जी हां! यहीं पर है स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय

||जी हां! यहीं पर है स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय||


सभी के घरों में शौचालय हो, सार्वजनिक स्थानो पर शौचालय की माकूल सुविधा हो यह कल्पना साकार करने के लिए स्वच्छ भारत अभियान जैसे कार्यक्रम देशभर में चलाये जा रहे हैं। कहीं यह कार्यक्रम सफल भी हो रहा है तो कहीं विवादित भी। खैर देश का उत्तरकाशी जिला ऐसा हैं जहां ग्राम देवता ने गांव में शौचालय का होना अपवित्र बताया है। लोगो ने बने हुए शौचालय तक तोड़ डाले। अब यही उत्तकाशी जिला है जहां पर इंटेलिजेंट पब्लिक टॉयलेट भी बनकर तैयार हो चुका है। है न, अजीबोगरीब कहानी।


उल्लेखनीय हो कि सीमान्त जनपद उत्तरकाशी के बड़कोट में उत्तर भारत का पहला स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय (इंटेलिजेंट पब्लिक टॉयलेट) बनकर तैयार हो गया है। स्वयं के सफाई तंत्र वाले इस स्मार्ट शौचालय का निर्माण नगर पालिका परिषद बड़कोट की ओर से यमुनोत्री हाइवे के निकट कराया गया है। नगर पालिका परिषद बड़कोट का कहना है कि वे इस शौचालय को जल्द ही लोगो को इस्तेमाल हेतु सौंप देंगे।


बता दें कि देशभर में गांव हो या शहर सभी जगहो पर शौचालय के प्रति लोग जागरूक हुए हैं। मगर शौचालय हर परिवार के पंहुच में हो ऐसा अभी संभव नहीं हो पाया है। कह सकते हैं कि स्वच्छता के प्रति जन से लेकर तंत्र तक शौचालय होना आवश्यक है का जगारण जरूर हुआ है। घर-घर में शौचालय निर्माण अभियान के साथ साथ सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण को लेकर भी जागरुकता बढ़ी है। इसी कड़ी में उत्तरकाशी जिले की नगर पालिका बड़कोट ने यमुनोत्री हाइवे पर एक स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय का निर्माण किया है। हालांकि यह स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय टाटा नेस्ट कंपनी के सहयोग से बनाया गया। किन्तु इस शौचालय का उपयोग सार्वजनिक रूप् से किया जायेगा।


ज्ञात हो कि स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय बावत नगर पालिका बड़कोट के प्रशासक रहे और उपजिलाधिकारी बड़कोट अनुराग आर्य ने स्मार्ट सार्वजनिक शौचालय का निर्माण करने वाली टाटा नेस्ट कंपनी से ऑनलाइन संपर्क किया था। इसके बाद टाटा नेस्ट कंपनी की ओर से केरल से शौचालय बनाने के लिए एक टीम बड़कोट भेजी गई। इस टीम ने 20 दिनों के अंतराल में यमुनोत्री हाइवे पर महिला-पुरुष के लिए अलग-अलग दो शौचालय निर्मित करके तैयार कर दिए। उपजिलाधिकारी बड़कोट अनुराग आर्य ने बताया कि शौचालय का उपयोग करने के लिए प्रति यात्री पांच रुपये का भुगतान करना होगा। भुगतान के लिए शौचालय के बाहर एक बॉक्स के अलावा स्वैप मशीन भी लगाई गई है। बॉक्स में सीधे रकम डाली जा सकती है, जबकि स्वैप मशीन पर एटीएम के जरिये भुगतान करना होगा। इसी के बाद शौचालय का दरवाजा खुलेगा। भीतर से मैन्युअल लॉकिंग होने के कारण शौचालय में किसी व्यक्ति के फंसने का डर भी नहीं है।


शौचालय को इस तरह से डिजाइन किया गया है कि इसका उपयोग करने के बाद वहां फ्लश की सफाई भी अपने आप हो जाएगी। इससे शौचालय हमेशा साफ-सुथरा रहेगा। इस तरह के शौचालयों का निर्माण दक्षिण भारत के कई शहरों, राजमार्ग, मॉल, हवाई अड्डा, रेलवे स्टेशन, सामान्य अस्पताल और स्टेडियमों में हो चुका है। जबकि, उत्तर भारत का यह पहला स्मार्ट शौचालय है। इसके निर्माण में 17 लाख रुपये का खर्चा आया है। 


यात्रा सीजन में बेहद उपयोगी 
बड़कोट में जिस स्थान पर यह शौचालय बनाया गया है, वहां यात्राकाल में यात्रियों का पंजीकरण होने के कारण भारी भीड़ रहती है। ऐसे में यह शौचालय चारधाम यात्रियों के लिए बेहद उपयोगी साबित होगा।  ज्ञात हो कि इस वर्ष 3,94,445 श्रद्धालुओं ने यमुनोत्री तथा 4,47,840 श्रद्धालुओं ने गंगोत्री धाम के दर्शन किये। साथ ही इस वर्ष 13,070 विदेशी यात्रियों ने चारधाम के दर्शन किये। कुलमिलाकर औसतन प्रतिदिन 2170 यात्री यमनोत्री के दर्शन करने आते है। जिनका पहला पड़ाव बड़कोट नगर ही है। इसके साथ ही अन्य राहगीरों और स्थानीय पर्यटकों को जोड़ देंगे तो यह आंकड़ा दुगुना हो सकता है। ऐसे में इस नगर में सार्वजनिक शौचालयों का होना आवश्यक है।