पहचान लो
मत मानो देवी मुझको,
बस जीने का अधिकार दो।
बेटी हूँ मैं तेरी,
बस इतना मुझको पहचान लो।।
तेरा ही तो अंश हूँ मैं,
फिर मुझसे क्यो दूरी है।
इतना तो बतला दे माँ,
तेरी क्या मजबूरी है।।
अभी.अभी तो सांसे ली हैं,
मुझको जीवन दान दो।
बेटी हूँ मैं तेरी,
बस इतना मुझको पहचान लो।।
रिश्तों की पहचान है मुझसे,
प्रकृति का हूँ मैं निर्माण।
कुछ भी पूर्ण नहीं है मुझ बिन,
घर आंगन सब हैं बियावान।।
बेटे बेटी का फर्क मिटा दो,
मुझको भी वही मान दो।
तेरे दिल का ही टुकडा हूँ
बस इतना पहचान लो।।
मत मानो देवी मुझको,
बस जीने का अधिकार दो।
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