||ई-सिगरेट पर हो प्रतिबंध, 1000चिकित्सको ने लिखा प्रधानमंत्री को पत्र||
भारत के 24 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों के 1000 से अधिक चिकित्सा ने इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) पर प्रतिबं बगाने के लिए प्रधानमं श्री मोदी को पत्र लिखा है। इसमें प्रमुख रूप से ईएनडीएस ई-सिगरेट, ई-हुक्का आदि को शामिल करते हुए प्रतिबधित करने की गुहार लगाई गयी है।
प्रधानमं को लिखे पत्र में डॉक्टरों ने चिंता जाहीर करते हुए कहा कि युवाओं के बीच ईएनडीएस महामारी बनकर फैल गई है। हालात बहुत ही खतरनाक हो जाये इससे पहले इस पर रोक लगाई जानी चाहिए। पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले 1061 डॉक्टरो की चिन्ता इस बात को लेकर को भी है कि सार्वजनिक स्वास्थ्य मामले पर, व्यापार और उद्योग सं गठझसिगरेट के प्रचार-प्रसार को बढ़ावा दे रहे हैं। उन्होंने कि ई-सिगरेट को ई-सिग, वेप्स, ई-हक्का, वेप पेन की श्रेणी में आते है जो मनुष्य के लिए सर्वा धिखतरनाक है। विशेषकर मनुष्य के दिमाग और दिल पर इसका गहरा प्रभाव पड़ता है। चिकित्सको के अनुसार जो इलेक्ट्रॉनिक निकोटीन डिलीवरी सिस्टम (ईएनडीएस) हैं वे कुछ ई-सिगरेट नियमित सिगरेट, सिगार या पाइप जैसे दिखते हैं। कुछ यूएसबी फ्लैश ड्राइव, पेन और अन्य रोजमर्रा की वस्तुओं की तरह दिखते हैं। क्योंकि इस तरह से ये युवाओं को बेहद आकर्षित करने वाले होते है.
बता दें कि लगभग डॉक्टर के 30 सं गठन्दोंवारा भी आईटी मं त्रालको लिखे पत्र में चिंता व्यक्त की है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का मामला है इसलिए देश के भविष्य कहे जाने वाले युवाओं को इस खतरे नहीं डालना चाहिए। क्योंकि ई-सिगरेट के कारण व्यावसायिक हितों की रक्षा हो रही है। इन सं गठको कहना है कि इंटरनेट पर ईएनडीएस के प्रचार पर प्रतिबं यहीं लगना चाहिए.
उल्लेखनीय हो कि 28 अगस्त, 2018 को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मं त्रालपमओएचएफडब्ल्यू) ने सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों को ईएनडीएस पर प्रतिबं बगाने के लिए एक परामर्शिका जारी की थी। किन्तु अब तक इस फरमान का कोई असर सामने नहीं आया है। इधर ईएनडीएस पर 251 शोध अध्ययनों का भी विश्लेषण सामने आया है। इस अध्ययन का निष्कर्ष कहता है कि ईएनडीएस किसी भी अन्य तं बाऊत्पाद जितना ही खराब है जो निश्चित रूप से असुरक्षित भी है।
टाटा मेमोरियल अस्पताल के उप निदेशक एंव हैड नेक कैंसर सर्जन डॉ. पं कचतुर्वेदी ने कहना है कि निकोटीन को जहर माना जाए। यह दुखःद है कि ईएनडीएस लॉबी ने डॉक्टरों के एक समूह को लामबं द किया है, जो ईएनडीएस उद्योग के अनुरूप भ्रामक, विकृत जानकारी साझा कर रहे हैं। वे भारत सरकार की सराहना करते हए कहते हैं कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य सेवा के अपने लक्ष्य के अनुरूप, निकोटीन वितरण उपकरणों (ईएनडीएस) के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया गया है। भारत सरकार को अब यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह कमजोर न हो । डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि ई सिगरेट को सुरक्षित किसी भी पदार्थ की तरह से प्रचारित नही किया जाना चाहिए। एकमात्र तरीका पूरी तरह से धूम्रपान छोड़ना है और किसी भी तं बाउत्पाद का उपयोग शुरू नहीं करना है। तं बाकंपनियां चाहती हैं कि नई पीढ़ी निकोटीन और धूम्रपान के प्रति आकर्षित हो जो सचमुच में आज की युवा पीढी इसकी लत की शिकार बन रही है।
