एक यात्रा जो राजनीतिक फलक पर चर्चाओं में रही

||एक यात्रा जो राजनीतिक फलक पर चर्चाओं में रही||



गुजरात से लौटकर 
1-गुजरातीयों की प्रार्थना थी कि मोदी ही बने प्रधानमंत्री



दिनांक 30 अप्रैल और 01मई2014 को अहमदाबाद में रहने का मौका मिला। अहमदाबाद से वापस आते समय और देहरादून से जाते समय मेरे साथ रेल यात्रा के दौरान गुजराती लोग ही रहे। इनके साथ मोदी जी के बारे में चर्चा करने का खूब मौका मिला। परन्तु मेरे सवालो का जबाव इन साथियों के पास या ता नहीं था या इन लोगो ने जबाव देना इस समय उचित नही समझा। जो भी हो ये लोग अपने-अपने आराध्य देवो से प्रार्थना करने में लगे थे कि इस समय मोदी जी देश का प्रधानमंत्री बन जाये। कहते हैं कि मोदी के कार्यकाल में गुजरात में सरकारी व गैर सरकारी नौकरियों की बहार सी आई है और इन नौकरियों के लिए शिक्षित बेरोजगारो को दफ्तरो के ठोकरें नहीं खानी पड़ती है। आॅनलाईन साक्षात्कार की सम्पूर्ण प्रक्रिया होती है। इसलिए गुजरात राज्य में नौकरी पाने में पारदर्शीता हो गयी है। यही वजह है कि गुजरात में युवा वर्ग मोदी के साथ है।


2-विकास के सवालो पर कोई जबाव नहीं
उन लोगो ने कहा कि वह प्रधानमंत्री बनते ही बहार से आये हुए घुसपैठीयों (इनका तात्पर्य बंगलादेशियों और पाकिस्तानियो से है) को बहार खदेड़ देगे। मैने कहा कि क्या यह सब संभव है? तो वे चुपी साधे बैठ गये। मैने कहा कि क्या इस देश में मोदी जी जातीवाद और धर्म के नाम पर हो रहे दंगो पर विराम लगा देंगे? तो वे जबाव देने में असमर्थ हो गये। मैने कहा कि क्या मोदी जी जनप्रतिनिधियों की जबाबदेही को अनिवार्य कर देंगे? क्या मोदी जी को अन्य राजनितिक पार्टियों के लोग स्वीकार करते हैं? क्या गरीबो को मिलने वाले इन्द्राआवास और अटलआवास आदि कई नामो से प्रचलित मकानो के लिए पूरा बजट दिलवा सकते हैं या वही 38हजार से लेकर 72हजार की राशी पर ढिंढोरा पीटवाते रहेगे? क्या सरकारी पगार लेने वालो को मोदी जी पूछ सकते हैं कि वे विकासीय योजनाओ से 40प्रतिशत कमीशन क्यों लेते हैं? ऐसे कई अनसुलझे सवालो का जबाव मेरे साथ बैठे रेल डिब्बे में उन गुजराती लोगो के पास नहीं था।


वे सिर्फ यही कह रहे थे कि मोदी जी एक अच्छे राष्ट्रवादी हैं। गुजरात में उन्होने बहुत विकास किया है। मैने उनसे गुजरात के दंगो के बारे में जानना चाहा तो उन्होने कहा कि गुजरात में हमेशा हिन्दू-मुस्लिम की लडाई आम बात हो गयी थी। इस लड़ाई में हमेशा हिन्दू लोग ही मार खाते थे। जब गोधरा काण्ड हुआ तो तत्काल मोदी जी ने कोई हस्पक्षेप नहीं किया और दोनो जातियों के समुदाय को खूब लड़ने दिया। जिसका हस्र यह हुआ कि तब से लेकर अब तक हिन्दू-मुस्लिम समुदाय में कोई दंगा नहीं होता है। बजाय कि अब तो दोनो समुदायों के बीच अमन-चैन व प्रेम बढ गया है।


