सरस्वती नदी

||सरस्वती नदी||


देश के प्रमुख चार धामों में एक बदरीनाथ धाम करोड़ों लोगों की आस्था का केन्द्र है। बदरीनाथ जो मोक्ष धाम के रूप में भी जाना जाता है, यह हिमालय की अल्कापुरी परिक्षेत्र में स्थित है, जहां पावन अलकनन्दा प्रवाहित होती है। बदरीनाथ के पास स्थित माणा गांव ऋषि-मुनियों की तपस्थली एवं कर्मस्थली रही है। मान्यता है कि वेदव्यास ने महाभारत के अध्यायों को गणेश जी से यहीं लिखवाया था। इस क्षेत्र में व्यास गुफा व गणेश गुफा आज भी श्रद्धालुओं को आकर्षित करती हैं।


अलकनन्दा नदी शीर्ष हिमालयी क्षेत्र से बहना प्रारम्भ करती है तो, माणा के पास केशव प्रयाग में सरस्वती की जलधारा इसमें मिल जाती है। केशव प्रयाग का दृश्य अलौकिक है जहां अलकनन्दा नदी के तीव्र वेग में सरस्वती की धारा धीरे-धीरे शान्त होकर अलकनन्दा में चमचमाती जलधारा के रूप में समाहित हो जाती है।


सरस्वती नदी अरवाताल और ताराबाँक से जुड़े 7 अन्य हिमनदों से जन्म लेती है। माणा गांव के ठीक पीछे स्वर्गारोहणी/सतोपंथ मार्ग पर इसका प्रवाह अत्यधिक तीव्र है। मान्यता है कि पांडव जब स्वर्गारोहणी को जा रहे थे, तो यहां पर सरस्वती नदी के तीव्र प्रवाह ने उन्हें रोक लिया था, तदोपरान्त पांडवों ने माँ सरस्वती की पूजा-अर्चना की और भीम ने विशाल चट्टानों से एक पुल का निर्माण किया। माँ सरस्वती का छोटा सा मन्दिर और भीमपुल आज भी श्रद्धालुओं और पर्यटकों को इसकी याद दिलाता है। सरस्वती गंगा अपने उद्गम क्षेत्र से लेकर माणा तक सबसे अधिक निर्जन और बर्फीले मार्ग को तय कर के आती है। विकट पहाड़, लुढ़कते हिम पिंड घाटी मार्ग को भयावह बना देते हैं। इस मार्ग में जाने पर तूफान, हिमअन्धता, बर्फ में समा जाने जैसी समस्याओं से जूझना पड़ता है।


इससे इस बात की पुष्टि होती है कि यहां पहले जो हिमनद सरकता था, उसके अवसाद स्वरूप अब यहां बड़ी-बड़ी चट्टाने मार्ग में बिखरी पड़ी हैं, जिससे मार्ग दुर्गम बन गया है। सरस्वती नदी का उद्गम दुनग्रीला अर्थात् माणा दर्रे से 12 किमी० पहले उत्तर-पश्चिम दिशा में स्थित देवताल से होता है। वस्तुतः यहां भी दो धारायें उत्तर तथा दक्षिण दिशा से आकर मिलती हैं। अब इसे सरस्वती के नाम से पुकारा जाता हैयह उल्लेखनीय है कि सौराष्ट्र पाटन में, महाराष्ट्र अमरपुर में, बिहार राजगृह में और प्रयाग संगम में भी सरस्वती नाम की नदियां हैं।


 


स्रोत - उतराखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में मानव संसाधन विकास मंत्री भारत सरकार रमेश पोखरियाल निशंक की किताब ''विश्व धरोहर गंगा''