैयह ताल पर्यटन की दृष्टि में महत्वपूर्ण स्थान रखता है। ताल के पास आकर्षक कैलम्पग स्थल हैं जहां पर्यटक इस छटा के सौन्दर्य का आनन्द उठाते हैं। ताल के कोने से एक जलधारा पर्वतीय ढाल पर अवतरित होती है, यह जलधारा ही असी गंगा है।


बांज, बुरांश और देवदार वृक्षों के वनों के मध्य से निकलती यह धारा गंगोरी में भगीरथी में समाहित हो जाती है। डोडीताल का क्षेत्र प्राकृतिक सुन्दरता से भरपूर है। डोडीताल की परिधि एक किलोमीटर से अधिक हैताल के दक्षिण किनारे पर शिवमन्दिर स्थित है। डोडीताल क्षेत्र हिमालयी दुर्लभ वन्य-पशुओं के लिए भी प्रसिद्ध है।


 


स्रोत - उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री व मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक द्वारा रचित 'विश्व धरोहर गंगा'