व्याकरण सूत्र

व्याकरण सूत्र , पाणिनि सूक्त -1
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टाइट कर , टाइट कर .....
ये टाइट किस भाषा का शब्द है ?
ये लोक भाषा का शब्द है ।
इसमें सिर्फ ध्वनि है , और उसके बाद सीधे अर्थ है ।
बीच मे कोई मिड वे नहीं ।
जब यूनान की एक राज महिषी कच्छ के गंवार गूजरों के शिकंजे में जा फंसी , तो उसने पीने को पानी मांगा । तालाब की ओर इशारा किया ।
ग्रामीण समझे कि यह सरोवर में छलबलाना चाहती ।
तब उसे वस्त्र विमोचित कर तालाब में ठेल दिया । पानी गहरा था । प्राण हनन न हो जाये , सो उसकी हिफाज़त को दो गबरू जल में साथ उतारे ।
उनकी कांख के पसीने की गंध से उन्मत्त हो झील खदबदा उठी । उनकी मांस पेशियों को निरख मछलियां सोचने लगीं , कि मनुष्य के भुजदण्ड पर ये मत्स्य राजी बगैर पानी के कैसे निर्वाह करती होंगी ।
हुआ वही , जो होना था । सरवर तल के पाषाण मत्स्य युगलों के ओवर फ्लो वीर्य से चिकने हुए पड़े थे ।
यवनिका का पैर फिसला , और गुर्जर तरुण ने कहा - ओए , टाइट कर , टाइट कर ।
सच कहता हूं । इति सुश्रुम धीराणाम । मुझे पीढ़ी दर पीढ़ी संचित विज़डम का खजाना खोल एक वृद्ध ने वह घटना सुनाई , जो उसने अपने परदादा से सुनी थी । और उसके पर दादा ने भी अपने परदादा से ।
तब यवनिका बोली - अबे मैने अपना सफेद रंग इस तेज़ गर्मी वाले भारत देश मे यूं ही गेहुआ नहीं किया ।
मैं तुम जाट , गुजर , मीणा और अहीर छोरो को खूब जानती ।
तू ऐसा कर , कि अपना औज़ार गन्ना पेरने की मशीन में अटेर दे । सबसे टाइट वही है ।
तबसे जो मेरे रोंगटे खड़े हुए , आज तक नॉर्मल न हुए ।



( नोट :- सिर्फ लोक व्याकरण के तालिब अनुशीलन करें - Rajeev nayan bahuguna)