मण्डकेश्वर नौला

||मण्डकेश्वर नौला||


मण्डकेश्वर को स्थानीय भाषा में मड़ैक कहते है। यह स्थान गौल गांव से एक किमी ऊंची पहाडी व घनाघोर देवदार के जंगल में है। यहां अद्भुत दृश्य है। बताया जाता है कि इस मन्दिर में अन्दर प्रवेश करते सात दरवाजेे है तत्पश्चात अन्दर एक पत्थरों द्वारा निर्मित विशाल पानी का कुण्ड है परन्तु स्थानीय लोंगों ने इसे कभी नही देखा।


इस मन्दिर की पूजा करने वाला पुजारी शिव प्रसाद गौड़ वर्ष में एक बार मंगसीर माह में इसकी पूजा करता है वे ही अन्दर जाता है। किन्तु वह भी अन्दर की बात को प्रचारित करने में डरा हुआ रहता है। इस मन्दिर का परिसर लगभग 15 नाली के आस-पास है और इसकी पूरी चकबन्दी कर रखी है। इस चकबन्दी के भीतर घास, झाड़ी, कण्डाली का वृहद जंगल बना है। लोग बताते है कि जो भी इस परिसर में प्रवेश करना चाहेगा वह वापस नही आ पयेगा सिर्फ पुजारी के। चकबन्दी की बाहरी दिवाल से लोग देवता के दर्शन करने जाते हैं। यहां से सिर्फ मन्दिर की छत ही दिखाई देती है। मन्दिर दर्शन के पश्चात लोग गौल गांव के समीप निकलने वाले धारे से पानी आचमन करते है।


स्थानीय परम्परानुसार शुभकार्य के शुभारम्भ में मडै़क पन्यारा से पानी को ले आते है। जिसे लोग पवित्र जल के रूप में ग्रहण करते है। किन्तु मन्दिर के 200 मी0 नीचे से एक जल धारा निकलती है हालांकि जो बाद में विखर जाती है। इसके अलावा मन्दिर से लगभग 800 मी0 दूर निचले स्थान अर्थात गौल गांव के समीप दो धाराऐं निकलती है जो नकासीदार पत्थरों के मुखनुमा आकृति से बाहर निकलती है।


जानने पर लोगों ने कहा यह नौला भी मडै़क देवता की देन है यह भी अनादिकाल से है लोग इस स्थान को पूजनीय मानते है।