स्वच्छता और पर्यावरणीय चुनौतियां

|| स्वच्छता और पर्यावरणीय चुनौतियां || 


दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन की जो खतरनाक स्थिति हमारे सामने आती जा रही है, उसने पर्यावरण और मानवता दोनों के भविष्य को साझे तौर पर संकट में ला दिया है । वायु प्रदूषण को लेकर हाल में आई विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट ने दुनिया के सभी लोगों को चिंता में डाल दिया है। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में 91 प्रतिशत जनसंख्या ऐसे स्थानों पर निवास करती है जहां वायु की गुणवत्ता डब्ल्यूएचओ के तय मानकों के अनुरूप नहीं हैसंगठन के अनुसार दुनिया भर के दस लोगों में से नौ लोग उच्च प्रदूषण स्तर वाली हवा में सांस लेते हैं। रिपोर्ट के अनुसार दुनिया भर में लोगों की मौत 24 प्रतिशत हृदय रोग, 25 प्रतिशत स्ट्रोक, 43 प्रतिशत क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मानरी डिसीज़ और 29 प्रतिशत फेफड़ों के कैंसर से होती हैं हार्ट केअर फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष डा. के अग्रवाल ने मीडिया को दिये एक इंटरव्यू में कहा कि वायु प्रदूषण मुख्य रूप से मानव निर्मित होता है और यह सभी के लिये चिंता का विषय हैवायु गुणवत्ता में सुधार करना एक सामूहिक जिम्मेदारी है और हम में से हर कोई वायु प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने और पर्यावरण को अच्छा रखने में मदद करने के लिये हर दिन कुछ न कुछ कर सकता है।


डब्ल्यूएचओ द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार दुनिया के सबसे प्रदूषित 20 शहरों की सूची में भारत के 14 शहर शामिल हैं। दिल्ली, ग्वालियर, वाराणसी और कानपुर इन शहरों की सूची में सबसे ऊपर हैं।


वायु प्रदूषण का बड़ा स्रोत पार्टिकुलेट मैटर यानी हवा में मौजूद अत्यंत सूक्ष्म कणों को माना गया है जिसमें सल्फेट, नाइट्रेट और काले कार्बन जैसे प्रदूषक शामिल हैं। भारत में सर्वाधिक प्रदूषित शहरों के नाम इस प्रकार है



कानपुर 173,  फरीदाबाद 172, वाराणसी, गया 149, पटना 144, दिल्ली 143,  लखनऊ 138, आगरा 131, मुजफ्फरपुर 120, श्रीनगर 113, गुरुग्राम 113, जयपुर, पटियाला 101, जोधपुर 98. 



डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के आसपास के शहर भी वायु प्रदूषण से बुरी तरह ग्रसित हैंसाइबर सिटी, मिलेनियम सिटी जैसे नामों से विश्व पटल पर अपनी पहचान बना चुके गुरुग्राम की पहचान अब दुनिया भर के सबसे प्रदूषित शहरों में भी की जाने लगी है। प्रदूषित शहरों में इसका नाम 11वें स्थान पर जा पहुंचा है।


