पंचायतों में जन-भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अभियान

पंचायतों में जन-भागीदारी बढ़ाने के लिए एक अभियान


 


 इस वर्ष शैक्षणिक ग्रामोन्नति समिति गणाई-गंगोली, जिला पिथौरागढ़, के तत्वाधान में महिला संगठनों एवं पंचायतों को आपस में जोड़ने एवं ग्रामोन्नमुख कार्यक्रम बना सकने की योग्यता बढ़ाने के उद्देश्य से एक अभियान की शुरूआत की गयी। इस अभियान के अन्तर्गत क्षेत्र में निरंतर गोष्ठियों एवं सम्मेलनों का आयोजन किया जा रहा है। इसी क्रम में अक्टूबर-नवंबर 2014 को क्षेत्र के अनेक ज गाँवों में अनौपचारिक बातचीत एवं गोष्ठियों का आयोजन हुआ।


टुपरौली गाँव में आयोजित विमर्शशाला में ज्येष्ठ उप प्रमुख गंगोलीहाट, श्रीमती मीना गंगोला, एवं महिला ग्राम प्रधान तथा पंच उपस्थित थेटुपरौली, मवानी, ग्वाड़ी, फडियाली, रूंगड़ी, भन्याणी आदि गाँवों से संगठनों की चालीस सदस्याओं ने विमर्शशाला में भाग लिया। साथ ही, शैक्षणिक ग्रामोन्नति समिति और उत्तराखण्ड महिला परिषद् के प्रतिनिधि भी सम्मिलित हुए । विमर्शशाला में निम्नांकित तीन मुद्दों पर चर्चा हुई:-


1-पंचायती राज का ढाँचा एवं स्वरूप


2-पंचायतों द्वारा रखे जा रहे प्रस्तावों का प्रारूप एवं स्त्री केन्द्रित विकास के       संदर्भ में उन की विवेचना


3-संगठनों और पंचायती राज प्रतिनिधियों का तालमेल बढ़ाने के लिए   इस्तेमाल हो सकने वाले तरीके


विमर्शशाला में पंचैत (गाँव की परंपरागत पंचायतों का स्थानीय नाम) और पंचायती राज व्यवस्था के अंतर की विवेचना की गयी। संविधान के 73वें संशोधन द्वारा नागरिकों को अपना शासन लागू करने की मान्यता को पंचायती राज कानून के संदर्भ में कहा और समझा गया। इस विषय पर भी चर्चा हुई कि,  उत्तराखण्ड में उत्तर प्रदेश, 22 अप्रैल 1994 से लागू हुआ विधेयक जारी हैपंचायतों के तीनों स्तरों, यथा ग्राम पंचायत, क्षेत्र पंचायत एवं जिला पंचायतों, के गठन और प्रतिनिधियों के चुनाव की प्रक्रिया पर चर्चा हुई।


महिला संगठनों की सदस्याओं ने पूर्व–पंचायतों द्वारा क्षेत्र में किये गये कार्यों पर जो समझ विकसित की है उनमें खडंजा एवं रास्ते का निर्माण, मकान, पेयजल, पेंशन दिलाना, रोजगार कार्यक्रमों से मजदूरी सुनिश्चित करना आदि कार्य शामिल हैं इस वर्ष, महिला संगठनों द्वारा ग्राम पंचायतों की खुली बैठकों में भाग लेने के लिए विशेष यत्न किये जा रहे हैं। संगठनों से जुड़ी हुई पंचायत प्रतिनिधियों ने ग्राम विकास के लिए निम्नांकित प्रस्ताव सरकार को दिये हैं:


