मन्दाकिनी

मन्दाकिनी


मन्दाकिनी नदी, रुद्रप्रयाग जनपद की प्रमुख जल प्रवाहक है। सर्वोच्च तीर्थ केदारनाथ से आने के कारण यह नदी रुद्रप्रयाग जनपद की महागंगा कहलाने की अधिकारी है। इसका उद्गम परगना नागपुर (अब ऊखीमठ), पट्टी मल्ली कालीफाट में केदार शिखर के दक्षिण-पूर्वी ढाल से होता है। प्रारम्भ में यह दक्षिण दिशा को प्रवाहित होती है।


सोनप्रयाग में मन्दाकिनी में सोन जलधारा मिलती है, जो वासुकीताल से प्रवाहित होती है। मन्दाकिनी पुन: दक्षिण दिशा में बढ़ने पर इसमें बायें तट पर क्यूंगाड़ व संगाड़ नदी मिलती है। क्यूंगाड़ में क्षेत्रस्वामी व रांसी के पनढाल का जल आता है। दायें तट पर पावी, गाविनी जलधारायें मिलती हैं। इसके बाद त्यूँ, रौत एवं दारमा नदी मिलती हैं। दारमागाड़, दायें तट पर वास्ती में मिलती है। परकंडी क्षेत्र से आने वाली एक जलधारा का नाम आकाश गंगा है। तल्ला नागपुर पट्टी क्षेत्र में आने के बाद इसमें सुरगाड़ बायें तट पर और लस्तरगाड़ दायें तट पर मिलती है। उपरोक्त जलधाराओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण काली गंगा और उसके बाद लस्तर है।


मन्दाकिनी की ऊपरी घाटी को प्राचीनकाल से ही कालीफाट नाम दिया गया है। फाट का स्थानीय अर्थ घाट (चौड़ा स्थल) होता है। इस नाम की महत्ता ने एक समय सारे रुद्रप्रयाग जनपद की घाटी क्षेत्र को कालीफाट नाम दे दिया था, जिसका अभिप्राय अच्छी वर्षा और अधिक उपजाऊ वाले समतल क्षेत्र से हैमन्दाकिनी घाटी का नागपुर परगना क्षेत्र अलकनन्दा नदी के तट तक फैला है। इसमें रुद्रप्रयाग, अगस्त्यमुनि, मोहनखाल, नगरासू जैसे क्षेत्र हैं।


लस्तर नदी का मूल त्रियुगीनारायण का उत्तरी पश्चिमी क्षेत्र है। टिहरी जनपद की लस्या पट्टी से होते हुए यह नदी हिमलौ नदी को अपने में समाहित करती है। हिमलौ या ह्योलो (हिम समान जलधारा) पंवाली पर्वत के विरपाल शाखा के उत्तरी-पूर्वी ढलान से निकलकर भरदार पट्टी से होते हुए आती है। इस नदी का जल तिलवाड़ा में मन्दाकिनी के जल को दोगुना कर देता है। रुद्रप्रयाग तक इस नदी का प्रवाह मार्ग लगभग 72 किमी० है। इस नदी का जल भी अलकनन्दा की तरह महीन रेतकणों से युक्त रहता है। सोनधारा व मन्दाकिनी के संगम पर सोनप्रयाग, चन्द्रधारा व मन्दाकिनी के संगम पर चन्द्रप्रयाग (चन्द्रापुरी) तिलवाड़ा से कुछ ऊपर सूर्यप्रयाग जैसे प्रसिद्ध तीर्थ हैं। इस घाटी में चोराबाड़ी ताल, वासुकीताल, केदारनाथ, गौरीकुण्ड, त्रियुगीनारायण, कालीमठ, नारायणकोटि, गुप्तकाशी, ऊखीमठ, मदमहेश्वर, तुंगनाथ-चोपता, देवरियाताल, अगस्त्यमुनि और रुद्रप्रयाग, कोटेश्वर आदि उल्लेखनीय स्थल हैं।


 


स्रोत - उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में मानव संसाधन विकास मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल निशंक की किताब ''विश्व धरोहर गंगा''