पुस्तकालय केन्द्र झुरकण्डे
मेरा नाम लक्ष्मी भण्डारी हैमैं शेप संस्था बधाणी कर्णप्रयाग के सहयोग से झुरकण्डे गाँव में पुस्तकालय चला रही हूँ। पुस्तकालय में गाँव के सभी बच्चे पढ़ने के लिये आते हैं। गाँव के बड़े-बुजुर्ग, युवा एवं महिलायें भी पुस्तकालय में आते हैं। ग्रामवासी अखबार व पत्रिकाएं पढ़ते हैंबच्चे जोडो-ज्ञान, रंगो-मेट्री, डाइस ब्लॉक आदि से गणित सीखते हैं। बच्चों को जोडो-ज्ञान सम्बन्धी सभी गतिविधियाँ करवायी जाती हैं। पुस्तकालय में आस-पास के गाँवों के बच्चे भी आते हैं तथा किताबें पढ़ने के लिए घर ले जाते हैं। इससे उन्हें सामान्य ज्ञान तथा देश-विदेश की घटनाओं के बारे में जानकारियाँ प्राप्त होती हैं।
पुस्तकालय के खुलने से बच्चों को बहुत लाभ हुआ है। पहले वे शाम को यूँ ही गाँव में इधर-उधर भटकते रहते थे। पुस्तकालय खुलने से केन्द्र में आने लगे समय का सदुपयोग हुआ तथा अलग-अलग उम्र के बच्चों ने मिलजुल कर रहना सीखा । केन्द्र में बच्चों के लिए खेलने की सामग्री जैसे-रस्सीकूद, बैडमिन्टन, कैरम, लूडो, रिंगबाल आदि रहती है। पुस्तकालय केन्द्र सड़क से लगभग एक किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। कभी-कभी बच्चे खेलने के लिए सड़क में भी चले जाते हैं।
बच्चे चित्रांकन बहुत शौक से करते हैं। पुस्तकालय के माध्यम से सामान्य ज्ञान, सुलेख आदि प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैंपुस्तकालय से सभी ग्रामवासी खुश हैं तथा सहयोग देते हैंआसपास के निवासी तथा अध्यापक भी पुस्तकें लेने और दैनिक गतिविधियाँ देखने के लिए आते हैं ।
मुझे पुस्तकालय में बच्चों के साथ काम करना और उन्हें पढ़ाना अच्छा लगता है। प्रशिक्षण के दौरान हमें अल्मोड़ा जाने का मौका भी मिलता है। प्रशिक्षण में सभी कार्यकर्ता मिलजुल कर काम करते हैं तथा खुश रहते हैं। प्रशिक्षण के दौरान पुस्तकालय में सामग्री का रख-रखाव तथा शिक्षण के तरीकों के बारे में विस्तार से चर्चा हुई सभी कार्यकर्ताओं की इस विषय पर अच्छी समझ बनी है।