लोक सहभागिता में रंगमंच की महत्वपूर्ण भूमिका है - कुसुम पंत

लोक सहभागिता में रंगमंच की महत्वपूर्ण भूमिका है - कुसुम पंत




विज्ञान विषय में स्नातक और समाज कार्य मे मास्टर डिग्री कुसुम पंत ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। रंगमंच को अपना कैरियर बनाया और इसी धुन में रम गयी। 15 वर्षो से लगातार नुक्कड़ शैली को सड़को पर उतारकर सरकारी एवं गैर सरकारी कार्यक्रमो की थीम को नुक्कड़-नाटको का रूप देकर जन-जन तक सूचना प्रचार का कार्य करती आयी। इसलिए कुसुम पंत ने अपने पति के साथ मिलकर ''संभव नाट्य मंच'' का गठन किया।


अब तक कुसुम ने लग्भग 5000 नुक्कड़ नाटको का मंचन राज्य एवं राज्य से बाहर तक किया है। वह चाहे एड्स जैसी बिमारी हो या कन्याभ्रूण हत्या जैसे जघन्य अपराध हो या सरकारी योजनाओं को जन-जन तक पंहुचाने का काम हो ऐसे जन चेतना के मुद्दो पर लगातार नुक्कड़-नाटक करती आई है। कुसुम ने आपदा प्रबन्धन पर बनी फिल्म ''हिमालय की धाद'' मे मुख्य किरदार निभाया है। बालीवुड की फिल्म ''पम्पापुर की रामलीला'' में विश्व ख्याती प्राप्त अदाकरा सीमा विश्वास के साथ भी काम किया। महादेवी वर्मा की कालजय रचना ''लछमा'' को नाट्य रूपान्तर करके मुख्य भूमिका में अभिनय किया। वे लगातार जन चेतना के कार्य को रंगमंच के माध्यम से लोगो तक पंहुचाने का काम बखूबी कर रही है।


वे मानती है कि लोगो तक सूचना का अभाव रहता है इसलिए रंगमंच जैसी विद्या ही लोगो को सरलता से जानकारी पंहुचा सकती है। वे इस कार्य को इसीलिए महत्वपूर्ण मानती है कि लोगो तक जानकारी पंहुच जाये तो विकास के रास्ते खुद तय होंगे।