3-जबरन हुई मोदी जी की शादी
इस बीच यानि अहमदाबाद से वापस आते वक्त इसी रेल में मेरी मुलाकात श्री आर. डी. कोठारी से हुई जो कि उपनिदेशक सूचना एवं लोकसम्पर्क विभाग गुजरात से सेवानिवृत थे। यह शख्स मोदी जी के सबसे छोटे भाई पंकज भाई मोदी का दोस्त है। वे मोदी परिवार को अच्छी तरह से जानते है और मोदी जी का अनन्य समर्थक भी हैं। मैने उनसे जानना चाहा कि क्या वजह हैं कि मोदी जी अपनी पत्नी का नाम तक नहीं लेते? उनका सीधा जबाव था कि मोदी जी की शादी मोदी जी के परिवार वालो ने जबरन करवायी जबकि मोदी जी शादी ही नहीं करना चाहते थे। तब शायद मोदी जी किशोर अवस्था में होगे। बस शादी क्या मोदी जी ने वही रश्मे पूरी की जो शादी के दिन मण्डप पर होती है। वे दावा करके कह रहे थे कि उनके आपस में कोई विवाहत्तेर संबध नहीं रहे हैं। क्योंकि जिस जशोदाबेन से मोदीजी की शादी हुई है वह शादी के लगभग एक माह बाद अपने माईके आ गयी थी। जशोदाबेन तब से अपने माईके ही रह रही है और मोदी जी के ही नाम पर रह रही है। वह एक श्क्षििका के पद से अभी कुछ वर्ष पहले सेवानिवृत हुई है। मैने कहा कि क्या इस मामले में मोदी जी की गलती है या जशोदाबेन की जो मोदी जी की पत्नी है? उनका जबाव था कि इस शादी करवाने में मोदी जी के परिवार वालो की गलती है।


इस मामले पर बहुत बहस हुयी मुझे बहस को इसलिए रोकना पड़ा कि वह एक बुजुर्ग व्यक्ति हैं। मुझे तो उनसे सिर्फ यही जानना था कि मोदी जी की शादी हुई है तो कैसी और आज मोदीजी दम्पती के हालात कैसे है। यह मसला भी कभी भी उठ सकता है। लेकिन इस दौरान की यात्रा का यह अनुभव बहुत ही अच्छा भी नहीं कह सकते है जाते समय हमारी टेªन के निचे एक आदमी राजस्थान के ब्यावार नामक स्थान पर आ गया। आते वक्त राजस्थान के मारवाड़ नामक स्थान पर एक 18वर्षीय लड़की ने ट्रेन के निचे घुसकर जबरन अपनी जान गवांई है। और वहीं पर एक ट्रेन के लगभग 10डिब्बे पटरी से उतर रखे थे जिसमें बताया गया कि इस हादसे में 24 लोग घायल हुए हैं।


4-खाने के बहुत शौकिन हैं गुजराती
गुजरात के लोग बड़े ही मिलनसार और सहयोगी के साथ-साथ वे सादगीभरी होते हैं। इस दौरान का सफर जहां दुर्घटनाओं को देखने से दुखदायी रहा वहीं गुजरातीयों के साथ मौज में भी कटा। वे खाने के बड़े शौकीन लोग थे। गुजरात के भावनगर के व्यवसायी दीपक सेठ का परिवार इन दिनो ऋषिकेश में एक सप्ताह के लिए आया है। रास्तेभर इनके साथ ऐसा महसूस हुआ कि मैं अपने परिवार के साथ ही यात्रा कर रहा हूं। वे नाश्ते में मुरमुरे, चिप्स, खील, बतासे, पापड़ आदि को खूब परोसते गये। कभी-कभी इन सभी खाद्य पदार्थो का मिश्रण करके भेलपुरी बनाते और बड़े चाव से परोसते भी और खाते भी। इन्होने बाजरे की पकोड़ी भी मुझे खिलाई जो मैने पहले बार चखा है। बहुत ही स्वादिष्ट यह पकोड़ी थी।


इस अन्तराल में वे बार-बार मुझे गुजरात आने का आमन्त्रण भी देते रहे। मैने कहा कि वे जब एक सप्ताह तक ऋषिकेश में ठहरेंगे तो एक दिन वे मसूरी अवश्य घूमने आयें। वहीं पास में कैम्पटी फॅाल भी है। मैने उन्हे सलाह दी कि देहरादून में भी सहस्रधारा, बुद्धा टेम्पल, एफआरआई, आइएमए, लच्छीवाला, ओएनजीसी म्यूजियम जैसे आदि पर्यटन स्थल भी हैं तो उन्हे जरूर देखकर जायें। उन्हे पहाड़, नदी, पेड़-पौधे, तथा हरियाली बहुत पंसन्द है। साथ में आये दीपक सेठ के सास-ससुर और दो बच्चे विश्वेस और अंजली भी घूमने का खूब मजा ले रहे थे जैसा कि उनके चेहरे से बयां हो रहा था।