स्वावलंबन की प्रेरणा

स्वावलंबन की प्रेरणा


रूचिका भट्ट


 दहेज प्रथा एक बुरी बला है। लड़के और उसके परिवारजन शादी पर दहेज की माँग करते हैं। गरीब माँ-बाप उधार लेकर बेटी को दहेज देते हैं लेकिन शादी के बाद फिर धमकी मिलने से उनकी कमर टूट जाती है। दहेज लेने वाले यह नहीं सोचते कि लड़की के साथ मार-पीट करेंगे तो कोई कल उनकी बेटी के साथ भी वही सलूक कर सकता है। मैं सोचती हूँ कि मारने वाले से बड़ा अपराधी सहन करने वाला होता है। औरतों को एकजुट होकर सामाजिक बुराइयों को मिटाने की कोशिश करनी होगी। हाथ पर हाथ धर कर बैठने और सिर्फ रोने-बिसूरने से समस्या का समाधान नहीं होता। जब से गाँव में महिला संगठन बना है, संस्था की दीदियों ने गाँव-गाँव में जाकर भेदभाव को मिटाया। मैं एक सच्ची घटना का उल्लेख करते हुए अपने विचार स्पष्ट करूँगीः


सुनीता का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ । अभिभावकों ने उसे मुश्किलों के बीच पढ़ाया। इसी दौरान माता-पिता के पास सुनीता के लिए एक रिश्ता आया। रिश्ते की बातचीत आगे बढ़ी। आखिर रिश्ता पक्का हो गया। जब बात दहेज पर आई तो लड़की के माँ-पिता की आँखों से आँसू निकल आये। दहेज की भारी माँग पूरा करने की सामर्थ्य उस परिवार की नहीं थी।सुनीता ने यह बात अपनी दोस्त काजल को बताई। काजल पढ़ी-लिखी थी। सुनीता के माँ-बाप गरीब थेसुनीता ने काजल से कहा कि वह अपना सपना पूरा करना चाहती हैउसके माता-पिता एक ऐसे बेरोजगार लड़के के साथ शादी करना चाहते हैं जो दहेज की माँग कर रहा है। वह इस शादी से खुश नहीं थीकाजल ने समझाया कि वह चुप ना रहे लड़के के परिवार वालों से कहे कि वह शादी नहीं कर सकती। उसे अपने पैरों पर खड़ा होना है।


सुनीता ने हिम्मत करके परिजनों से कह दिया कि वह शादी नहीं कर सकती। लड़की को ऐसे लड़के के साथ शादी करनी चाहिए जो उसका अच्छा जीवन साथी बन सके। इसके परिणामस्वरूप, लड़के ने जवाब दिया कि वह एक अच्छा जीवन साथी बन सकता है। सुनीता नाराज हुई। शादी से पहले ही दहेज माँगने वाले लड़के का कैसे यकीन करे? लड़के वाले नाराज हो कर वापस चले गये। रिश्ता टूट गया। सुनीता के इस कदम से उसके परिजन बहुत आहत हुए। सुनीता के पिता ने उसे समझाया कि सेठ परिवारों की लड़कियों की ऐसी सोच होती है, गरीब घरानों, किसानों की बेटियों की नहीं। सुनीता ने कहा कि बेटियाँ तो सभी एक जैसी हैं, गरीब हो या अमीर, सभी को दहेज का विरोध करना चाहिए। उसने कुछ काम करने की इच्छा जाहिर की। अपने पिता से कहा कि क्या लड़की को समाज के दबाव में एक ऐसे लड़के से शादी करनी चाहिए जो दहेज माँगता हो? सुनीता ने पिता से पूछा कि यदि वे दहेज में फ्रिज, कूलर, पलंग आदि चीजे नहीं दे सकते तो क्या करेंगे? उधार लेकर दहेज की माँग कब तक पूरी करेंगे? उसके पिता की आँखे खुल गयीआज सुनीता पुलिस विभाग में नौकरी कर रही है । वह खुश है क्योंकि उसने चुपचाप अपमान को नहीं सहा और एक सामाजिक बुराई का खुलकर सामना किया।