वर्षों से पर्यावरणीय चुनौतियां, विशेषकर प्रदूषण के तौर पर, वैश्विक और राष्ट्रीय स्तरों पर परिलक्षित होती रही हैं। वैश्विक स्तर पर चार प्रकार के प्रदूषण उल्लेखनीय हैं: वायु, जल, मृदा और एक्स-रे यूरोप में 18वीं सदी में आई औद्योगिक क्रांति से लेकर ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन कई गुणा बढ़ा है और इसके गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव हुए हैं। उदाहरण के लिये दुनिया की सबसे बड़ी सूचीबद्ध 250 कंपनियों की वैश्विक तौर पर सभी मानव-निर्मित ग्रीन हाउस गैसों के एक तिहाई के लिये गणना की जाती है। कोल इंडिया, गाजप्रोम और एक्सोन मोबिल सर्वाधिक कार्बन डाई ऑक्साइड उर्सजन करने वाली सर्वोच्च तीन कंपनियां हैं और लोग इनके उत्पादों को उनकी प्रामाणिकता पर सवाल उठाये बगैर इस्तेमाल करते हैं । इसे गंभीरता से लेते हुए इन 250 सूचीबद्ध कंपनियों से पेरिस जलवायु समझौते (2015) के तहत निर्धारित लक्ष्यों के अनुसार तापमान वृद्धि रोकने के लिये प्रति वर्ष 3 प्रतिशत उत्सर्जन कटौती करने की अपेक्षा की गई थी। परंतु वास्तव में इन 250 में से केवल 30 प्रतिशत कंपनियों ने उत्सर्जन में कटौती के लक्ष्य तय किये। (टाइम्स ऑफ इंडिया 1 नवंबर, 2017)। 2014 में दिल्ली को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने दुनिया के एक सर्वाधिक प्रदूषित शहर के तौर पर चिह्नित किया था (वार्षिक पीएम 2-5, 153 रहा) और बाद में 2016 में इसमें मामूली सुधार के बाद दुनिया में इसका ग्यारहवां रैंक हो गया (वार्षिक पीएम 2-5, जो कि 122 माइक्रो ग्राम प्रति मीटर होता है)। लेकिन कुछ विशेषज्ञों और ग्रीनपीस जैसे संगठनों ने इस पर सवाल उठाया कि अधिक डाटा स्टेशनों के प्वाइंटस (2014 में 6 के मुकाबले 2016 में 10) ने निगरानी हेतु पूर्व के परिणाम को कम करके दर्शाया है।


दुर्भाग्यवश इन दिनों मध्य दिल्ली में एक सबसे सूक्ष्म, महीन और घातक प्रदूषक पीएम1 उभर कर आया है जो मनुष्य के बाल की सघनता से 70 गुणा अधिक महीन हैं। यह सीधे खून में जाकर घुल जाता है जो कि दिल की गंभीर समस्या का कारण बनता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने पीएम 1 के लिये कोई सुरक्षित सीमा परिभाषित नहीं की है, यद्यपि पीएम 2.5 के लिये यह 60 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और पीएम 10 के लिये 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार इन प्रदूषक कणों से होने वाले प्रदूषण से दुनिया भर में हर वर्ष करीब 3-3 मिलियन लोग मारे जाते हैं।


विभिन्न अध्ययनों के अनुसार दिल्ली में वायु प्रदूषण के मुख्यतः पांच कारण हैं ।


1. कोयला आधारित ताप विद्युत संयंत्रों से होने वाला उत्सर्जनः दिल्ली के 300 कि.मी. के दायरे में 13 ताप विद्युत संयंत्र सर्दियों में 30 प्रतिशत और गर्मियों में 15 प्रतिशत पीएम 2.5 के योगदान के साथ माध्यमिक कणों का योगदान करते हैं।


2. दिल्ली में एक करोड़ से अधिक वाहन हैं: 2000 से दिल्ली में वाहनों में 97 प्रतिशत, प्रदूषक कणों में 75 प्रतिशत और एनओएक्स में 30 प्रतिशत का योगदान होता है, सर्दियों में वाहनों का प्रदूषक कणों में 20-25 प्रतिशत का, गर्मियों में 6–9 प्रतिशत का योगदान होता है, दिल्ली में वाहनों से 217.7 टन कार्बन मोनोऑक्साइड, 84 टन एनओएक्स, 66.7 टन हाईड्रोकार्बन और 0.72 टन सल्फर डाईआक्साइड का रोजाना योगदान होता है और हर रोज 9.7 टन प्रदूषक तत्त्वों का योगदान होता है । दिल्ली में आधे से अधिक वाहनों में प्रदूषण प्रमाणपत्र नहीं है, दिल्ली में हर रोज सड़कों पर 50 लाख वाहन होते हैं परंतु इनकी जांच के लिये पर्याप्त स्टाफ नहीं है।


फसलों की जड़ें (पराली) जलानाः पंजाब में 19.6 मिलियन टन, उ.प्र. में 21.9 मिलियन टन और हरियाणा में 9.1 मिलियन टन वार्षिक-140 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 10 और 120 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर पीएम 2.5 का योगदान, 22 अक्तूबर, 2017 को उत्तर भारत में नासा ने फसल पराली जलाये जाने की कम से कम 2334 घटनाओं को दर्ज किया।


निर्माण गतिविधियों के लिये प्रयोग में लाया जाने वाला तैयार कंकरीट मिक्सर बड़ी मात्रा में फ्लाईएश उत्पन्न करता है जो कि पीएम 10 उत्सर्जन में 10 प्रतिशत (14.37 टन रोज़ाना) और पीएम 2.5 उत्सर्जन में 6 प्रतिशत (रोजाना 3.5 टन) का योगदान करते हैं।