1-पेयजल योजना


2-मनरेगा से सौ दिन की मजदूरी सुनिश्चित किया जाना


3-शौचालय निर्माण


4-एकल (विधवा, परित्यक्ता आदि) एवं वृद्ध स्त्रियों को पेंशन की सुविधा


5-गणाई-गंगोली क्षेत्र में चारा विकास के प्रयत्न


6-जंगली जानवरों (सुअर, बंदर आदि) से खेतों एवं फसलों की सुरक्षा


7-पशुपालन, गौशाला का निर्माण एवं रखरखाव


8-आवास की व्यवस्था


9-पंचायत भवन, बारात घर, जन-मिलन केन्द्रों का निर्माण


महिलाओं का मानना है कि उपरोक्त समस्याओं पर कार्य किये जाने से गाँवों की दशा सुधरेगी प्रस्तावित योजनाओं को लागू करने के लिए जो व्यवस्था होगी उस पर काम करने के लिए संगठन प्रतिबद्ध हैं किंतु अभी महिलाओं की यह समझ नहीं बनी है कि वे काम करने के लिए अपनी तरफ से कोई व्यवस्था बना सकें। पंचायत प्रतिनिधियों का कहना था कि वे प्रस्तावों को खुली बैठक में “रख कर आई हैं', आगे इस पर कैसे काम होगा, उन्हें नहीं मालुम। इस संदर्भ में अल्मोड़ा से विमर्शशाला में शिरकत कर रही रमा जोशी ने कहा कि, “महिलाओं का स्वावलंबन और पोषण परिवार की समृद्धि का प्रथम कदम होता है। महिलायें स्वयं अपनी योग्यता बढ़ाने के बारे में सोचें और संगठन की तरफ से पहल करें। साथ ही, यह भी तय हुआ कि अल्मोड़ा में आयोजित कार्यशालाओं में इस मुद्दे पर मजबूती से काम करने के लिए प्रशिक्षण होगा। 


विमर्शशाला में उपस्थित सभी गाँवों की स्त्रियाँ वन्य-प्राणियों द्वारा खेतों एवं फसलों पर लगातार किये जा रहे अतिक्रमण से परेशान हैं। इस चर्चा में रूंगड़ी गाँव की अध्यक्षा रेखा  डसीला, फडियाली गाँव की अध्यक्षा अनीता देवी और भन्याणी गाँव की अध्यक्षा विमला देवी सहित सभी महिलाओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।


ज्येष्ठ ब्लॉक प्रमुख, श्रीमती मीना गंगोला, ने चयनित महिला प्रतिनिधियों से पंचायतों में आने वाली समस्याओं पर विचार करने का अनुरोध कियाइस संदर्भ में संगठनों की सदस्याओं अनेक समस्याएं बताईं:


1-राशन कार्ड की व्यवस्था संबंधी समस्याएं, जैसे-गरीबी रेखा से नीचे और गरीबी रेखा से ऊपर, अन्त्योदय-कार्ड आदि परिवार की वास्तविक स्थिति के आधार पर जारी नहीं हो रहे आवास एवं शौचालय निर्माण की प्रक्रिया सरल एवं सुगम नहीं है। खासकर एकल महिलाओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।


2- आवास एवं शौचालय निर्माण की प्रक्रिया सरल एवं सुगम नहीं है। खासकर एकल महिलाओं को अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।


3-कृषि और दुग्ध-उत्पादन बढ़ाने के उपक्रम विकसित करने के लिए पंचायतों में विशेष कार्य करने की जरूरत है। सरकारी योजनाओं में इस विषय पर समग्र सोच का नितांत अभाव है ।


4-महिलाओं एवं बच्चों के इलाज में ग्रामवासियों को विशेष सुविधाएं मिलने की दिशा में कार्य किया जाना चाहिए। इस प्रकार के यत्न अत्यंत जरूरी हैं क्योकि गाँवों में स्वास्थ्य सुविधाएं नगण्य हैं ।


5-विकास संबंधी सरकारी योजनाओं की जानकारी गाँवों तक पहुँचती ही नहीं। जानकारी मिले भी तो उसकी हालत अत्यंत जीर्ण-शीर्ण रहती है। आधी-अधूरी जानकारी और तोड़-मरोड़ कर तथ्यों को पेश किये जाने की वजह से ग्रामवासी भ्रम में पड़े रहते हैं। सरकार की तरफ से इस दिशा में कोई ठोस प्रयत्न भी नहीं होते। इस दिशा में विशेष कार्य किये जाने चाहिए।


ज्येष्ठ उप–प्रमुख ने बताया कि ग्राम सभा के प्रस्ताव ही मुख्य रूप से ब्लॉक की योजना का हिस्सा बनते हैं। महिला संगठनों द्वारा कही-समझी गई जरूरतों के आधार पर गाँवों से प्रस्ताव भेजे गये हैं। इस संदर्भ में श्री बची सिंह बिष्ट एवं श्री राजेन्द्र सिंह बिष्ट ने कहा कि प्रत्येक महिला संगठन को ग्राम बैठकों में अपनी समस्याओं पर प्रस्ताव बनाने, उन पर चर्चा करने का काम करना होगा। सभी संगठनों से मुद्दे उठेंगे तो सरकार पर कार्यवाही करने का दबाव बढ़ेगाअभी भी पंचायतों को संपूर्ण अधिकार नहीं मिले हैं, इस वजह से ग्राम पंचायतों द्वारा की जा रही गतिविधियों में प्रशासन हावी रहता है। महिला केन्द्रित विचारों और गतिविधियों को पंचायतों में पहुँचाने की आवश्यकता है । जिससे गाँवों में दैनिक जीवन सहज हो सके।