साक्षरता केन्द्र कोट्यूड़ा

साक्षरता केन्द्र कोट्यूड़ा


दीपा जोशी


मैंने कोट्यूड़ा गाँव में दस अप्रैल 2013 से बारह अप्रैल 2014 तक महिला साक्षरता एवं शिक्षण केन्द्र का संचालन किया। सबसे पहले गाँव की कुछ जागरूक महिलाओं ने साक्षरता केन्द्र की जरूरत के बारे में संस्था से बातचीत की । शायद इसी वजह से साक्षरता केन्द्र अच्छी तरह से चल सकामैं इस कार्य में सफल भी हुई। संस्था ने महिलाओं की गोष्ठी की और मुझे साक्षरता एवं शिक्षण केन्द्र की शिक्षिका के रूप में चुना संस्था कार्यकर्त्ता बनने से काफी खुशी हुई। मुझे महिलाओं के साथ काम करने और उन्हें पढ़ाने में अच्छा लगता है। महिलाओं ने भी इस कार्य के लिए पूरा सहयोग दिया । केन्द्र में काम करते हुए नये-नये अनुभव होते गये अनेक गतिविधियाँ सीखने को मिली। 


महिला साक्षरता एवं शिक्षण केन्द्र चलाने से पहले मैंने गाँव में सर्वेक्षण किया। सर्वेक्षण में पाया कि कुछ महिलायें साक्षर और कुछ निरक्षर थीं। कुछ महिलायें बचपन में प्राथमिक विद्यालय गयी थी लेकिन वक्त के साथ पढ़ना-लिखना भूल चुकी थीं। मैं केन्द्र चलाने के लिए प्रशिक्षण लेने उत्तराखण्ड महिला परिषद्, अल्मोड़ा में गई। प्रशिक्षण लेने के बाद, दो अप्रैल 2013 को साक्षरता केन्द्र का उद्घाटन हुआ। उद्घाटन समारोह में गाँव की सभी महिलायें उपस्थित थीं। ऊष्मा संस्था की ओर से श्रीमती लीला बिष्ट, पुष्पा पुनेठा व कमला जोशी ने केन्द्र का उद्घाटन किया।


दस अप्रैल 2013 से महिला साक्षरता एवं शिक्षण केन्द्र की शुरूआत हुई। कुछ दिनों तक शैक्षणिक कार्य बहुत अच्छी तरह से चला । साक्षरता केन्द्र में सभी महिलायें एक साथ कार्य करती थीं। एक दिन महिलाओं के बीच विवाद हो गयाकेन्द्र गाँव की आँगनवाड़ी के कमरे में चलता था। केन्द्र की स्थिति को लेकर दो तोकों की महिलाओं में बातचीत बढ़ गयीएक तोक की महिलायें दूसरे तोक में आने-जाने में असुविधा महसूस करती थीं। इस विवाद की जानकारी साक्षरता केन्द्र की मार्गदर्शिका पुष्पा दीदी को हुई। उन्होंने गाँव की सभी महिलाओं की संयुक्त गोष्ठी बुलायी। बातचीत कीइस गोष्ठी से यह निर्णय निकला कि दोनों तोकों की महिलाओं का केन्द्र अलग-अलग कर दिया जाये । इस वजह से मैंने सप्ताह के तीन दिन, (रविवार, सोमवार, मंगलवार) एक तोक के आँगनवाड़ी केन्द्र में और अगले तीन दिन, (बृहस्पतिवार, शुक्रवार, शनिवार) दूसरे तोक में शिक्षण का काम किया। यह व्यवस्था मेरे लिए भी काफी परेशानीजनक थी। फिर भी, कोशिश की और महिलाओं को पूरा अभ्यास करायासाथ ही, विवाद को दूर करके सभी महिलाओं के बीच एकता लाने के लिए गोष्ठियों के आयोजन का काम निरंतर चल रहा है।