दहेज की समस्या

दहेज की समस्या


मैं कक्षा नौ की छात्रा हूँ। ग्राम बेलक, जिला अल्मोड़ा, में रहती हूँ। हमारे गाँव में किशोरी संगठन बना तो मैं भी कार्यशालाओं में भाग लेकर जीवन-कौशल से जुड़ी बातों को समझने लगी। इस लेख में दहेज के विषय में अपने विचार स्पष्ट करना चाहती हूँविवाह एक बन्धन है।  लेकिन आधुनिक समाज ने इसे एक समस्या बना दिया है। दहेज की वजह से विवाह संपन्न होना एक बाधा बन गई है। दहेज-प्रथा नारी जीवन की समस्या बन गई है। आज हर दिन समाचार-पत्र दहेज की समस्याओं से भरे रहते हैंइसकी मूल वजह यह है कि कई परिवार अपनी बेटियों को पूर्णतया शिक्षित नहीं करते। अगर वह उन्हें पढ़ाते और सामाजिक शिक्षण भी करते तो बेटी स्वयं अपने हक की लड़ाई लड़ पाती।


 आज भारत में करोड़ों महिलायें ऐसी हैं,  जिनके जीवन में नित्य ही हिंसा की घटनाएं होती रहती है। ससुराल में परिवारजन नयी बहुओं से कहते हैं कि दहेज नहीं आया तो उन्हें जला देगें, मार देगें। पता नहीं, यह दहेज प्रथा कब खत्म होगी। इसके कारण कितनी मासूम जानें जा चुकी हैं। दहेज प्रथा खत्म हो पाना इसलिए कठिन है क्योंकि लोग बहुत स्वार्थी होते हैं । वे धन के लिए कुछ भी कर सकते हैं । इस संबंध में यह कविता अत्यंत प्रासंगिक है:


बेटे हँसते है, बेटियाँ रोती हैं


बेटे मिलते है, बेटियाँ खोती हैं।


क्या बेटियाँ इंसान नहीं


क्या बेटियों को जीने का अधिकार नहीं?


बेटियाँ दुर्गा हैं, सरस्वती हैं


बेटियों को पढ़ाओ।।


क्या बेटियाँ इंसान नहीं


क्या उनका कोई मान नहीं?