5. नगरीय कचरे की धूल/धूएं, विशेषकर भलस्वा, गाजीपुर और ओखला के लैंडफिल से भी प्रदूषक कणों में योगदान होता है।


पर्यावरण सुरक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य के क्षेत्र में विभिन्न स्तरों पर शुरू किये गये राष्ट्रव्यापी कार्यों और पहलों से हम सब अवगत हैंदेश में पर्यावरण, स्वच्छता और सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र की चुनौतियों से निपटने के लिये प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से एक विवेक-सम्मत और रणनीतिक समझ विकसित हुई हैप्रधानमंत्री ने 2 अक्तूबर, 2014 को नई दिल्ली में एक आवासीय कालोनी में झाडू लगाकर स्वच्छता अभियान को राष्ट्रीय आंदोलन बना दिया। प्रधानमंत्री के प्रयासों से अब लोगों में स्वच्छता के प्रति जागरुकता आई है। महात्मा गांधी ने 20वीं सदी के आरंभ में पहली बार भारत में स्वच्छता और शौचालयों का मुद्दा उठाया थाप्रधानमंत्री का लक्ष्य है कि जब हम महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनायेंगे तो उस समय समूचा भारत स्वच्छ बन जाये और इसमें उन्होंने सभी देशवासियों का सहयोग मांगा है।


केंद्रीय सरकार हर वर्ष स्वच्छता कार्य योजना (एसएपी) तैयार करती है और सभी मंत्रालयों/विभागों/ कार्यालयों में इसे लागू करने के लिये जोर शोर से अभियान चलाया जाता है। स्वच्छता के प्रति जागरूकता के प्रचार-प्रसार के लिये आकाशवाणी के समाचार सेवा प्रभाग में भी वर्ष भर के लिये विशेष कार्य योजना बनाई गई हैइसी सिलसिले में 8 मई, 2018 को "आदतों में बदलाव और स्वच्छता के प्रति संवेदनशीलता” विषय पर प्रभाग में एक कार्यशाला का आयोजन किया गया जिसमें पद्मभूषण डा. बिंदेश्वर पाठक, संस्थापक सुलभ इंटरनेशनल को वक्ता के तौर पर आमंत्रित किया गया।


डा. पाठक ने इस अवसर पर कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जब लालकिले की प्राचीर से स्वच्छता को जन आंदोलन बनाने की घोषणा की और 2 अक्तूबर को इसमें स्वयं श्रमदान किया, उसके बाद से यह देखने में आया है कि देश भर में जगह-जगह शौचालयों का निर्माण हुआ है और अनेक क्षेत्रों को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया जा चुका है। स्वच्छता के प्रति लोगों में जबरदस्त जागरूकता आई है। उन्होंने कहा कि आज छोटे बच्चे भी जब अपने मां-बाप को गंदगी फैलाते हुए देखते हैं तो वे उन्हें टोकते हुए कहते हैं कि मोदी जी से आपकी शिकायत करेंगेउन्होंने कहा कि जिस देश की भावी पीढ़ी स्वच्छता के प्रति सजग हो जायेगी तो वह देश स्वयं ही स्वर्ग बन जायेगा। उन्होंने कहा कि यही आदतों में बदलाव और स्वच्छता के प्रति संवेदनशीलता की शुरुआत है।


निष्कर्ष के तौर पर कहा जा सकता है कि स्वच्छता और पर्यावरण में सुधार के लिये केवल सरकारी प्रयास काफी नहीं हैं इसे एक जन आंदोलन बनाना होगा और सभी को इस महान कार्य में कुछ न कुछ योगदान करना होगा। इसके अलावा सरकार और पर्यावरण से जुड़ी संस्थाओं को पर्यावरण की सुरक्षा के लिये विशेष कदम उठाने होंगे और संपूर्ण मीडिया जगत को, आम लोगों को पर्यावरण के प्रति जागरूक करना होगा तभी पृथ्वी पर जीवन को बचाये रखा जा सकेगा।


(आलेख विभिन्न स्रोतों से जुटाई गई सामग्री पर आधारित है)


स्रोत - समाचार भारती, समाचार सेवा प्रभाग, आकाशवाणी