वायँस आफ टोबेको विक्टिम के इस अभियान से जुड़े लोगो का कहना है कि कुछ निहित स्वार्थ वाले डाक्टर अत्यधिक सम्मानित अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य सं की रिपोर्ट को गलत सं दमें ले रहे हैंउदाहरण के लिए, वे कहते हैं कि अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन (एएचए) ने कहा है कि ई-सिगरेट नुकसान को कम करने का एक अवसर है, जबकि एएचए ने स्पष्ट रूप से कहा है कि ई-सिगरेट में खतरनाक अत्यधिक नशे की लत वाली रसायन के साथ ही विषाक्त पदार्थ, धातु और सं षक भी हैं। केवल उपयोगकर्ता ही नहीं बल्कि आसपास के गै -उपयोगकर्ता भी वेपिंग के माध्यम से इन हानिकारक रसायनों के सं पो आ सकते हैं।
ज्ञात हो कि अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन (एफडीए) की एक रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2017 से 2018 तक एक वर्ष में ई-सिगरेट का उपयोग हाई स्कूल के छात्रों में 78 प्रतिशत और मध्य विद्यालय के छात्रों में 48 प्रतिशत तक बढ़ा है। एफडीए की रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका में किशोरों में पारंपरिक धूम्रपान का प्रचलन कम हो रहा है। यह 15.8 प्रतिशत से गिरकर 7.6 प्रतिशत हो गया है। हालां ईि-सिगरेट के उपयोग के रूप में किशोरों में ईएनडीएस की लोकप्रियता ने पारंपरिक सिगरेट में कमी को पीछे छोड़ दिया है। जो इस अवधि में 1.5 प्रतिशत से बढ़कर 11.7 प्रतिशत हो गया। सीडीसी, यूएस सर्जन जनरल की रिपोर्ट 2016, विश्व स्वास्थ्य सं गठडब्ल्यूएचओ) के अध्ययन और रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि तं बाका उपयोग नहीं करने वाले युवाओं, वयस्कों, गर्भवती महिलाओं या वयस्कों के लिए ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है.
वायस ऑफ टोबेको विक्टिमस के पैट्रन (वीओटीवी) व स्वामी राम हिमालयन यूनिवर्सिटी के डा.सनील सैनी ने कहा कि आज शोध से साबित हआ है कि ईएनडीएस सुरक्षित नहीं है या धूम्रपान की समाप्ति के विकल्प नहीं हैं। निकोटीन पर निर्भरता स्वास्थ्य के लिए एक प्रमुख खतरा है। वे डॉक्टर के रूप में चिकित्सकीय पर्यवेक्षण के बिना किसी भी निकोटीन उत्पाद के उपयोग की सिफारिश नहीं करूंगा। उन्होंने कहा कि यह एक अत्यधिक नशे की लत वाली रसायन है। इन उत्पादों को भारत में प्रतिबं धित किया जाना चाहिए। द अमेरिकन कैंसर सोसाइटी (एसीएस ) और द नेशनल एकेडमी ऑफ साइंसेज इंजीनियरिंग मेडिसिन (एनएएसईएम) का मानना है कि ई-सिगरेट युवाओं में बढते ई-सिगरेट के इस्तेमाल से युवाओं की प्रगति रूक सी गई है। वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स (वीओटीवी) की डायरेक्टर आशिमा सरीन ने अमेरिकन कैंसर सोसायटी, अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन जैसे प्रतिष्ठित सं गठन्के हवाले से कहा कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे (2017) के अनुसार, भारत में 100 मिलियन लोग धूम्रपान करते हैं, जो ईएनडीएस के निर्मा ताऔ लिए एक बड़ा बाजार है। जबकि ईएनडीएस लॉबी भारत में प्रवेश पाने की कोशिश में बहुत धन खर्च कर रही है.